Monday, May 6th, 2024 Login Here
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मंदसौर जनसारंगी।
पिछले दिनों मंदसौर में एक घायल ऊंट मिला है जिसे नगर पालिका ने कांजी हाउस में छोड़ा है लेकिन यहां ना तो इसे उपचार मिल रहा है और ना ही इसके खाने की समुचित व्यवस्था हो रहीं है। नगर पालिका प्रतिदिन 200 रूपये रोज इसके खाने के लिये भेज रहीं है लेकिन इसमें इसका पेट नहीं भर रहा है और ना ही इसका कोई उपचार हो पा रहा है।ऊंट के सेवादार का तो यहां तक कहना है जिंदा ऊंट 50 हजार कीमत का है लेकिन मरने के बाद इसकी कीमत कहीं ज्यादा हो जायेगी लेकिन इसके जीते-जी कोई भी इसकी सेवा के लिये आगे नहीं आया है।
बताया जाता है कि मंदसौर के गुराडिया दीदा क्षेत्र में एक घायल ऊंट दिखाई दिया था ऊंच का पैर फैक्चर हो गया था जिसके बाद इसका मालिक इसे छोड़कर चला गया ऐसे में ऊंट को नगर पालिका के कांजी हाऊस मेंरखा हुआ है जहां समाजसेवी ओम बड़ोलिया  इसकी सेवा कर रहे है और नगर पालिका 200 रूपये रोज खाने के नाम पर भेज रहीं है लेकिन अभी इतक इस ऊंट के पैर का ईलाज कराने के लिये कोई भी आगे नहीं आया है  जबकी यह ऊंट अपने पैर पर ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा है जबकी यदि इसे समुचित ईलाज और खाना मिले तो यह फिर से चल सकता है लेकिन ऊंच का जीवन बचाने की  अभी तक किसी को भी चिंता नहीं है। ना तो पशु चिकित्सा विभाग इसका उपचार करने के लिये आगे आया है और ना ही कोई पशु प्रेमी इसके उपचार में अपनी रूची दिखा रहा है। नगर पालिका प्रतिदिन 200 रूपये भेज रहीं है उससे यहां इसके लिये पत्ते भोजन के रूप में लाएं जा रहे है लेकिन इसमें ऊंट का पेट नहीं भर रहा है । खाने और उपचार के अभाव में  उंट कमजोर होता जा रहा है और उसकी तकलीफ भी बढ़ती जा रहीं है।
समाजसेवी ओम बडोलिया का कहना है कि ऊंट की कीमत करीब 50 हजार रूपये है लेकिन इसके मरने के बाद इसकी कीमत बढ़ जायेगी । तस्करों की निगाह इसकी मौत पर है क्योंकि ऊंट की हड्डियों की तस्करी होती है क्योंकि इन हड्डियों से कई तरह के केमीकल  और दवाईयों में उपयोग होता हैं। इसकी हड्डियां महंगे दामों में बिकेगी।तस्करों की नजर इसकी मौत पर है लेकिन अभी जिंदा है तो कोई भी इसके भोजन और उपचार के लिये आगे नहीं आ रहा है।
कुछ दिन पहले घायल अवस्था में ऊंट मिला था इसके पैर मेंफैक्चर है जो जूड़ नहीं पा रहा है। इसकी मदद के लिये कोई भी आगे नहीं आऐगा।तस्कर इस पर निगाह डाले बैठे है क्योंकि इसकी हड्डियों की तस्करी होती है। जबकी इसे अभी जीवित अवस्था में देखभाल की जरूरत है। शासन प्रशासन इसके भोजन इत्यादि का प्रबंध करें ताकी यह जिवित रह सके।
ओम बडोलिया, समाजसेवी
नगर पालिका प्रतिदिन 200 रूपये भेजती है इससे पत्ती लाकर ऊंट को खिलाते है। मजदूर के माध्यम से पत्तियां मंगाते है। खाऐगा तो जिएंगा ।
मुकेश बारवासिया, कर्मचारी कांजी हाऊस

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