Thursday, May 2nd, 2024 Login Here
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मोहन सेन कछावा


मल्हारगढ़ दीपावली सबसे बड़ा त्यौहार महापर्व माना जाता है धनतेरस से दीपावली की शुरुआत हो जाती है नगर के अंदर पिछले 2 वर्षों से कोरोना की वजह से दीपावली का पर्व सही ढंग से नहीं मनाता इस वर्ष बहुत ही भारी उत्साह के साथ नगर के अंदर आसपास के गांव में यह पर्व धूमधाम से मनाया गया और मल्हारगढ़ नगर के अंदर सभी प्रकार की दुकान है पर भारी भीड़ रही मिठाई की दुकान बर्तन की दुकान ज्वेलरी की दुकान और मिट्टी मिट्टी से बनाए हुए दीपक भी खूब बिके और कपड़े की दुकान है मनिहारी की दुकान है फल फ्रूट की दुकान है और फूल माला की दुकान  पर भारी भीड़ रही और लोगों ने जमकर खरीददारी की और इसकी शुरुआत 2 नवंबर को धनतेरस और कुबेर जी पूजा होती है जा जा कुबेर भगवान के मंदिर है सुख समृद्धि के लिए पूजा अर्चना की गई और आयुर्वेद के जन्मदाता भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है मल्हारगढ़ में मालवा प्रांत आरोग्य भारती के अध्यक्ष डॉ विष्णु सेन कच्छावा के निवास पर महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 सुरेशानंदजी शास्त्री के मुख्य अतिथि में एवं मल्हारगढ़ तहसील राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघचालक ओम प्रकाश बटवाल  की अध्यक्षता में भगवान धन्वंतरि का पूजन समारोह संपन्न हुआ 3 नवंबर को रूप चौदस का पर्व मल्हारगढ़ नगर में और आसपास क्षेत्रों में बहुत ही धूमधाम से मनाया गया रूप चौदस सुख संपन्न का प्रसन्नता और सफलता का त्योहार माना जाता है इस त्यौहार को माताएं बहने नवीन वस्त्र धारण कर सिंगार कर अपने परिवार समाज और देश में सुख शांति और समृद्धि हो इसके लिए मनाया जाता है और मनाया गया 4 नवंबर को देश का सबसे बड़ा त्यौहार दीपावली पूरे साल घर में खुशियां और रोशनी  जगमगाती रहे इसके लिए सभी घरों के अंदर विद्युत सज्जा की गई सभी घरों में राग रोगन किया गया और घरों को सजाया गया तभी माताएं बहने बच्चे पुरुष सभी नवीन वस्त्र धारण कर सभी मंदिरों में दीपक मिट्टी के  तेल डाल करके मंदिरों पर जाकर भगवान को दीप प्रज्वलित कर उसके बाद अपने घरों में सभी तरफ दीपक लगाए गए जिसकी छटा देखते ही बनती है  रात्रि में शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी माता जी की शुभ मुहूर्त में पूजा अर्चना की गई और विनती की गई कि घर परिवार समाज और देश में सुख शांति और समृद्धि बनी रहे इसकी कामना की गई और हर घर के अंदर बहुत ही उत्साह पूर्वक पटाखे फोड़े गए आतिशबाजी की गई और मिठाइयां बनाई गई और एक दूसरे को मिठाई खिलाकर दीपावली की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं दी गई और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की 5 नवंबर को गोवर्धन पूजा नगर और क्षेत्र में प्रात से ही माताएं बहने नहा धोकर नवीन वस्त्र धारण कर मंदिर जाकर फिर गोवर्धन पर्वत की आकृति गाय के गोबर से अपने घर के सामने बनाई गई और उनका पूजन विधि-विधान और पूजा सामग्री से किया गया पुराना शास्त्रों में लिखा हुआ है कि भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल को बचाने के लिए क्योंकि वहां के लोगों ने इंद्र की पूजा ना करते हुए और धन पर्वत की पूजा की तो इंद्र भगवान नाराज हो गए और भारी वर्षा की गोकुल और वृंदावन को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा कर के वहां के लोगों को उस बरसात बचाया था भारी बरसात तब से ही गोर्धन पूजा का रिवाज चला आ रहा है और शाम को बेल पूजा जाते हैं बैलों और गायों को मेहंदी लगाई जाती है बेड़े बांधे जाते हैं उनके सिर पर और फिर उनको नीला दिला करके उनकी पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें मिठाई और लापसी का प्रसाद खिलाया जाता है 6 नवंबर को भाई दूज मनाई  जाएगी उसमें भाई अपने बहन के यहां नवीन वस्त्र लेकर जाता है और बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है यह भाई बहन का त्योहार स्नेह का त्योहार है इससे भाईचारा बढ़ता है और भाई बहन का अटूट रिश्ता बना रहता है जिस प्रकार से 5 दिन से दीपावली महापर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया गया है और आने वाले समय में समाज और देश आगे बढ़े उसकी कामना सभी ने की
Chania