Monday, May 6th, 2024 Login Here
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मंदसौर जनसारंगी।
जनता को सुविधा देने के लिए विधायक यशपालसिंह सिसोदिया की कोशिशों से दो साल पहले शिवना पुल पर एक और ब्रिज की मंजूरी हुई थी ताकी वर्तमान ब्रिज फोरलेन में तब्दिल हो जाऐ लेकिन सेतु विकास निमाग टेंडर होेने के दो साल बाद भी अभी तक इस ब्रिज का निर्माण प्रारम्भ नहीं करवा पाया है। यहां भी ठेकेदार अफसरों पर भारी पड़ रहा है और अधिकारी केवल नोटिस-नोटिस का खेल रहे है और जनता सुविधा से वंचित हो रहीं है।
सेतु विकास निगम के तहत होने वाले शिवना नदी पर बनाऐ जाने वाले नए ब्रिज के काम का टेण्डर हुए दो साल हो गया। लेकिन आज तक काम पूरा नही हुआ। ठेकेदार पर टर्मिनेशन की बड़ी कार्रवाई की बजाय विभाग के अफसर नोटिस की लीपापोती में लगे हैं। जबकि कोई 47 साल पहले बने शिवना पुल की बदहाली और बढ़ते यातायात को लेकर एक और नए समानांतर ब्रिज की योजना बनी थी। दो साल पहले सेतु विकास विभाग के जिम्मेदारों ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर जीआर अग्रवाल कंपनी को ठेका दिया। बताते है ठेकेदार ने इसके साथ और कार्य भी ले लिए। अब ठेकेदार एक साथ ब्रिज के काम नहीं कर पा रहा है। टेंडर प्रक्रिया के बाद शिवना पर ब्रिज का निर्माण दिसंबर 2020 तक पूरा करना था। हैरानी की बात यह है कि सेतु विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ठेकेदार से निर्माण भी शुरू नहीं करा सके।
बहुत ज्यादा लोड हैं मौजूदा ब्रिज पर
शिवना ब्रिज से रोज भारी वाहन गुजरते हैं। इस ब्रिज पर से यातायात का दबाव कम करने के लिए जिला प्रशासन ने ब्रिज निरीक्षण के बाद से मुक्तिधाम के पास बनी छोटी पुलिया पर से वन-वे शुरू कराया। रतलाम से आने वाले वाहन इसी जर्जर ब्रिज से आते हैं। ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इस ब्रिज से रोज 80 हजार से ज्यादा लोगों का आवागमन होता है।
1972 में बना पुल की तीन साल पहले ली थी सुध
लोक निर्माण विभाग ने 1972 में शिवना के ऊपर मुक्तिधाम के पास पुल निर्माण कराया था। उस समय पीडब्ल्यूडी ने लागत निकालने व रखरखाव के लिए यहां टोल बनाया। कुछ समय बाद टोल बंद हो गया व उसमें जमा 8 करोड़ रुपए से शहर के बीच महू-नीमच राजमार्ग बनाया। 46 साल बाद व ढाई साल पहले ब्रिज निर्माण विभाग ने शिवना ब्रिज की सुध ली है। ब्रिज में लगे बैरिंग खराब मिले। कई जगह दरारें व सीसी के टुकड़े गिरे मिले। इसके बाद मरम्मत के लिए करीब सवा करोड़ का एस्टीमेट तैयार किया लेकिन इसके लिए मार्ग बंद करना होगा। ब्रिज की खराब स्थिति देख मप्र शासन ने इसी के समकक्ष नए ब्रिज की मंजूरी दी।
पहले भी हर काम लेटलतिफी से किया था पूरा
मन्दसौर जिले में मप्र सेतु विकास निगम के कामो को बट्टा लगा हुआ हैं। चार साल पहले सीतामऊ फाटक ओवरब्रिज का काम शुरू किया। समय सीमा खत्म होने के ढाई साल बाद भी काम पूरा किया गया। इसी प्रकार संजीत ओवरब्रिज का निर्माण सितंबर 2020 में पूरा होना था। आज भी काम पूरा नहीं हो पाया है। इसके अलावा शिवना ओवरब्रिज की समय सीमा खत्म होने आई लेकिन निर्माण शुरू नहीं हुआ। जिले के पिपलियामंडी में रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज 5 पांच साल पहले मंजूर हुआ। चार से पांच माह पहले टेंडर प्रक्रिया हुई। काम आज तक शुरू नहीं हुआ।
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