Monday, May 6th, 2024 Login Here
श्री गौभक्त माल कथा विश्रांति पर संतश्री का हुआ भव्य अभिनंदन
मन्दसौर।खानपुरा
स्थित श्री रामानुज कोट मंदिर में आयोजित सप्त दिवसीय श्री गौभक्तमाल कथा
का समापन सोमवार की सन्ध्या को हुआ। व्यास पीठ पर विराजित गौभक्त पूज्य
सन्त श्री दशरथानंदजी महाराज ने भगवान श्री लक्ष्मीनारायण एवं गौमाता के
चरण वंदन कर गौमाता की महिमा बताई और कहा कि गौमाता के सामने पूरा राज्य भी
कम है। घर में कितना भी बड़ा वास्तु दोष क्यों ना हो, मनुष्य के गृह कितने
भी खराब क्यों ना हो लेकिन घर के आंगन में गौमाता का निवास बनाने से सारे
वास्तु दोष स्वतः समाप्त हो जाते हैं। तथा गौमाता की सेवा मात्र से सारे
गृह-नक्षत्र ठीक हो जाते है। बावजूद इसके आज गौमाता सड़कों पर घूमने और
गौशाला में रहने को मजबूर है। गौशाला और वृ़द्धाश्रम एक कलंक है, सनातन
धर्म पर एक करारा तमाचा है।
सन्तश्री दशरथानंदजी ने कहा कि जिस
घर में बूजूर्ग और गौमाता की सेवा होती हो वह परिवार हर तरह से सम्पन्न और
प्रसन्न रहता है, गाय जगत की माता है लेकिन फिर भी गौशाला खोलना मजबूरी बन
गया है परन्तु वृद्धाश्रम के कलंक को तो मिटाया ही जा सकता है। गौमाता की
सेवा घर में नहीं कर सकते तो इतना तो किया ही जा सकता है कि जो गौमाता
गौशाला में निवास कर रहीं है उसे वहां पीड़ित ना रहने दिया जाऐ। प्रत्येक
व्यक्ति इतना तो संकल्प ले ही सकता है कि प्रतिदिन गौशाला में जाकर गौमाता
की सेवा करे। आपने कहा कि व्यक्ति विवाह वर्षगांठ, बच्चों का जन्मदिन
इत्यादि मनाने में जितना खर्चा करते है इतना ही खर्च गौशाला में गौमाता की
सेवा पर भी करना चाहिए लेकिन यह सेवा निष्काम भाव से होनी चाहिए। यदि
गौमाता की निष्काम भाव से सेवा की तो मनुष्य की सारी कामनाऐ स्वतः ही पूरी
हो जाऐगी।
गौमाता की महिमा आज से नहीं बल्कि आदि-अनादि काल से
है। श्रीमद् भागवत कथा से लेकर सारे वेद-पुराण, उपनिषदों में गौमाता की
वर्णन है। गौभक्तों का वर्णन है, केवल गौमाता के पंचगव्य में ही इतनी शक्ति
है कि उसका सेवन करने मात्र से मानव के सारे पाप मिट जाते है। गौमाता का
कण-कण पूज्य है, कामधेनु है। मनुष्य गौमाता की सेवा पर जितना खर्च करेंगा
उससे कहीं अधिक तो गौमाता पुनः उसे प्रदान कर देती है। इसलिए प्रत्येक मानव
को यह संकल्प लेना चाहिऐ कि निष्काम भाव से गौमाता की सेवा करें और अपने
घर के बुजूर्गो का भी ख्याल करें।
इस अवसर पर देश में गौहत्या पर पाबन्दी लगाने की केंद्र सरकार से मांग का प्रस्ताव भेजने की भी पहल की गई।
सोमवार
को प्रातः गौमाता की पूजा अर्चना एवं हवन पूर्णाहुति में सपत्निक पं. कमल
आचार्य, आयोजन समिति अध्यक्ष नरेंद्र अग्रवाल, जितेंद्र गहलोत, डॉ दीपक
अग्रवाल, विजय कोठारी, मंगल बैरागी , धनराज धनगर ने लाभ प्राप्त किया।
