Monday, May 6th, 2024 Login Here
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दोनो ही उम्मीदवारों को दिख रहीं अपनी-अपनी जीत
मंदसौर जनसारंगी।

सुवासरा विधानसभा के उम्मीदवार हरदीपसिंह डंग के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद क्षेत्र के जनता के माथे पर उपचुनाव आ गया है। ऐसे में जनता तो ठीक भाजपा का आम कार्यकर्ता भी अभी तक डंग की भाजपा से उम्मीदवारी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है नतीजा संगठन से लेकर सत्ता तक को कार्यकर्ताओं के सामने नतमस्तक होना पड़ रहा है।भाजपा कार्यकर्ताओं को मनाने में ही इतना उलछ गई कि आम जनता की तो अब तक सुध भी नहीं ले पाई है।सुवासरा की सीट को जीतकर भाजपा अपनी सत्ता को बचाने की कोशिश में ही है वहीं एक बार फिर से सरकार में वापसी की उम्मीद से कांग्रेस भी दम-खम झोख रहीं है। हालांकि कांग्रेस ने जो उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा है वह मंडी का चुनाव तक पराजित हो चूका है  लेकिन वह अब विधानसभा के अखाडे में है।भाजपा उम्मीदवार के लिऐ पूरी सत्ता ओर संगठन चुनाव मैदान में उतरा है तो कांग्रेस की तरफ से भी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ क्षेत्र मे आ चूके है ऐसे में दोनो ही उम्मीदवार अपना-अपना पाला भारी होने की गुबार में हिचकोले लगा रहा है।
सुवासरा विधानसभा को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है यह वह विधानसभा  क्षेत्र है जहां से भाजपा को हर चुनाव में अच्छी बढ़त मिली है। प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवडा के मजबूत जनाधार वाली सीट रहीं सुवासरा विधानसभा में इस बार भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सत्ता वापसी के सुत्रधार बने हरदीपसिंह डंग को चुनाव मैदान में उतार दिया है।ऐसे में  आम जनता ने तो चुनाव की घोषणा से पहले ही अपने तैवर दिखाने शुरू कर दिये थे लेकिन प्रांजी को भाजपा का आम कार्यकर्ता भी अब तक स्वीकारने को तैयार नहीं है। यहीं कारण है कि भाजपा के स्टॉर प्रचारक माने जाने वाले केन्द्रिय मंत्री थावरचंद गेहलोत ओर कैलाश विजयवर्गीय को बजाय आम जनता का जनसमर्थन हासिल करने आने के कार्यकर्ताओं की मान-मनोव्वल के लिए आगे आना पड़ रहा हैं। यह पहला मौका ही है जब प्रदेश के मुखिया को कार्यकर्ताओं ओर जनता के सामने नतमस्तक होना पड़ रहा है। वजह साफ है कि बरसों से भाजपा की दरी, झंडे उठाने वाले कई कार्यकर्ता आने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा से उम्मीदवारी का सपना देख रहे है। लेकिन कांग्रेस से आकर हरदीप के भाजपा का झंडा उठा लेने से अब उनकी दावेदारी केवल स्वप्न बनकर रह गई है। कईयों का राजनीतिक भविष्य दांव पर लग गया है ऐसे में चुनाव शुरू होने के बाद भी इस मानसिकता में नहीं आ पाए कि जिस विचारधारा के खिलाफ वे बरसों तक संघर्ष करते रहे उसे जीताने के लिए वे अपना दम-खम लगा पाए।
हालांकि यह तो है अंदर की बात लेकिन ऊपरी तौर पर हरदीपसिंह डंग भी जीत के हिण्डोलों में गौते लगा रहा है। सत्ता से लेकर संगठन तक उन्हें जीताने के लिये गांव-गांव ओर घर -घर दौड लगा रहा है। प्रदेश के सीएम खुद दो बार क्षेत्र में आ चूके है जनता ओर कार्यकर्ताओं के सामने नतमस्तक हो चूके है। संसदीय क्षेत्र के दिग्गज नेताओं के अलावा प्रदेश ओर राष्ट­ीय स्तर पर बड़े नेताओं तक का बार-बार आना हो रहा है। भाजपा को राष्ट­ीय स्वयं सेवक संघ का अनुशांगिक संगठन माना जाता है ऐसे में संघ ओर उसके तमाम अनुशांगिक संगठन भी उनके लिए लगे हुए दिख रहे है। ऐसे में  हकीकत से अंजान डंग को अपनी जीत पक्की दिख रहीं है।
दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी अपनी सत्ता को गंवाने का सुत्रधार हरदीपसिंह डंग को ही माना है लेकिन  चुनाव भी पराजित हो चूके राकेश पाटीदार को चुनाव मैदान में उतार दिया है। लेकिन पाटीदार को जिताने के लिए भी कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत दिखाई है। प्रदेश के पूर्व मुखिया कमलनाथ खुद उनके चुनावी प्रचार का शंखनाद कर चूके है। प्रदेश के पूर्व मंत्री प्रियव्रतसिंह,जीतू पटवारी ओर पूर्व विधायक कुणाल चौधरी उनके लिए क्षेत्र में ताल ठोक रहे है। कार्यकर्ताओं का मजमा भी उनके साथ लग रहा है, आम जनता भी उनके लिए एकत्र हो रहीं है। इसके अलावा पाटीदार वोटों का गणित भी राकेश पाटीदार को जीत की हवाई सैर करा रहा है। भाजपा को हराने ओर पाटीदार को जीताने के लिऐ दौड़ तो लगाई जा रहीं है लेकिन दौड़ की दिशा ही तय नहीं है। जनता की भीड़ के एकत्र होने को ही जीत का आधार माना जा रहा है। जबकी यह सहीं है कि भीड़ के बजाय जनता का विश्वास चुनाव जीतने का आधार बनता है। खैर दोनो ही उम्मीदवार अपनी-अपनी जीत के गौते लगा रहे है। मतदाता चुप है लेकिन उनकी चुप्पी बहुत कुछ कहेगी तो परिणाम के दिन ही सामने आऐगी। फिलहाल तो आम मतदाता भी चुनाव के आनंद ले रहा है।
Chania