Monday, May 6th, 2024 Login Here
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मंदसौर जनसारंगी।
 शासन व प्रशासन को दिव्यांगों की सुविधा का ख्याल सिर्फ दिन विशेष पर ही आता है। यही कारण है कि प्रशासन चुनाव के दौरान वोट डलवाने के लिए दिव्यांगों को मतदान केंद्र स्थल पर रैंप बनाने के आदेश संबंधितों को जारी कर देता है लेकिन दिव्यांग पूरे साल भर कितने सरकारी कार्यालयों व सार्वजनिक स्थानों पर रैंप न होने से परेशान होता है, इसे कोई नहीं देखता है।
एक बार फिर तीन दिसंबर को विश्व विकलांग दिवस पर शासन प्रशासन द्वारा दिव्यांगों की सुध लिए जाने का दिखावा किया जाएगा। दिव्यांगों के लिए रैली सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। लेकिन उनकी गंभीर समस्याओं की ओर किसी भी विभाग के अधिकारी का ध्यान नहीं है। यही कारण है कि रेलवे स्टेशन हो या बस स्टैंड, जिला अस्पताल हो या सरकारी कार्यालय कहीं भी दिव्यांगों की सुविधा का ख्याल नहीं रखा गया है।
परेशानी कम होने के बजाए और बढ़ी
मौजूदा समय में ट्रेन के अलावा आवागमन का दूसरा माध्यम बसें हैं। लेकिन यहां भी दिव्यांगों की परेशानी कम होने के बजाए और बढ़ी हैं। सबसे पहले तो अव्यवस्थित ट्रेफिक के बीच दिव्यांग को बस स्टैंड के अंदर प्रवेश करना ही चुनौती से कम नहीं है। बस स्टैंड पर यात्री प्रतिक्षालय पर प्रवेश के लिए कोई रेंप नहीं है। नेहरु बस स्टैंड पर बेरिकेडस लगे होने के कारण उन्हें वाहन उसके बाहर खडा करके रेंगते हुए प्रतिक्षालय तक पहुंचना पड़ता है।ऐसे में दिव्यांग को ट्राइसिकिल के साथ यात्री प्रतीक्षालय में जाने में काफी परेशानी आती है।
सिर्फ सीटों पर लिखते हैं आरक्षित
इसके बाद दिव्यांग की अग्नि परीक्षा बस में बैठने में होती है। खास बात यह है कि बस संचालकों द्वारा बसों में सीट के ऊपर तो दिव्यांगों के लिए आरक्षित सीट लिख दिया गया है लेकिन यह सीट उन्हें जरुरत के समय उपलब्ध नहीं होती है। वहीं बस ऑपरेटरों ने दिव्यांगों को बस में बैठने के लिए सुविधाजनक सीढिय़ां भी नहीं लगवाई हैं।
सरकारी कार्यालयों में सिर्फ कागजों में सुविधाएं
शासन के आदेशों का पालन सरकारी विभागों के कार्यालयों मेें ही नहीं किया जा रहा है। दिव्यांगों के लिए जरूरी सुविधाएं सिर्फ कागजों में ही संचालित हो रही हैं। जिसका एक उदाहरण है करोड़ों रुपए की लागत से बनी नवीन कलेक्टोरेट भवन। अंदर प्रवेश के लिए तो रेंप है, लेकिन तीसरी मंजिल तक पहुंचने के लिए सीढिय़ों का ही उपयोग करना होता है।
चोट लगने का पूरा खतरा
जिला अस्पताल में दिव्यांगों को पर्चा बनवाने से लेकर डॉक्टर को दिखाने तक में परेशानी आती है। वहीं नगर पालिका में अधिकारी दूसरे और तीसरे फ्लोर पर बैठते हैं। जहां आने जाने के लिए मात्र सीढिय़ां ही एक माध्यम है। क्योंकि लिफ्ट शुभारंभ होने के बाद ही बंद है। ऐसे में दिव्यांग अपने काम कराने ऊपर नहीं जा पाते हैं। या फिर मजबूरीवश घिसटते हुए सीढिय़ों से ही जाना पड़ता है। ऐसे में उन्हें चोट लगने का पूरा खतरा रहता हैै।
सरकार की गाइड लाइन के तहत विशेष व्यवस्था जरूरी
दिव्यांगों की सुविधा का ख्याल रखते हुए शासन की स्पष्ट गाइड लाइन है कि दिव्यांगों को सडक़ पर चलने से लेकर सार्वजनिक स्थानों, सराकरी कार्यालयों में विशेष व्यवस्था की जाए ताकि उन्हें न तो लाइन में लगना पड़े और न ही उक्त स्थान तक पहुंचने में उसे परेशानी का सामना करना पड़े। गाइड लाइन के तहत रेलवे स्टेशन, जिला अस्पताल, नगर पालिका सहित अन्य कार्यालयों में दिव्यांगों के लिए अलग से विंडों की व्यवस्था किया जाना जरूरी है।
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