Friday, May 3rd, 2024 Login Here
मंदसौर जनसारंगी।
तेज रफ्तार से आ रहे बाइक या कार सवार आपको कही ऊपर वाले से मुलाकात नहीं करवा दे। जी हां, शहर हो या जिलेभर की सडक़े, कई नाबालिग तेज रफ्तार में वाहन चलाते हुए देखे जा सकते हेैं। जिले में सडक़ों पर नाबालिग यातायात नियम की धज्जियां उड़ा रहे हैं। यातायात पुलिस ने नियम तो बना दिए हैं, लेकिन लंबे समय से नगर में इनका पालन नहीं हो रहा है। बच्चों के हाथ में वाहन आते ही वे तेज रफ्तार से दौड़ाते हैं। इससे अन्य लोगों की जान खतरे मे पड़ जाती हैं। इसके बावजूद नियम तोडऩे वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जिला सहित कस्बों में भी सडक़ों पर यातायात नियमों का रोजाना उल्लंघन हो रहा है।
सडक़ों पर तेज गति से दौड़ते वाहन यातायात नियमों की धज्जिायां उड़ा रहे हैं। इनमें नए बाइक व स्कूटी चालक बने नाबालिग की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही हैं। इन पर रोकथाम के उपाय पुलिस नहीं कर पा रही है। इनमें अधिकांश संपन्न परिवारों से हैं। उनके पालकों ने बिना मोटर व्हीकल की औपचारिकता पूरी किए बिना ही वाहन थमा दिए हैं। तेज गति से दौड़ते वाहनों में दोपहिया ही नहीं बल्कि कार,जीप, ट्रैक्टर भी शामिल हैं। सवारियां और स्कूली बच्चों से भरे होने के बावजूद गति कम करना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। जिससे वह रास्ते में या मोड पर किसी को टक्कर मार देते हैं। नाबालिग छोटी उम्र में बिना लाइसेंस वाहन चलाकर अपनी जान से तो खिलवाड़ कर ही रहे हैं, वहीं राहगीरों के लिए भी जानलेवा साबित हो रहे हैं। नाबालिगों के हाथ में वाहन थमाने वाले अभिभावक हादसों से सबक लेने के बजाय बेफिक्र नजर आ रहे हैं। परिवहन विभाग की माने तो जिन बच्चों की आयु 18 साल से कम हैं तो संबंधित विभाग की ओर से वह वाहनों का प्रयोग नहीं कर सकता। अगर कोई नियमों की अवहेलना करता है तो संबंधित विभाग की ओर से तीन साल तक की सजा का प्रावधान है, लेकिन सजा किसी को भी नहीं मिली है, जिसके चलते नियम तोडऩे वाले बच्चों व लोगों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। स्कूल के खुलने व छुट्टी के वक्त जिस प्रकार नाबालिग वाहन चालकों की टोलियां सडक़ों पर नजर आती हैं उससे साफ जाहिर है कि सडक़ सुरक्षा सप्ताह के दौरान पुलिस द्वारा स्कूलों में पढ़ाया जाने वाला यातायात नियमों का पाठ सबके सिर के ऊपर से निकल रहा है।
दोस्तों के साथ रेस
शहर में कई बड़े-छोटे विद्यालय हैं, इनमें काफी संख्या में बच्चे दोपहिया वाहन से स्कूल आते हैं। इन बच्चों को न तो ट्रैफिक नियमों का पूरा ज्ञान होता है और न ही ये पूरे ध्यान से वाहन चलाते हैं। ये तेज रफ्तार में वाहन चलाना, दोस्तों के साथ रेस लगाने सहित अन्य यातायात नियमों का उल्लंघन करते रहते हैं, जो स्वयं के लिए खतरनाक तो है ही साथ में अन्य लोगों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
सडक़ दुर्घटनाओं में हो रहा इजाफा
बाइक हादसों में लगातार इजाफा हो रहा है जबकि इस समय लगातार गंभीर सडक़ हादसे हो रहे हैं। तेज गति से दौड़ते वाहनों से आए दिन कोई न कोई चोटिल होता हैं। शहर के किसी भी स्थान पर कम गति से वाहन चलाने के निर्देश के बोर्ड नहीं लगे है। यहां तक अस्पताल या शैक्षणिक संस्थान होने के निर्देश बोर्ड भी नहीं है। बसों, जीप के साथ ही बाइक में लगे प्रेशर हॉर्न लोगों के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस की ओर से यातायात नियमों को तोडऩे वालों पर शिकंजा कसने की बातें हमेशा सुनने को मिलती हैं, लेकिन सडक़ों पर टोलियां बनाकर दोपहिया वाहन दौड़ाते नाबालिगों को देखने पर ये दावे खोखले साबित नजर आते हैं।
तीन साल की सजा, 25 हजार जुर्माने का प्रावधान
सरकार ने नाबालिगों के मामलों को देखते हुए कानून को ओर सख्त करने का काम किया है। संशोधित कानून में 3 साल तक की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि, इस मामले में जितनी जिम्मेदारी प्रशासन की बनती है उतनी ही अभिभावकों की भी, जो नाबालिगों के हाथ में वाहन थमा रहे है। वहीं यातायात विभाग से निर्धारित किए गए नंबर प्लेटों के नियम के मुताबिक नंबर प्लेट सफेद रंग की होनी चाहिए जिसके अंतरराष्ट्रीय भाषा में काले रंग से नंबर स्पष्ट रूप से लिखे होने चाहिए। नंबर किसी भी प्रकार के आडे-तिरछे तरीके से नहीं लिखे होने चाहिए।