Monday, May 6th, 2024 Login Here
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मंदसौर जनसारंगी।
 जिला अस्पताल में हुई बालिका की मौत के मामले में कलेक्टर ने स्टॉफ नर्स को निलंबित कर दिया। इस पूरे मामले में निलंबन और डॉक्टर को एक नोटिस देकर  ठंडे छिटें डाल दिए गए। जबकि प्रशासन खुद मान रहा है कि साढ़े तीन घंटे तक बालिका अस्पताल में थी। ऐसा तो नहीं कि उसकी तबीयत अचानक बिगड़ी और मौत हो गई। गंभीर स्थिति होने पर ही बालिका को अस्पताल लाया गया था। बालिका की मौत के बाद साफ जाहिर है कि बालिका को उपचार मिलना तो दूर डॉक्टर ने उसे देखा भी नहीं। अगर चिकित्सक उसे देखते तो उपचार करते या फिर रेफर करते। कुल मिलाकर बड़ी लापरवाही अस्पताल स्टॉफ की देखी गई और अब मामले में कोई जांच की प्रक्रिया भी नहीं की गई।
मंदसौर निवासी कन्हैयालाल राठौर की 13 साल की बेटी वंशिका को सिर दर्द हुआ था। जिसे रविवार दोपहर निजी अस्पताल ले गए थे। जब एक घंटे तक स्वास्थ्य में सुधार नहीं आया तो परिजन बच्ची को जिला अस्पताल ले आए। यहां बेहोश होने के कारण उसे महिला मेडिकल वार्ड में भर्ती किया। यहां ड्यूटी डॉक्टर राकेश पाटीदार ने इलाज किया था। शाम को तेज सिर दर्ज होने लगा। ब्लडप्रेशर 200 पार हो गया था। इस पर डॉक्टर रोहित हरगौड़ को कॉल किया गया। साथ ही परिजनों ने इमरजेंसी रूम में ड्यूटी दे रहे डॉ. घनश्याम पाटीदार को बुलाया। डॉ. पाटीदार के अनुसार वे चेकअप करने गए तो नर्स ने इनकार कर दिया। इन्हीं सब के दौरान बच्ची ने दम तोड़ दिया।मंदसौर जिला अस्पताल में डॉक्टर और नर्स की लापरवाही से 13 वर्षीय किशोरी की मौत के मामले में कलेक्टर गौतम सिंह ने स्टाफ नर्स पूजा चौकसे को निलंबित कर दिया। जबकि, घनश्याम पाटीदार को शोकाज नोटिस दिया है। कलेक्टर गौतम सिंह ने बताया की यह एक गंभीर लापरवाही है। खास तौर से जब किसी व्यक्ति जिंदगी की बात हो।
साढ़े तीन घंटे तक बालिका रही अस्पताल में
2.25 बजे वंशिका राठौर को सिरदर्द की शिकायत के बाद जिला अस्पताल भर्ती किया गया। नर्स ने ड्यूटी पर मौजूद डॉ घनश्याम पाटीदार को उपचार करने से मना किया। ५.५० बजे मेडिकल वार्ड के डयूटी चिकित्सक डॉ रोहित हरगौड मरीज को देखने पहुंचे। तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। अब प्रश्न यह उठता है कि ढाई बजे मरीज अस्पताल में भर्ती हो चुका था। वाजिब है कि बालिका की तबीयत गंभीर थी। इसके बाद मेडिकल वार्ड के डयूटी चिकित्सक डॉ हरगौड को कॉल भी किया गया होगा। प्रशासन के अनुसार ५.५० बजे डॉ हरगौड अस्पताल पहुंचे। तब तक बालिका की मौत हो चुकी थी। मतलब लगभग साढ़े तीन घंटे बालिका अस्पताल में भर्ती रही। उसे इस दौरान उचित उपचार नहीं मिला और उसकी मौत हो चुकी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि बालिका की हत्या हुई है। ऐसे में नर्स को सिर्फ निलंबित करने से इंसाफ कहा से मिल पाएगा। साढ़े तीन घंटे में क्या किया गया, उसका उपचार किसने किया, उपचार की जिम्मेदारी किसकी थी, यह सभी प्रश्न खड़े हो रहे हैं। इसके लिए एक जांच कमेटी बनाने की जरुरत है। साथ ही सिर्फ निलंबन ही रहीं, बल्कि दोषियों पर हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए।
स्टॉफ नर्स और डॉक्टर के बीच चल रहा विवाद
सिविल सर्जन डॉ डी.के.शर्मा ने बताया कि स्टॉफ नर्स पूजा चौकसे और डॉ घनश्याम पाटीदार के बीच पहले से विवाद चल रहा था। सिविल सर्जन भी स्टाफ नर्स का बचाव करते दिखे। उनका कहना है कि जब स्टॉफ नर्स ने खुद काल कर डॉ पाटीदार को बुलाया तो वह इलाज करने से कैसे मना कर सकती हैं। जबकि, डॉ घनश्याम पाटीदार को बालिका के परिजनों ने बुलाया था। हालत गंभीर होने के कारण रिपोर्ट आने के 20 मिनट बाद नर्स ने डॉक्टर को कॉल कर के बुलाया। यह भी नर्स की बड़ी लापरवाही रही। नर्स और डॉक्टर के बीच पहले से चल रहे विवाद और लापरवाही के बीच इलाज न मिल पाने के कारण बच्ची ने दम तोड दिया।

