Friday, May 3rd, 2024 Login Here
मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा, आदिमजाति एवं पिछड़ा वर्ग विभाग ने तैयार किया संयुक्त प्रस्ताव। छात्रवृत्ति योजनाओं का युक्तियुक्तकरण करते हुए बनाया प्रस्ताव।
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा के विद्यार्थियों का वजीफा (छात्रवृत्ति) बंद कर सकती है। इससे सरकार को सालाना 200 करोड़ रुपए की बचत होगी। छात्रवृत्ति योजनाओं का युक्तियुक्तकरण करते हुए स्कूल शिक्षा, आदिमजाति कल्याण और पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अफसरों में इस पर सहमति बन गई है।
प्रस्ताव से वित्त विभाग भी सहमत है। अब प्रस्ताव तीनों विभागों के मंत्रियों और फिर मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी के बाद आठ कक्षाओं तक करीब 15 लाख विद्यार्थियों का वजीफा बंद हो जाएगा। इस निर्णय को सरकार की आर्थिक तंगी से जोड़कर देखा जा रहा है।
सरकार पिछले सवा साल से अनुपयोगी योजनाओं को बंद और एक जैसे लाभ वाली योजनाओं का युक्तियुक्तकरण करवा रही है। इसी कड़ी में तीनों विभागों के अफसरों की पिछले माह हुई बैठक में वजीफा बंद करने पर सहमति बनी है। हालांकि वजीफा बंद करने से बचने वाले 200 करोड़ रुपए दूसरे विभाग को नहीं दिए जाएंगे।
सब कुछ फ्री, तो क्यों दें वजीफा
वजीफा बंद करने को लेकर अधिकारियों का तर्क है कि 'नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई)" आने के बाद से पहली से आठवीं के विद्यार्थियों से ट्यूशन फीस नहीं ली जाती है। उन्हें स्कूल ड्रेस, स्कूल आने-जाने के लिए साइकिल और किताबें मुफ्त दी जा रही हैं। जब पढ़ाई पर विद्यार्थियों का पैसा खर्च ही नहीं हो रहा है, तो वजीफा क्यों दें। अधिकारियों का कहना है कि वैसे भी वजीफे की राशि इतनी कम है कि उससे विद्यार्थी को कोई फायदा नहीं है। ऐसे में योजना बंद या वजीफे की राशि बढ़ाना पड़ेगी।
बल्कि यह राशि स्कूलों की अधोसंरचना विकास के लिए संबंधित विभागों को बजट में दी जाएगी और विभाग इससे बिजली, टाटपट्टी, पानी, फर्नीचर के काम कर सकेंगे। वर्तमान में इन विद्यार्थियों को 20, 25 एवं 60 रुपए मासिक छात्रवृत्ति दी जा रही है। उन्हें साल में 10 माह छात्रवृत्ति दी जाती है। ज्ञात हो कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक 75 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं।
इनका कहना है
प्रस्ताव अभी तक मेरे पास नहीं आया है। पहले प्रस्ताव आने दें। फिर निर्णय लेंगे।
- डॉ. प्रभुराम चौधरी, मंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग