Friday, May 3rd, 2024 Login Here
ग्रीष्म ऋतु में आऐ पेयजल संकट के चलते इस बार बारिश थमते ही जागी नपा
मंदसौर जनसारंगी।
चंबल योजना पर पचास करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए। लेकिन अभी भी शतप्रतिशत धरातल पर नहीं उतर पाई है। इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी शिवना के डेडस्टोरेज से पानी उलीचना पड़ रहा है।
चंबल योजना का कार्य महिनों पहले पूरा हो गया है। लेकिन तकनीकी खामियों के कारण चंबल का पानी रामघाट बैराज पर लगातार नहीं आ सका। बारिश से पहले शहर में पेयजल संकट के समय भी चंबल योजना का लाभ शहर को नहीं मिला। बारिश में शिवना नदी के सभी बांध लबालब भरने के बाद नगरपालिका ने ठेकेदार से चंबल योजना में सभी तकनीकी खामियों को दूर करने के लिये निर्देश दिये। दो माह में ठेकेदार ने लाइन को दुरूस्त करने के साथ ही सभी काम पूरे किये। इसके बाद करीब 20 दिन पहले टेस्टिंग शुरू की गई। अब दोनों पंप चल रहे है। इसके बावजूद शहर में प्रतिदिन सप्लाई जितने पानी की आवक नहीं हो रही है। शहर में प्रतिदिन 32 लाख गैलन पानी की सप्लाई होती है। जबकि चंबल से 25 से 30 लाख गैलन पानी की आवक हो रही है।उल्लेखनीय है कि शहर में तीन साल पहले तक 28 लाख गैलन पानी प्रतिदिन नलों के माध्यम से नपा द्वारा सप्लाई किया जाता था। लेकिन अब लगातार बढ़ रहे नल कनेक्शन और पानी की मांग के चलते वर्तमान में नपा द्वारा रामघाट से प्रतिदिन करीब 32 लाख गैलन पानी की नगर में सप्लाई होती है। नगर में 26 हजार से अधिक नल कनेक्शन हैं।
डेड स्टोरेज का पानी उलीच रही नपा
रामघाट बैराज के दूसरी तरफ शिवना नदी के डेड स्टोरेज में भरे पानी को हर साल नगरपालिका जनवरी माह के बाद ही उलीचती है। लेकिन इस वर्ष ग्रीष्म ऋतु में शहर बने पेयजल संकट को देखते हुए नपा ने बारिश थमते ही पानी को बचाने के लिये प्रयास शुरू कर दिये है। रामघाट बैराज के दूसरी तरफ डेड स्टोरेज में भरे पानी को उलीचने के लिये नपा द्वारा 10-10 हॉर्स पावर की तीन पंप लगाये गये है। ये पंप लगातार चल रहे है।