Friday, May 3rd, 2024 Login Here
मध्य प्रदेश / शिवराज कैबिनेट ने प्रदेश के चार बड़े बांधों से रेत व सिल्ट (गाद) निकालने का ठेका देने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। पहले चरण में रानी अवंतिबाई सागर बरगी, तवा, इंदिरा सागर और बाणसागर बांध का ठेका दिया जाएगा। इन चारों बांधों से जो गाद निकाली जाएगी, उसमें 15 से लेकर 40 प्रतिशत तक रेत मिल सकती है। यह फैसला मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया है।
गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि अब नियम के खिलाफ लगाए गए मोबाइल टावर को भी मंजूरी दी जा सकेगी। सरकार ने इनको नियमित करने के लिए समझौता शुल्क तय कर दिया है। कैबिनेट ने प्रदेश के थानों में CCTV कैमरे लगाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। इसके अलावा छतरपुर के बक्स्वाहा में नया ITI खोलने का फैसला लिया गया है।
कैबिनेट के फैसले के मुताबिक मध्य प्रदेश में पहली बार जलाशयों से गाद (सिल्ट) और रेत निकाली जाएगी। गाद किसानों को दी जाएगी, जिसे वे खेतों में डालेंगे। इससे भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ेगी। वहीं, इससे जो रेत प्राप्त होगी, उससे शासन को राजस्व मिलेगा। ठेका 15 से 25 साल के लिए उस कंपनी को दिया जाएगा, जिसका 3 साल का टर्नओवर 500 करोड़ रुपए होगा। अनुमान है कि सरकार को इससे सालाना 300 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि जलाशयों से सिल्ट व रेत निकालने का प्रस्ताव पूर्व कमलनाथ सरकार ने तैयार किया था, लेकिन इसे अमल में लाने से पहले ही सरकार गिर गई। पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट ने कहा कि जनवरी 2020 को यह प्रस्ताव तैयार किया गया था। सरकार का सोचना था कि सिल्ट व रेत निकालने से बांधों की उम्र बढ़ेगी और पर्यावरण संतुलित होने के साथ-साथ जलाशय में पानी भरने की क्षमता भी बढ़ेगी।
जल संसाधन विभाग के मुताबिक बांधों में गाद जमने से जल भंडारण क्षमता कम हो जाती है। इसके चलते रेत व सिल्ट निकालने का प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा गया था। इसका असर सिंचाई और पेयजल व्यवस्था से जुड़ी योजनाओं पर पड़ता है। जलाशयों के अलग-अलग ठेके होंगे। यह काम ऐसी कंपनी को दिया जाएगा, जिसे इस क्षेत्र में काम करने का अनुभव हो।
नगरीय निकायों में बस स्टैंड के लिए नि:शुल्क मिलेगी भूमि
मध्य प्रदेश नजूल भूमि निर्वर्तन निर्देश 2020 में संशोधन करके नगरीय निकायों में बस स्टैंड बनाने के लिए नि:शुल्क भूमि का प्रावधान किया जाएगा। इसके लिए राजस्व विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी है। दरअसल, नियम में अभी मार्केट, कॉम्प्लेक्स या बस स्टैंड बनाने के लिए भूमि के बाजार मूल्य के 50% पर भूमि आवंटन का प्रावधान है। कुछ नगरीय निकायों ने इस राशि को देने में असमर्थता जताई थी। इसके मद्देनजर सार्वजनिक प्रयोजन (सड़क, उद्यान, खेल का मैदान, फिल्टर प्लांट, कचरा खंती, अस्पताल, स्कूल, कार्यालय सहित अन्य) की श्रेणी में बस स्टैंड को शामिल कर लिया गया है।
अवैध मोबाइल टावर समझौता शुल्क देकर नियमित होंगे
प्रदेश में निजी भूमि, स्थानीय निकाय, सार्वजनिक उपक्रम, आयोग आदि की भूमि पर मोबाइल टावर बिना अनुमति स्थापित हैं, तो उन्हें हटाने की जगह समझौता शुल्क लेकर नियमित किया जाएगा। भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में 50 हजार रुपए शुल्क लिया जाएगा, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह राशि 20 हजार रुपए करना प्रस्तावित है।