Friday, May 3rd, 2024 Login Here
मध्य प्रदेश में विपणन समितियों की अनुपयोगी भूमि के उपयोग को लेकर तैयार किया प्रस्ताव।
भोपाल (राज्य ब्यूरो)। प्रदेश में सहकारिता विभाग पहली बार निजी सहभागिता से काम करेगा। विपणन सहकारी समितियों की अनुपयोगी भूमि पर व्यावसायिक गतिविधियों के लिए भवन बनाए जाएंगे। साथ ही मांग के आधार पर व्यावसायिक सह आवासीय भवन भी बनाए जाएंगे। भवन निर्माण के लिए पहली प्राथमिकता राज्य सहकारी आवास संघ को दी जाएगी। इसके बाद निजी सहभागिता के तहत एजेंसी का पारदर्शी तरीके से चयन किया जाएगा। सहकारिता विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है।
प्रदेश में 282 विपणन सहकारी समितियां हैं। इनमें से 210 के पास दो से तीन एकड़ भूमि है लेकिन समितियों की स्थिति अच्छी नहीं है। अधिकांश बैंकों की डिफाल्टर हैं इसलिए इनकी गतिविधियां भी ठप पड़ी हुई हैं। उधर, रायसेन जिले में उदयपुरा विपणन सहकारी समिति की भूमि विक्रय के मामले में अनियमितता सामने आ चुकी है। इसे देखते हुए सहकारिता विभाग ने निजी सहभागिता से समितियों की भूमि का उपयोग भवन निर्माण सहित अन्य गतिविधियों के लिए करने का प्रस्ताव तैयार किया है।
विभाग के संयुक्त पंजीयक अरविंद सिंह सेंगर ने बताया कि सरकार ने निजी सहभागिता से विकास की गतिविधियों को बढ़ावा देने की कार्ययोजना बनाई है। सभी विभागों से कहा गया है कि वे विभागीय बजट से इतर भी वित्तीय संसाधन की व्यवस्था करके अनुपयोगी भूमि का उपयोग सुनिश्चित करें। इसे ध्यान में रखते हुए विपणन सहकारी समितियों के पास उपलब्ध भूमि का उपयोग करने की योजना बनाई गई है।
210 सहकारी समितियों के पास दो से तीन एकड़ भूमि उपलब्ध है। अधिकांश समितियों की भूमि ऐसी जगह पर है, जहां इनका व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है। तय किया गया है कि पहले चरण में व्यावसायिक उपयोग के लिए भवन बनाए जाएंगे। आवास संघ अपने संसाधनों से जहां भवन बना सकेगा, वहां काम करेगा। अन्य स्थानों पर निजी सहभागिता से निर्माण कार्य कराए जाएंगे। इसके लिए एजेंसी का चयन निविदा के माध्यम से किया जाएगा। इससे जो राशि प्राप्त होगी, उससे उपयोग समितियों की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा।
सहकारी समितियों में बनाए जा रहे हैं गोदाम
उधर, सहकारिता विभाग प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के पास उपलब्ध भूमि पर गोदाम बनाने का काम भी कर रहा है। इसके लिए कृषि अधोसंरचना निधि के माध्यम से समितियों को राशि भी उपलब्ध कराई गई है। गोदाम में किसान एक निश्चित शुल्क देकर अपनी उपज रख सकेंगे।