Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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मंदसौर। कोरोना वायरस इस प्रकोप में सबसे ज्यादा और सभी की अपेक्षाओं के और उम्मीदों के केंद्र बिंदु होते हैं डॉक्टर जिन्हें लोग भगवान का दर्जा देते हैं लेकिन अफसोस कि नगर के हमारे यह कथित भगवान विशेषकर प्रायवेट डॉक्टर कोरोना वायरस से आम जनों से भी ज्यादा डरे हुए हैं अपने पेशे से पलायन कर रहे हैं, अपने नर्सिंग होम क्लीनिक के बाहर यह पोस्टर चस्पा कर रहे हैं कि 14 अप्रैल तक किसी पेशेंट को नहीं देखा जाएगा।
 दैनिक जनसारंगी पिछले 2 दिनों से अपने अंको में इन प्रायवेट डॉक्टरों को कर्तव्य बोध कराते हुए जो रिपोर्ट प्रकाशित की हैं उसका व्यापक प्रभाव पड़ा है कुछ डॉक्टरों का दिल पसीजा हैं ।जनप्रतिनिधि जागे हैं ,प्रशासन भी सख्त हुआ है ।
लेकिन फिर भी इन प्रायवेट डॉक्टरों का जो जज्बा इस दौर में जैसा सामने आना चाहिए नहीं आ रहा है अब तो जनता भी यह कहने लगी है इन प्रायवेट डॉक्टरों ने इस दिन के लिए डिग्री हासिल की थी कि  सबसे ज्यादा उनकी जरूरत लोगों को पड़े तो तब ये घर में हाथ पर हाथ धर कर बैठ जाए ।उन डॉक्टरों की तारीफ है जो प्रायवेट हैं लेकिन फिर भी इस संकट काल में अपनी चिकित्सकीय सेवाएं देने के लिए आगे आए हैं, लेकिन अफसोस इस बात का है कि नगर में 100 से अधिक प्रायवेट डॉक्टर हैं और इस संकट में सेवा के लिए महज 11 डॉक्टर ही आगे आए हैं। यह बड़ा ही गंभीर और चिंताजनक विषय है प्रायवेट डॉक्टरों को अपने अपने जमीर को जगा कर अपनी तरफ से कुछ सेवाएं तो करनी ही चाहिए यह डॉक्टर उन समाजसेवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को देखें जो स्वयं के व्यय से जरूरतमंदों को भोजन और अनाज वितरित कर रहे हैं कई ऐसे व्यक्ति हैं जो ड्यूटी देने वाले लोगों को चाय पिलाने की सेवा कर रहे हैं मीडिया के बंधुओं को देखें जो इस दौर में भी लोगों को घर बैठे समाचार सेवाएं दे रहे हैं। उन पुलिसकर्मियों को देखें जो हर वक्त अपनी ड्यूटी सड़कों पर दे रहे हैं। जब हर व्यक्ति अपने अपने क्षेत्र और अपने अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभा रहा है तो ये प्रायवेट डॉक्टर क्यों अपने पेशे से पलायन कर रहे हैं। इनको अपनी ड्यूटी से ज्यादा कोरोना का डर सता रहा है। इनमें से कईयों ने प्रशासन को कह दिया है कि वह तो 60 साल से ऊपर हैं उन्हें डायबिटीज है हार्ट पेशेंट है इसलिए सेवा नहीं कर सकते हम डॉक्टरों को कहना चाहते हैं कि जो भी सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत लोग हैं  उनमें से भी कई इन बीमारियों से पीड़ित हैं लेकिन वह आज के इस संकटकालीन स्थिति में खुद के स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखते हुए मानव सेवा के लिए भी जुटे हुए हैं। तो जो लोग डॉक्टर नहीं है वे भी अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा करते हुए सेवाएं दे रहे हैं तो कम से कम जो खुद डॉक्टर हैं उन्हें तो ऐसी स्थिति में सेवा के लिए आगे आना ही चाहिए।

जनसारंगी की इस मुहिम को नगर के प्रमुख जनप्रतिनिधियों और सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों ने भी सराहा है और प्रायवेट डॉक्टरों से गुजारिश की है कि वह अपने घरों से बाहर आएं अपना नर्सिंग होम खोलें अपने बंद क्लीनिक के दरवाजे खोलें और आम मरीजों को जो कोरोना पीड़ित नहीं है सामान्य बीमारियों से ग्रस्त हैं भले ही उनसे शुल्क लेंवे पर चिकित्सा सेवा जरूर करें।
