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2004 में कराई थी मुक्त लेकिन फिर से कब्जा कर खेल मैदान बना लिया
मंदसौर जनसारंगी।
अवैध अतिक्रमण हटाऐ जाने की मुहिम के तहत मंगलवार को जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाहीं करते हुए बायपास के निकट स्थित पूर्व मंत्री नरेन्द्र नाहटा के एमआईटी कॉलेज से जुडी लगभग 6.075 हेक्टेयर भूमि का भौतिक सत्यापन कर उस पर कब्जा लिया। इस भूमि को दो तरफ दीवार और तारफेसिंग कर खेल मैदान व खेती के उपयोग लिया जा रहा था। पहले कलेक्टर न्यायालय ने यहां 15 एकड़ भूमि पर एमआइटी प्रबंधन का आधिपत्य माना था वहीं इससे लगी 15 एकड़ भूमि शासकीय बताई थी। इस आदेश पर न्यायालय में भी अपील की गई थी। वहां भी अपील स्वीकार नहीं की गई थी। 2015-16 में अपील खारिज होने के लगभग पांच साल बाद जिला प्रशासन ने मंगलवार को कार्रवाई की है। साल 2020 में भी शासन के राजस्व विभाग ने कलेक्टर मंदसौर को पत्र लिखकर भूमि के सम्बन्ध में वस्तुस्थिति से अवगत कराया था।
मंदसौर एसडीएम बिहारीसिंह ने बताया कि मंगलवार को राजस्व विभाग एवं पुलिस विभाग की टीम ने सामूहिक रुप से कार्यवाही करते हुए बायपास पर एमआइटी परिसर से लगी 6.075 हेक्टेयर भूमि का भौतिक सत्यापन करके उस पर कब्जा किया गया है। वर्तमान में भूमि की कीमत लगभग 60 करोड़ रुपये हैं। यह भूमि सर्वे नंबर 1/1 में से रकबा 3.135 हेक्टेयर तथा सर्वे नंबर 1892 में से रकबा 2.940 हेक्टेयर इस तरह कुल रकबा 6.075 हेक्टेयर भूमि है। पूर्व में भी इस भूमि का कब्जा शासन ने एमआइटी संस्था से 19 नवंबर 2004 को अपने पक्ष में लिया था। इस भूमि का पूर्व में किए गए कब्जे के अनुसार भौतिक सत्यापन किया गया है। भूमि पर पेवर ब्लाक, खेल मैदान व बाउंड्रीवाल बनाकर जो भी निर्माण किए गए थे। उनको साफ कर दिए गए हैं। अब इस जगह का शासन के पक्ष में किसी महत्वपूर्ण परियोजना के लिए उपयोग होगा। उक्त भूमि पर कब्जा करके उसके चारों तरफ चिन्ह भी लगा दिए हैं। ताकि फिर से कोई कब्जा नहीं कर सकें। इस दौरान अपर कलेक्टर आरपी वर्मा, तहसीलदार मुकेश सोनी सहित पुलिस अधिकारी भी उपस्थित थे।
उल्लेखनिय है कि इस भूमि को शासन ने 2004 में एमआईटी के कब्जे से मुक्त कराया था लेकिन इसके बाद भी एमआईटी ने इस भूमि को अपनी बताकर कब्जा किया था इसके दो तरफ दीवार तथा दो तरफ वॉयर फैंसिग कर इसे खेल मैदान और खेती के उपयोग में इस भूमि को लिया जा रहा था। बताया जाता है कि इस भूमि के एमआईटी के आवंटन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कार्यकाल में प्रकिृया आगे भी बडी थी लेकिन केबिनेट ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था लेकिन फिर भी भूमि एमआईटी के ही कब्जे में थी जिसे मुक्त कराने के लिए राजस्व और पुलिस का अमला मंगलवार की सुबह करीब साढ़े नौ बजे दल-बल के साथ मौके पर पहुंचा और शाम 5 बजे तक चली कार्रवाहीं के दौरान इसे पूरी तरह से मुक्त करा लिया।
उधर शासन द्वारा मुक्त कराई गई भूमि को लेकर मंदसौर विश्वविद्यालय के कुलाधीपति और पूर्व मंत्री नरेन्द्र नाहटा से भी उनका पक्ष जानने के लिए दुरभाष पर संम्पर्क की कोशिश की लेकिन उनका फोन नो रिप्लाय हुआ।
शासन ने कलेक्टर को कराया अवगत, भूमि आवंटन नहीं हुआ
इस भूमि को लेकर मध्यप्रदेश शासन के राजस्व विभाग ने कलेक्टर मंदसौर को पत्र क्रमांक 1515/1404/2019/सात/शाखा-3 दिनांक 18 जनवरी 2020 के माध्यम से अवगत कराया था कि मंदसौर इंस्टीटयूट ऑफ टैक्नालाजी की स्थापना राज्य शासन के निर्णय के आधार पर वर्ष 1996 में की गई थी। राज्य शासन के निर्णय के आधार पर वर्ष 1996 में की गई थी। राज्य शासन के निर्णय अनुसार संस्था को 15 एकड भूमि निःशुल्क आवंटित की गई है। मप्र शासन राजस्व विभाग द्वारा वर्ष 2003 में प्रस्तुत मंत्रिपरिषद के लिए संक्षेपिका में सस्था को भूमि आवंटन प्रस्ताव में वर्ष 2001 में जारी जनशक्ति नियोजन विभाग के पत्र का लेख नहीं है, परन्तु संक्षेपिका में 1996 के शासन के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में वर्ष 2001 में जारी आदेश के सन्दर्भ में ही वर्ष 2003 में आवंटन हेतु शासन के कार्य आवंटन नियम अनुसार सभी कार्यवाहीं की गई है। अतः वर्तमान में संस्था को अतिरिक्त 15 एकट भूमि देने का कोई प्रकरण राज्य शासन के समक्ष लंबित नहीं है एवं न ही पूर्व में कभी राज्य शासन द्वारा 30 एकड भूमि संस्था को आवंटित की गई है।

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