अव्यवस्थाओं का शिकार बन गया मंदसौर का बड़ा अस्पताल!

मंदसौर। इन दिनों जिला अस्पताल अव्यवस्थाओं का शिकार है, जहां शासन द्वारा लाखों रूपयों की मशीने दिए जाने के बाद भी मरीजों को उपचार की सुविधाएं नहीं मिल रही, उल्टा उनके साथ लूटखसौट मची हुई है। अंदर प्रवेश होते ही वाहन स्टैंड पर अवैध वसूली, इसके बाद ओपीडी शुल्क के नाम पर काउंटर पर वसूली, बाद मेें स्टॉफ की चिल्लाचौट के साथ अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ रहा है।
अव्यवस्थाओं का पर्याय बन चुका है जिले का पांच सौ बेड का जिला अस्पताल। यहां पर वाहन स्टैंड से ही वसूली का काम शुरु होता है और पर्ची काटने तक अवैध रूप से वसूली होती है। सबसे पहले बात करें वाहन स्टैंड की, यहां निर्धारित मूल्य पांच रुपए तय किया गया। इसको लेकर बोर्ड भी लगाया गया है, लेकिन ठेकेदार के कर्मचारी लोगों के साथ बदतमीजी करते हुए दस रुपए ले रहे हैं। इस संबंध में कई लोगों ने अस्पताल प्रबंधन से शिकायत की। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। इसके अलावा अब बात करें पर्ची काउंटर की। ओपीडी में उपचार के लिए या वार्ड में भर्ती होने के पहले काउंटर से एक पर्ची कटवाना होती है। यह पर्ची प्रसूता महिलाओं, साठ साल से ऊपर की उम्र वालों, आयुष्मान कार्ड वालों के लिए बिल्कुल निशुल्क है। अगर पर्ची पर शुल्क लिया जाता है तो उस पर दस रुपए अंकीत करना होता है। अगर पर्ची निशुल्क बनती है तो उस पर जीरो अंकीत करना होता है। लेकिन लोगों को शुल्क में जीरो लिखी पर्ची दी जा रही है और उनसे दस रुपए राशि वसूली जा रही है। निुशल्क पात्रता रखने वालों से भी रुपया लिया जा रहा है और पर्ची पर निशुल्क लिखा जा रहा है। ऐसे एक दिन में कई लोगों के साथ किया जा रहा है। दिनभर में लगभग सभी से दस रुपए की वसूली हो रही है और पर्ची पर जीरो अंकीत कर दिया जा रहा है। इस तरह से यह रुपया ठेकेदार की जेब में जा रहा है।
कांग्रेस नेताओं ने पकड़ा, वापिस कराए रुपए
कांग्रेस नेता लापरवाही से हुई बालिका की मौत के मामले में जिला अस्पताल पहुंचे। यहां पर्ची काउंटर पर चल रही धांधली के बारे में उन्हें पता चला। इसके बाद उन्होंने जांच की तो पूरी सच्चाई का पता चला। एक प्रसूता महिला की पर्ची पर जीरो अंकीत था और उससे राशि ली गई थी। ऐसे अन्य लोग भी मिले। इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने इनके रुपए वापिस दिलाए। लेकिन यह काम रोजाना पर्ची काउंटर पर चल रहा है।
इनका कहना
निशुल्क पर्ची की पात्रता रखने वालों से रुपया नहीं लिया जा सकता। प्रसूता महिला या आयुष्मान कार्डधारी या अन्य पात्रता रखने वालों से रुपया लिया जाना गलत है। अगर ऐसा हो रहा है तो कार्रवाई की जाएगी।
-डीके शर्मा, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल
निशुल्क पर्ची की पात्रता रखने वालों से रुपया नहीं लिया जाता। उनकी पर्ची पर जीरो अंकीत किया जाता है। जिनसे रुपया लिया जाता है उनसे दस रुपए लेकर पर्ची पर दस रुपए अंकीत करते हैं।
समरथ धनगर, ठेकेदार

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