Thursday, May 2nd, 2024 Login Here
पांच साल में 40.8 फीसदी से बढ़कर 52.3 पर पहुंचा आंकडा
मंदसौर जनसारंगी।
मंदसौर, नीमच, रतलाम जैसे जिलों के प्रायवेट अस्पतालों में 5 सालों के दौरान ऑपरेशन से प्रसव के मामले तेजी से बढ़े हैं। हालांकि इस सरकारी अस्पतालों में भी सीजेरियन डिलीवरी केस ज्यादा ही हुए हैं। आंकड़े दर्शाते हैं कि महज पांच साल में खासकर प्रायवेट अस्पतालों में यह ग्राफ 40.8 फीसदी से बढक़र 52.3 पर पर आ पहुंचा, जबकि सरकारी संस्थाओं में बर्थ डिलीवरी 5.8 फीसदी से बढक़र 8.2 तक आ पहुंची है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 में केंद्र सरकार ने राज्यों और जिलों के औसत के साथ यह आंकड़े जारी किए हैं। जिससें साफ तौर पर ऑपरेशन केस बढऩा सामने आया है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 में केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में ये साफ है कि साल 2015-16 के दौरान संस्थागत प्रसव 80.8 फीसदी हुआ करता था, जो साल 2020-21 के सर्वे में बढक़र 90.7 फीसदी पर आ पहुंचा है। इसमें 95.8 फीसदी मामले शहरी जबकि 89.2 फीसदी केस ग्रामीण इलाके के हैं। इस दौरान घर में जन्मे बच्चे को लेकर भी रिपोर्ट आई है, साल 2015-16 में यह औसत 2.3 था जो अब बढक़र 2.5 पर आ चुका है। खासकर मंदसौर, नीमच, रतलाम जैसे जिलों में पिछले सालों में निजी अस्पतालों की संख्या खासी बढ़ी है, यही कारण रहा कि निजी अस्पतालों में बर्थ डिलेवरी ऑपरेशन से होने का औसत 5 सालों में खासा बढ़ा है, साल 2015-16 में निजी अस्पतालों में जहां 40.8 फीसदी डिलेवरी ऑपरेशन से होती थी वहीं अब आंकड़ा 52.3 पर आ चुका है, इसमें 51.4 फीसदी हिस्सा शहरी जबकि 53.2 फीसदी मामले ग्रामीण क्षेत्र के हैं। इसी तरह सरकारी संस्थाओं मे भी ऑपरेशन से डिलेवरी के मामले बढ़े हैं, साल 2015-16 में यह अनुपात 5.8 था, जो अब 8.2 पर आ गया, इसमें शहरी क्षेत्र में 15.3 मामले आए हैं, जबकि ग्रामीण एरिया से जुड़े केस 6.5 हैं। यह आंकड़े मंदसौर, नीमच, रतलाम समेत सभी जिलों के औसत के आधार पर मप्र के स्वास्थ्य विभाग ने तैयार किए और केंद्र ने ताजा रिपोर्ट में इसे जारी किया है।