Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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मंदसौर जनसारंगी।
कोरोनाकाल के करीब 16 माह बाद आज 1 सितंबर से छठी से 12वीं तक के स्कूल शुरू हो रहे हैं। इनमें 9वीं से लेकर 12वीं तक के स्कूल तो पूर्ववत शुरू हो चुके हैं लेकिन मुख्य मुद्दा छठी से आठवीं तक के विद्यार्थियों का है क्योंकि लंबे समय बाद वे ऑफ लाइन में पढ़ेंगे। इसके लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूल पूरे कोरोना प्रोटोकॉल की तैयारियों के साथ हैं। स्कूल मैनेजमेंट द्वारा 50 फीसदी क्षमता, सैनिटाइजर, स्टाफ का 100 फीसदी वैक्सीनेशन, सोशल डिस्टेंसिंग आदि का पालन कर पढ़ाने का दावा किया जा रहा है। छठी से आठवीं तक के बच्चों के पेरेंट्स संशय में हैं बच्चों को स्कूल भेजे या नहीं। हालांकि सभी स्कूल प्रबंधन बिना पेरेंट्स के सहमति से बच्चों को प्रवेश नहीं देंगे। दूसरी ओर अधिकांश प्राइवेट स्कूलों ने पूर्व में ही पेरेंट्स की मीटिंग लेकर अपने यहां की स्वास्थ्य सुरक्षा व्यवस्था से भी अवगत करा दिया है।
मंदसौर के शिक्षा विभाग ने संकुल प्राचार्य के माध्यम से सभी स्कूलों को निर्देश दे दिए है लेकिन आज से कौन-कौन से स्कूल प्रारम्भ होंगे इसकी कोई सूचना शिक्षा विभाग के पास नहीं है और ना ही शिक्षा विभाग ने स्कूल संचालकों से किसी तरह की चर्चा की है। जिला शिक्षा अधिकारी का कहना था कि सभी स्कूल संचालक जागरूक है। शासन के निर्देशों से अवगत है उसी अनुसार स्कूल प्रारम्भ करेंगे। उधर बच्चों को स्कूल भेजने कों लेकर पालकों में अभी असमन्जस की स्थिति है। क्योंकि कोरोना की तीसरी लहर आने का खतरा है और इस वक्त मंदसौर में डेंगू के साथ ही सर्दी, खासी और बुखार के मरीजों की संख्या भी अधिक है। इसके साथ ही 18 वर्ष से कम उम्र वालों का अभी वैक्सीनेशन नहीं हुआ है ऐसे में पेरेन्ट बच्चों को स्कूल भेजने का निर्णय नहीं कर पा रहे है। हालांकि स्कूलों में कोरोना प्रोटोकाल का पूरा पालन करना होगा, इसके साथ ही पेरेन्ट का सहमति पत्र भी जरूरी होगा। छात्रों के लिए मास्क, सेनेटाईजर अनिवार्य किया गया है इसके साथ सौशल डिस्टेसिंग के माध्यम से ही बच्चों को कक्षाओं में बिठाया जाऐगा।
पेरेंट्स से सहमति लेकर बच्चों को प्रवेश देना ही अव्यवहारिक
कुछ पालकों ने बताया कि पेरेंट्स से सहमति लेकर बच्चों को प्रवेश देना ही अव्यवहारिक है। दरअसल इससे कई पेरेंट्स के मन में सवाल उठते हैं कि सरकार को भी संशय है कि तीसरी लहर आ सकती है इसलिए वह सहमति ले रही है। दूसरा यह कि 50 फीसदी क्षमता के फार्मूले के साथ हफ्ते में तीन दिन क्लासेस संचालित होंगी तो बाकी तीन दिन ऑन लाइन की क्या व्यवस्था रहेंगी यह स्पष्ट ही नहीं किया गया है। इससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होगा। सरकार को पूरे विश्वास के साथ नीति स्पष्ट करना चाहिए न कि स्कूलों के दबाव में। पेरेंट्स की लिखित सहमति क्यों जरूरी होना चाहिए? सरकार खुद पुख्ता व्यवस्था कर फिर स्कूल संचालित करवाएं।
18 वर्ष से कम को वैक्सीन नहीं इसलिए चिंता
उधर,  जिला शिक्षा अधिकारी आरएल कारपंेटर ने बताया कि शासन के निर्देश संकुल प्राचार्य के माध्यम से सभी स्कूलों तक पहुंचा दिए है। वैसे सभी स्कूल जागरूक है और शासन के निर्देश से पूरी तरह अवगत है। हालांकि स्कूल संचालकों की कोई बैठक लेकर चर्चा नहीं की है और ना ही इसके निर्देश शासन से मिले थे इसलिए अभी यह जानकारी भी नहीं है कि कल से कौन से स्कूल प्रारम्भ होंगें।

इन बातों का रखना होगा ध्यान
स्कूलों में प्रार्थना सभा सहित सामूहिक गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी।
बच्चे एक जगह एकत्र न हो, इसका ध्यान रखना होगा।
स्कूल वाहन भी 50 फीसदी क्षमता के साथ संचालित होंगे। इसमें 1 फीसदी सोडियम हाइपोक्लोराइड करना होगा।

Chania