Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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न्यायालय ने सुनाई सजा
मंदसौर जनसारंगी।
 जहर देकर पति की हत्या करने के मामले में पत्नी को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। मामले में दो आरोपियों को पहले ही आजीवन कारावास की सजा कोर्ट सुना चुकी है। अपर लोक अभियोजक सुश्री कविता भट्ट ने बताया कि
अखिलेश कुमार धाकड़ अपर सत्र न्यायाधीश, मनासा के द्वारा आरोपीया सरोज पति हरदेव उर्फ हरीश तेली, उम्र- 35 वर्ष, निवासी-सरवानिया महाराज, जिला नीमच को दो अन्य आरोपीयों से मिलकर षडयंत्रपूर्वक उसके पति के खाने में जहर मिलाकर हत्या करके लाश को जंगल में फैंककर साक्ष्य नष्ट करने के आरोप का दोषी पाकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। विस्तृत जानकारी के अनुसार 17 मार्च 2010 को फरियादी देशराज के पास सुबह के लगभग 5रू30 बजे सत्यनारायण ने फोन लगाकर उसकी मारूति वेन की की मांग करते हुए कहा की उसके मिलने वाले को लकवा हो गया हैं, जिसे जोगनिया माता ले जाना हैं, इस पर देशराज ने उसके ड्राईवर श्यामलाल को साथ ले जाने को कहा। ड्राईवर श्यामलाल ने दिन के लगभग 3 बजे आकर देशराज को बताया की आरोपीगण सत्यनारायण, नन्दकिशोर एवं सरोज द्वारा उसे यह बताया कि हरदेव तेली जो की सरोज का पति है वह बीमार हैं उसे मारूति में जोगनिया माता ले जाना हैं किंतु उनके द्वारा जोगनिया माता 4-5 किलोमीटर पहले ही जंगल में रोड किनारे गाडी रूकवाकर कहा कि  हरदेव की मौत हो गई है और उसकी लाश को जंगल में फैककर वापस आ गये। संर्पूण घटनाक्रम संदिग्ध होने से देशराज द्वारा मनासा थाने पर सूचना दी गई व सूचना के आधार पर से जंगल में से मृतक हरदेव तेली की लाश को बरामद कर मर्ग कायम किया गया। मृतक का पोस्टमार्टम करने पर पता चला की उसकी मृत्यु भोजन में सल्फास जहर होने के कारण हुई हैं। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर तीनों आरोपीगण को गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला कि तीनों आरोपीगण द्वारा षडयंत्रपूर्वक मृतक के भोजन में सल्फास जहर मिलाकर उसकी हत्या करते हुए साक्ष्य नष्ट किये जाने के उद्देश्य से उसकी लाश को जंगल में फैंक दिया। विवेचना पूर्णकर अभियोग पत्र मनासा न्यायालय मे पेश किया गया। न्यायालय में विचारण के दौरान 2 आरापीगण सत्यनारायण एवं नंदकिशोर को वर्ष 2012 में आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डित किया गया, किंतु आरोपिया सरोज के फरार हो जाने से उसके विरूद्ध विचारण लंबित रहा, बाद में आरोपिया के गिरफ्तार होने पर उसके विरूद्ध विचारण पुनरू प्रारम्भ हुआ।
अभियोजन द्वारा न्यायालय में विचारण के दौरान फरियादी एवं अन्य महत्वपूर्ण गवाहों के बयान कराये गये। न्यायालय द्वारा कुछ महत्वपूर्ण गवाहों के पक्षविरोधी होने के बावजूद भी परिस्थितीजन्य साक्ष्य के आधार पर आरोपिया को अपराध का दोषी पाते हुये धारा 302, 201 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत आजीवन कारावास व कुल 2000रूपये जुर्माने से दण्डित किया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी सुश्री कविता भटट्, अपर लोक अभियोजक, मनासा द्वारा की गई।

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