Monday, May 6th, 2024 Login Here
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मध्य प्रदेश /  कोरोना से मौत पर परिजनों को 50 हजार रुपए का मुआवजा (अनुग्रह राशि) दिया जाएगा। राज्य सरकार ने इस संबंध में कलेक्टरों को निर्देश जारी कर दिए हैं। इसमें कहा गया है कि मुआवजा पाने के लिए डेथ सर्टिफिकेट में कोविड से मौत दर्ज होना जरूरी नहीं है। दस्तावेज प्रमाणित करने के अधिकार कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी को दिए गए हैं। यह कमेटी 30 दिन में निर्णय करेगी। नए नियम 31 दिसंबर तक लागू रहेंगे।

बता दें कि सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक कोरोना से अब तक प्रदेश में 10,526 मौंतें हो चुकी हैं। इसके अलावा भी इस महामारी से कई लोगों की मौत हुई हैं, लेकिन सर्टिफिकेट में इसका उल्लेख नहीं किया गया। अगर आपके यहां भी किसी की मौत कोरोना से हुई है, तो जानिए क्या है गाइडलाइन व मुआवजा पाने की पूरी प्रोसेस …

ऐसे मिलेगा सरकार से मुआवजा
मृतक के परिजनों को मुआवजे के लिए डेथ सर्टिफिकेट पेश करना होगा। राज्य सरकार यह पैसे स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड (SDRF) से देगी। डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी पैसों का वितरण करेगी। दावेदार संबंधित अथॉरिटी के सामने जरूरी दस्तावेज और डेथ सर्टिफिकेट पेश करेगा। दस्तावेज पेश होने के बाद उसे वैरिफाई किया जाएगा। इसके बाद 30 दिनों में अनुग्रह राशि दी जाएगी। यह राशि आधार से लिंक होगी। डायरेक्टर बेनिफिट ट्रांसफर प्रोसेस से मृतक के परिजनों को सीधे बैंक खाते में यह राशि मिलेगी।
डेथ सर्टिफिकेट नहीं है तो…
ऐसे प्रकरण, जहां एमसीसीडी यानी डेथ सर्टिफिकेट में कोरोना का उल्लेख नहीं है या मृतक के वारिस का उल्लेख सर्टिफिकेट में नहीं है, तो जिलास्तर पर गठित कोरोना संक्रमण कमेटी से मृत्यु प्रमाणित करने के लिए आवेदन कर सकेंगे।

यह होगी जिला स्तरीय समिति
सरकार के निर्देश के मुताबिक, हर जिले में कमेटी बनाई जाएगी। इसमें अतिरिक्त जिला कलेक्टर, सीएमएचओ, जिला स्वास्थ्य अधिकारी या मेडिकल कॉलेज प्राचार्य या एचओडी (जिले में मेडिकल कॉलेज होने की स्थिति में) और विषय विशेषज्ञ सदस्य होंगे।

इस प्रक्रिया का पालन करना होगा
कमेटी द्वारा प्रक्रिया का पालन कर प्रकरणों का निस्तारण किया जाएगा। अगर कमेटी को यह मिलता है कि प्रकरण में मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई, तो प्रमाण पत्र जारी करेगी। इसके लिए सभी दस्तावेजों व परिस्थितियों का सत्यापन कमेटी द्वारा किया जाएगा। कमेटी द्वारा प्राप्त सभी प्रकरणों का निस्तारण 30 दिन में किया जाएगा। समिति द्वारा जन्म मृत्यु पंजीयन रजिस्ट्रार को भी भेजा जाएगा।

ऐसी मौत पर नहीं मिलेगी मुआवजा
    जहर, दुर्घटना, आत्महत्या या मर्डर को कोविड से मौत नहीं माना जाएगा। भले ही व्यक्ति उस समय कोविड से संक्रमित हो।
    ऐसे व्यक्तियों व शासकीय कर्मियों के वारिसों को, जिन्हें मुख्यमंत्री कोविड 19 योद्धा कल्याण योजना, मुख्यमंत्री अनुकंपा नियुक्ति योजना या मुख्यमंत्री कोविड 19 अनुग्रह योजना का लाभ दिया गया है अथवा जो इन योजनाओं में लाभ के लिए पात्र हैं, उन्हें यह मुआवजा नहीं मिलेगा।
    प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत लागू बीमा योजना के तहत शामिल शासकीय कर्मी इसके लिए पात्र नहीं होंगे।

यह अवधि तय हुई

कोविड से मौत के लिए दी जाने वाली राशि के लिए नियत तिथि की गणना कोविड-19 संक्रमण का देश में प्रथम प्रकरण आने की तारीख से होगी। अनुग्रह राशि का प्रावधान कोविड-19 संक्रमण को महामारी के रूप में अधिसूचना रद्द करने अथवा अनुग्रह राशि के संबंध में आगामी आदेश, जो भी पहले हो, तक लागू रहेगा।

इस क्रम में राशि प्राप्त करने की होगी पात्रता

1- मृतक की पत्नी/ पति (जैसी भी स्थिति हो) प्रथम हकदार होंगे।

2- यदि पत्नी व पति नहीं है, तो अविवाहित विधिक संतान को पात्रता होगी।

3- यदि संतान नहीं है, तो माता-पिता को राशि दी जाएगी।

यह होगी प्रक्रिया

कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) द्वारा राशि स्वीकृत की जाएगी। आवेदन का निराकरण आवेदन पत्र के साथ दिए गए दस्तावेज प्रस्तुत करने की तारीख से 30 दिन में किया जाएगा।
 
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों कोविड से मृत्‍यु होने पर पीड़‍ित परिवार को 50,000 रुपए की अनुग्रह राशि दिए जाने को मंजूरी दे दी है। यह राशि राज्‍य सरकारें अपने आपदा प्रबंधन कोष से देगी। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) को आवेदन करने के 30 दिन में मुआवजा देना होगा। कोर्ट ने कहा कि राज्‍य या केंद्र सरकार अलग से भी मुआवजे की राशि बढ़ा सकती है।

इस आधार पर मुआवजा देने से मना नहीं कर सकती सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई राज्य सरकार इस आधार पर मुआवजा देने से मना नहीं कर सकती कि डेथ सर्टिफिकेट में कोविड को मौत की वजह नहीं बताया गया है। अगर सर्टिफिकेट पहले ही जारी किया जा चुका है और परिवार के किसी सदस्‍य को आपत्ति है, तो वह संबंधित अथॉरिटी में अपील कर सकते हैं। RT-PCR जैसे जरूरी दस्‍तावेज दिखाने पर अथॉरिटी को डेथ सर्टिफिकेट्स में बदलाव करने होंगे। अगर इसके बाद भी परिवार को आपत्ति है, तो वह ग्रिव्यांस रिड्रेसल कमेटी के सामने जा सकता है।

गृह मंत्रालय ने जारी किया था सकुर्लर

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सकुर्लर जारी किया था। गृह मंत्रालय ने आदेश में कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय परिषद द्वारा 3 सितंबर को जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, उन मृतक के परिजनों के लिए भी अनुग्रह राशि लागू होती है, जो लोग राहत कार्यों या फिर तैयारी की गतिविधियों में शामिल थे। उनकी मौत को भी कोविड-19 के रूप में प्रमाणित किया जाता है।
Chania