Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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कलाकारों पर भी आर्थिक संकट का साया
मंदसौर जनसारंगी।
 इस बार कोरोना वायरस नेसभी त्योहारों पर पानी फेर दिया है। हर्ष और उल्लास से भरा गणेशचतुर्थी पर्व भी इस कोरोना की भेंट चढ़ गया। इस उत्सव का सालभर इंतजार कररोजगार की उम्मीद में बैठे मंदसौर के मूर्तिकारों के सामने तो रोजगार का संकटखड़ा हो गया है। सरकार द्वारा सार्वजनिक पंडालों पर लगाए प्रतिबंध के बाद गणेशजीकी मूर्ति तैयार करने वाले कलाकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होगया है। ं मूर्तिकार दिनेश प्रजापती द्वारा गणेशजी की मूर्तियां तैयार तो की जा रहीहैं, लेकिन इन्हें खरीदने के लिए अभी तक कोई ऑॅर्डर नहीं आया है। वहीं हर सालपहले से ही मूर्तियों की बुकिंग शुरू हो जाती थी। इस मूर्तिकार की मूर्तियों कीडिमांड राजस्थान के शहरों में भी रहती थी, लेकिन इस बार इनके व्यवसाय पर भीकोरोना का ग्रहण लग गया है।पहली बार बनी ऐसी स्थितिमूर्तिकार प्रजापत ने बताया कि 2 लाखरुपये खर्च कर मूर्ति बनाने का सामान लेकर आए थे। हर साल इस समय तक 300 से ज्यादामूर्तियों के ऑॅर्डर आ जाते थे, लेकिन इस बार खाली हाथ बैठे हैं, कहीं से कोईऑॅर्डर नहीं मिला है। वे करीब 8 वर्षों र्से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। इसबार काफी खराब स्थिति है। कोरोना ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है। बड़ी मूर्तियोंके ऑॅर्डर नहीं आए हैं। छोटी मूर्तियों के भरोसे हैं। इस बार बाहर बड़ी मूर्तिबैठाने की अनुमति नहीं होने से छोटी मूर्तियों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।हालांकि अभी तक छोटी मूर्तियों के ग्राहकों का भी कुछ पता नहीं है। हमारे सामनेआने वाले दिनों में निश्चित ही रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। गणेशचतुर्थी के समय क्षेत्र के मूर्तिकार इतना कमा लेते हैं कि सालभर इनका घर खर्च चलतारहता है, लेकिन इस बार इन्होंने मूर्तियां बनाने में अपनी जेब से रुपया लगाया है।उतना मुनाफा भी होता हुआ नहीं दिख रहा है। मूर्तिकारों को छोटी मूर्तियांबनाने में 200 से 300 रुपए का खर्च आता है, वहीं बड़ी मूर्तियों का खर्च 1000 से1500 रुपए पड़ता है। कई मूर्तिकारों ने कर्ज लेकर मूर्ति बनाना शुरू तो कर दिया है।
Chania