नगर के प्रायवेट डॉक्टरों की  कर्तव्य हीन भूमिका पर विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से प्रतिक्रियाएं प्राप्त की है जो हम अविकल प्रस्तुत कर रहे हैं-
*निजी डॉक्टर अपने पेशे के प्रति संकल्पबद्ध हो
डॉक्टरी के पेशे का अपना एक सिद्धांत होता है और डॉक्टरों को भी इस पर संकल्पबद्ध रहना चाहिए। कई ऐसे मरीज  हैं जिनका कोरोना से कोई संबंध नहीं चाहे वह हार्ट पेशेंट हों या प्रेग्नेंसी का प्रकरण हो अन्य कोई रोग हो तो ऐसे में रोगी अपने विश्वसनीय डॉक्टर को ही बताना चाहेगा चाहे वह सरकारी हो या निजी ।  मैं प्राइवेट डॉक्टरों से यही यही कहना चाहूंगा कि वह अपने पेशे के प्रति संकल्पबद्ध रहें। अपने कर्तव्य का पालन करें सोशल दूरी बनाते हुए भी वे अपनी चिकित्सकीय सेवाएं दे सकते हैं इस तरह अपना काम बंद करके बैठना इस समय बिल्कुल उचित नहीं है
     सुधीर गुप्ता
         सांसद

  निजी डॉक्टरों से मैने संवाद किया है ये भी देंगे सेवाएं
 मैंने व्यक्तिगत रूप से प्रायवेट डॉक्टरों से चर्चाएं की है.  कुछ डॉक्टरों ने अपनी स्वयं की 60 साल से ऊपर की उम्र वह कुछ बीमारियों का हवाला दिया है लेकिन युवा डॉक्टर अपनी सेवाएं देने के लिए आगे आए हैं मेरी आई एम ए के अध्यक्ष डॉ प्रदीप सिलावत से चर्चा हुई है बाकी डाक्टरों से भी संवाद चल रहा है उम्मीद है कि प्रायवेट डॉक्टर भी अपनी सेवाएं आम लोगों को देंगे क्योंकि फिलहाल कोरोना की कोई गंभीर महामारी अपने जिले में नहीं है जो सामान्य मौसमी बीमारियों से पीड़ित लोग हैं उनकी सेवा सरकारी प्राइवेट सभी डॉक्टरों को करनी चाहिए जिला चिकित्सालय में मंगलवार से कुछ प्रायवेट डॉक्टर भी दो-दो घंटे सेवाएं दे रहे हैं 
*यशपाल सिंह सिसोदिया विधायक*
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    हम सुधारेंगे इन प्रायवेट डॉक्टरों को
 हर व्यक्ति जिसे किसी भी विषय में विशेषज्ञता हासिल है उसे अपनी क्षमता के अनुरूप इस संकटकालीन समय में अपनी सेवाएं देनी चाहिए डॉक्टर तो डॉक्टर होते हैं उनमें सरकारी और प्रायवेट जैसा कोई भेद नहीं होना चाहिए लेकिन यदि जिले में प्रायवेट डॉक्टर इस समय अपने घर बैठ गए हैं और अपने नर्सिंग होम व क्लीनिक को बंद कर दिया है ऐसे डॉक्टरों को चिन्हित किया जाएगा यदि इन लोगों ने अपनी शैली नहीं सुधारी तो इन्हें हम सुधारेंगे हर डॉक्टर की ड्यूटी है कि वह पीड़ित मानवता की सेवा में ऐसे संकट काल में अपनी सेवाएं दे जिला चिकित्सालय में कुछ यंग डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं अन्य डॉक्टरों को भी जो प्रायवेट हैं उन्हें हम प्रेरित करेंगे फिर भी उनकी हठधर्मिता रही तो कड़े कदम भी उठाएंगे 
*मनोज 
*जिला कलेक्टर
*प्रायवेट डॉक्टरों के नर्सिंगहोम व क्लीनिक अधिगृहित हों
यह बड़ी चुनौती का समय है मंदसौर के निजी डॉक्टरों ने इस शहर से बहुत कुछ प्राप्त किया है और आज यदि इस शहर को उनकी जरूरत है तो उन्हें यों स्वार्थी  हो कर  घर में नहीं बैठना चाहिए सरकारी डॉक्टर अपनी सेवाएं दे सकते हैं तो प्राइवेट क्यों नहीं मेरा तो कलेक्टर से यह आग्रह रहेगा कि जो प्रायवेट डॉक्टर इस संकट में अपनी सेवाएं नहीं दे रहे हैं उनके नर्सिंग होम और अस्पतालों को अधिग्रहित कर लेना चाहिए पूरे देश में डॉक्टर ,नर्स ,कंपाउंडर समाजसेवी, मीडिया ,अधिकारी जनप्रतिनिधि, सब अपनी सेवाएं दे रहे हैं तो यह प्रायवेट डॉक्टर क्यों नहीं
