Monday, May 6th, 2024 Login Here
मंदसौर जनसारंगी।
नेहरु बस स्टैंड पर दुकान में बैठे व्यापारी डर के साये में पूरा दिन निकालते हैं। इसका कारण है दुकान के बाहर मौजूद जर्जर सडक़ से वाहनों के कारण पत्थरों का दुकान में उडक़र जाना। इन पत्थरों के कारण कई बार व्यापारी चोटिल हो चुके हैं। शो केस का कांच हो या दुकान का अन्य सामान, कई बार इस सडक़ के कारण व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ता है। सीएम हेल्पलाईन, जनसुनवाई, जनप्रतिनिधियों से गुहार और अधिकारियों तक से शिकायत व्यापारी कर चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी व्यापारियों की पीड़ा कोई सुनने को तैयार नहीं है।
सालों से नेहरु बस स्टैंड के व्यवसायी डर के साये में जीवन जी रहे हैं। पहले बारिश के समय यहां तीन महिने ग्राहक तो दूर, दुकानदारों का दुकान में प्रवेश करना मुश्किल होता था। इसके बाद इस साल नाला निर्माण कर सालों की समस्या से निजात तो दिलाई, लेकिन जर्जर सडक़ की समस्या को दूर नहीं किया जा सका। कंकड़ पत्थर इस सडक़ पर कई बार बसों या अन्य वाहनों के टॉयरों में आकर दुकान में घुस जाते हैं। जिससे दुकान में कभी कांच फूट रहा है तो कभी व्यापारी का सिर। यहां उडऩे वाली धूल अस्थमा जैसी बीमारी को बुलावा दे रही है। दिनभर वाहनों के कारण उड़ रही धूल से व्यापारी मुंह पर रुमाल डालकर बैठने को मजबूर हो रहे हैं। अभी कुछ दिनों पहले नाला निर्माण किया गया था। उस समय यहां सडक़ निर्माण का कार्य भी हो सकता था, लेकिन जिम्मेदारों ने इसी और ध्यान नही दिया।
सीएम हेल्पलाईन में की शिकायत
समस्या से निजात दिलाने के लिए जनसुनवाई हो या सीएम हेल्पलाईन। सभी जगहों पर व्यवसायी कोशिश कर चुके हैं। सीएम हेल्पलाईन में शिकायत के बाद अधिकारी दुकानदार के पास पहुंच जाते हैं। इसके बाद उन्हें सडक़ निर्माण का आश्वासन मिलता है। दुकानदार से मिन्नतें कर आश्वासन देते हैं। बाद में शिकायत वापिस लेने के लिए कहते हैं। शिकायत उठाने के बाद स्थिति जस की तस बनी हुई है।
दीपावली पहले जनसुनवाई में लगाई गुहार
12 अक्टूबर को व्यापारियों ने फिर से कलेक्टोरेट पहुंचकर जनसुनवाई में शिकायत की। जिसमें बताया कि मार्ग पर बसों का आवागमन अधिक होने के कारण रोड की गिट्टी से दुकान संचालकों के काउंटर या कांच को नुकसान हो रहा है। पत्थरों से हमेशा चाटिल होने का खतरा बना रहता है। साथ ही रोड पर फूटी हुई पानी की पाईप लाईन भी दुरुस्त कराई जाए। दीपावली पहले रोड का निर्माण करने की मांग व्यापारियों ने की थी। लेकिन व्यापारियों की गुहार नहीं सुनी गई।