कथा विश्रांति के बाद आयोजन समिति द्वारा संतश्री को अभिनंदन पत्र
एवं गौमाता की प्रतिमा भेंटकर सम्मान किया गया । अभिनन्दन पत्र का वाचन
समिति अध्यक्ष नरेंद्र अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर नगर के विभिन्न सामाजिक
संगठनों व सेवा भावी संस्थाओं द्वारा सन्त श्री का शॉल श्रीफल भेंट कर व
माल्यार्पण कर सम्मान किया गया। श्री रामानुजकोट मन्दिर खानपुरा, श्री
गोष्ठी मण्डल,श्री तलाई वाले बालाजी मन्दिर ट्रस्ट,सामाजिक समरसता
मंच,मारवाड़ी युवा मंच, गायत्री परिवार,दशपुर जागृति संगठन, दशपुर मंडी
व्यापारी संघ,विनर क्लब,एवं मातृ शक्ति,भारतीय सिंधु युवा शाखा,उत्तरमुखी
बालाजी मन्दिर समिति,शाही पालकी मण्डल, श्री महावीर फतेह करे बालाजी
ग्रुप, गुरु सिंह सभा,श्री सन्त सत्कार समिति, सावित्री शक्तिपीठ
मातृशक्ति,सकल ब्राह्मण समाज,पोरवाल समाज,सर्व ब्राह्मण समाज,संयुक्त माली
समाज,भावसार समाज,सिन्धी समाज,नामदेव समाज, वैश्य महासम्मेलन,अग्रवाल समाज
देशी पंचायत महिला मण्डल, स्वर्णकार समाज महिला मण्डल, मालवीय जीनगर समाज,
श्री हरिकथा आयोजन समिति , आदि संस्थाओं ने सन्त श्री का सम्मान किया।
संचालन वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश जोशी ने किया तथा आभार संजय वर्मा ने माना।
व्यास
पीठ से सन्त श्री ने आयोजन समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र अग्रवाल, पं.सुदर्शन
आचार्य,पं.सूर्यप्रकाश शर्मा, आचार्य विष्णु ज्ञानी, ब्रजेश जोशी का
सम्मान किया। आयोजन समिति ने सभी विद्वान आचार्यो, बटुकों संगीत साधकों को
भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सर्वश्री शिव करण प्रधान,धीरेन्द्र
त्रिवेदी,कृष्णचंद चीचानी,कारूलाल सोनी, डॉ घनश्याम बटवाल, पं. अरुण शर्मा,
सुरेन्द्र आचार्य,जगदीश चन्द्र सेठिया, शिव कुमार फरक्या,पं.दिलीप शर्मा,
रविन्द्र पांडेय, जितेंद गहलोत , जितेन्द्र व्यास, अमरजीत सिंह चावला,
राजमल गर्ग , बंशीलाल टांक ,पिन्टू शर्मा, प्रदीप भाटी,अशोक बघेरवाल, महेश
भावसार, घनश्याम भावसार,गायत्री प्रसाद शर्मा,संजय वर्मा,हेमन्त अग्रवाल,
नरेंद्र त्रिवेदी, सन्तोष गोयल, सुमित मित्तल, कमलेश सिसोदिया, कमल कोठारी,
लोकेश पालीवाल, चेतन जोशी,दिलीप जोशी,बाबूलाल माली, कन्हैया देशमुख,
इन्द्र मोहन सैनी, दाऊ भाई विजयवर्गीय,रमेश काबरा, भगवानदास विजय वर्गीय,
देवेंद्र पौराणिक, सत्यनेंद्रसिंह सोम, सत्यनारायण छापरवाल,सुरेश सोमानी,
अशोक सेठिया, सुभाष खंडेलवाल, राधेश्याम मांदलिया, पं.विनोद शर्मा,नन्दू
भाई आडवाणी,प्रीतम खेमानी,वासुदेव सेवानी,गिरीश भक्तानी, दिलीप सेठिया, डॉ
दिनेश तिवारी, हरिराम जाधव, राजेन्द्र चास्टा, ,जगदीश काला ,विजय
कोठारी,दिनेश चन्दवानी,ब्रजेश मारोठिया , ओमप्रकाश मित्तल, आशीष बंसल, अशोक
गुप्ता, सुभाष तायल, पवन उपाध्याय,आदि प्रमुख थे।