*- नरेंद्र नाहटा पूर्व मंत्री एवं कुलाधिपति मंदसौर विश्वविद्यालय*
*इनके लायसेंस रद्द करें प्रशासन
 इस समय पूरा देश कोरोनावायरस के आघात से मुकाबला कर रहा है ऐसे में प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह जहां जिस सहयोग की आवश्यकता है पूरा सहयोग प्रदान करें विशेषकर डॉक्टरों से तो ऐसे समय सभी की यह उम्मीद है कि वे अपनी मेडिकल सेवाएं दें और अभी तो अपने जिले या नगर में कोरोनावायरस है ही नहीं फिर ये प्रायवेट डॉक्टर क्यों डर रहे हैं जब इन डॉक्टरों को डिग्री दी जाती है तो यह शपथ दिलाई जाती है कि वह हर समय हर परिस्थिति में मरीजों की चिकित्सा करेंगे यदि ऐसे वक्त यह लोग अपने कर्तव्य से विमुख हो जाते हैं तो मेरा प्रशासन को सुझाव है कि इनके डॉक्टरी के लाइसेंस निरस्त कर देना चाहिए 
   *नवकृष्ण पाटिल*
    *पूर्व विधायक*
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*ये कैसे भगवान जो डर रहे हैं
इंसान जब परेशान होता है तो वह अपने भगवान को याद करता है और जब कोई रोग लोगों को होता है तो वह डॉक्टर को याद करते हैं और आज तो बड़ी भयानक महामारी पूरी दुनिया में फैली है ऐसे में डॉक्टरों का तो पहला फर्ज होता है कि वह स्वयं आगे आए और लोगों की सेवाएं करें लेकिन मुझे यह देखकर जानकर बहुत अफसोस हो रहा है कि मंदसौर के प्रायवेट डॉक्टर इस दिशा में बिल्कुल ही उदासीन है हर रोगी अपने डॉक्टर को ही भगवान मानता है तो मेरा इन प्रायवेट डॉक्टरों से आग्रह है कि वह भगवान बनकर अपने घरों से बाहर निकले और लोगों की सेवा करें अभी जबकि कोरोना का कोई नगर में प्रवेश नहीं है तो फिर इन डाक्टरों को डरने की क्या आवश्यकता है मैं स्वयं इस समय नगर पालिका में हूं और लोगों को जितनी सुविधा और राहत दी जा सकती है वह काम कर रहा हूं ।
*राम कोटवानी नपाध्यक्ष*
     
*प्रायवेट डॉक्टर अपने पेशे से इंसाफ करें
 फिलहाल हमारे क्षेत्र में कोरोना वायरस का कोई मरीज नहीं है फिर भी प्रशासन द्वारा काफी चाक-चौबंद व्यवस्थाएं की गई हैं लेकिन बदलते मौसम के कारण हर साल की तरह सामान्य मौसमी बीमारियों से कई लोग ग्रसित हो रहे हैं तो कम से कम इनका तो उपचार सभी डाक्टरों को करना ही चाहिए चाहे वह सरकारी हो या प्रायवेट बीती रात सरकारी अस्पताल में भी एक सामान्य मरीज को देखने वाला कोई नहीं था रात के समय सरकारी अस्पताल में भी चिकित्सा व्यवस्था होनी चाहिए जहां तक प्रायवेट डॉक्टरों का सवाल है तो उन्हें तो और आगे आकर स्वयं अपनी सेवाएं आम लोगों के लिए निरंतर रखनी चाहिए यह उनका कर्तव्य भी है और उनके पेशे के साथ इंसाफ भी लेकिन मीडिया के माध्यम से यह जानकर अफसोस हुआ कि नगर के कई प्रायवेट डॉक्टर घरों में बैठे हुए हैं वह आम लोगों से भी ज्यादा कोरोना से डर रहे हैं ।लेकिन फिर भी हम तारीफ करेंगे डॉ अजय व्यास डॉक्टर सुरेश पमनानी की और मंगलवार से अस्पताल में 2-2 घंटे अपनी सेवाएं देने वाले प्रायवेट डॉक्टरों की जो सेवा के लिए आगे आएं हैं
*मो.हनीफ शेख*
 *पूर्व नपाध्यक्ष*
Chania