Thursday, May 2nd, 2024 Login Here
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बैंक कर्मियों का केन्द्र सरकार पर हल्ला बोल
मन्दसौर। यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन यूएफबीयू के आव्हान पर देश के 10 लाख बैंक कर्मी दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। दो दिवसीय हड़ताल में मंदसौर जिले के करीब सवा सौ शाखाओं के 1 हजार से अधिक बैंक कर्मियों ने कार्य से विमुक्त रहकर निजीकरण के विरोध में अपने स्वर मुखर किये। मंदसौर के गांधीचौराहे पर दूसरे दिन भी बैंक कर्मियों ने प्रस्तावित बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक के खिलाफ नारेबाजी व प्रदर्शन जारी रखा। 
वक्ताओं ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि यदि बैंकिंग ला अमेडमेंट कानून लागू  होता है तो किसान, श्रमिक, लघु बचत कर्ता, छोटे मध्यम व्यापारी सहित देश की 95 प्रतिशत जनता के हितों पर प्रतिकुल प्रभाव होगा, ग्रामीण क्षेत्रों में शाखाएं बंद हो जाएगी। बैंक ने 2020-21 में 197463 करोड़ का मुनाफा कमाया है, इसी प्रकार पिछले वर्षों में भी लगातार लाभ कमा रहे है किन्तु कारपोरेट्स से ऋण वसूली के स्थान पर निजीकरण के लिये बेेलेंस सीट सुधारने के नाम पर पिछले 7 वर्षों में 1168095 करोड़ रूपये के लोन बट्टे खाते में डाल दिये। जिस दिवालिया कानून का बैंकर विरोध कर रहे थे उसकी आड़ लेकर हेयरकट के नाम पर 90 से 95 प्रतिशत तक कार्पोरेट्स को खराब ऋण में राहत दी गई जो एक बड़ी लूट है। मुनाफा बैंकों ने कमाया जो जनता के लिये था किन्तु चंद कारपोरेट्स के ऋणों को बिना वसूली किये बैंक के लाभ में से निपटा दिये। इन डिफाल्टर कारपोरेट्स की निगाह बैंकों पर है और अब ये बैंकों को निगलने की तैयारी में है। बैंकों में आम जनता का धन जमा है, कारपोरेट्स का नहीं। आम जनता का जमा धन कारपोरेट्स के हाथों में चला गया तो निजी बैंक बंद हो जाये, उनके कई खातदारेंा को मरते दम तक जमा पैसा मिलना मुश्किल हो जाएगा। निजीकरण के नाम पर जनता के साथ धोखाधड़ी हो रही है। 
वक्ताओं ने यह भी कहा कि जो सरकारी बैंकों ने हाल ही में लगभग 47 लाख जनधन खाते खोले है। ये आम गरीब जनता के हैं जो कि कुल जन धन योजना का 97 प्रतिशत भाग है, इसी प्रकार स्ट्रीट वेंडर योजना में कुल वितरित लोन 98 प्रतिशत से अधिक सरकारी बैंकों ने दिये है। निजी बैंकों का योगदान नगण्य है। इससे लगता है कि सरकार को आम आदमी की बजाय कारपोरेटस की चिंता है जिन्हें एयर इंडिया, बैंक, बीएसएनएल, एलआईसी, जीआईसी, पोस्ट ऑफिस सभी को बेचने का सोच लिया है जबकि इनका जिक्र किसी घोषणा पत्र में नहीं है। जनता को दूसरों मुद्दों में भटकाकर छूपे हुए एजेंडे को लागू करना है। 
बैंक कर्मियों में आम जनता से जुड़े इस मुद्दे पर दो दिन की हड़ताल मार्च में की थी और पुनः 2 दिन की हड़ताल अभी की है। बैंक कर्मी इस मुद्दे पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जाने को तैयार है। सरकार को निजीकरण के निर्णय पर पुनर्विचार कर देशहित में इसे वापस लेना चाहिए और प्रायवेट बैंकों को भी सरकार के नियंत्रण में लेना चाहिए जो जनहित में होगा।
संबोधित करने वाले वक्ताओं में महेन्द्रसिंह चन्द्रावत, सुरेन्द्र संघवी, श्रीनिवास मोड़, गजेन्द्र तिवारी, पिंकेश चौहान, शिवराजेन्द्र शास्ता, भरत नागर, अनिल जैन, शैलेन्द्र देशमुख, भोलेश पाठक आदि थे। इस अवसर पर अनिल दोशी, महेश मोदी, मनीष जैन, पवन राठौर, राजेन्द्र गुप्ता, मांगीलाल चौहान, अरविन्द शर्मा, हरिश बैरागी, सत्यनारायण पाटीदार, विजय देवड़ा, अशोक सिंगार, अर्जुन राठौर, संजय शुक्ला, आशीष जोशी, राजेन्द्र जोशी, मुकेश कुमावत, प्रमेश, निशांत कुमार, दीपक शर्मा, प्रतीक एरन, रवि साल्वी, रोशन सेनी, निशा राठौर, प्रियंका पंवार, संतोष गुर्जर, प्रज्ञा जैन, सोनम गुप्ता, सीमा जैन, मुकेश पाठक, सृष्टी चौहान, संजय व्यास, लक्की  सोनी, शैलेन्द्र जैन, कोमल पण्ड्या, कन्हैयालाल जाटव, विप्लव ओझा, रमेश देवड़ा, कमलेश भावसार, हितेन्द्र परमार आदि उपस्थित थे। संचालन जिनेन्द्र राठौर ने किया एवं आभार गजेन्द्र तिवारी ने माना।
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