Monday, May 6th, 2024 Login Here
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नपा सभाग्रह के हाल बेहाल, यहीं बैठकर चुने हुए पार्षद करते है विकास पर चर्चा
मंदसौर जनसारंगी।
 शहर के 40 वार्डों और एक अध्यक्ष मिलकर शहर और वार्ड के विकास के दावे करके पार्षद और अध्यक्ष बनते हैं। लेकिन यह 41 लोगों के दावों में कितनी सच्चाई है। यह नगरपालिका का सभागृह बयां कर रहा है। इस सभागृह की बदहाली को दूर इसका विकास यह जिम्मेदार नहीं कर पाए तो सोचिए शहर और वार्डों का विकास कैसे करते?
सरकारी स्कूल का क्लास रुम जहां एक तरफ शिक्षक तो दूसरी तरफ विद्यार्थी कतार बंद बैठते है। किसी को कुछ कहना है तो अपनी बारी का इंतजार करते हुए एक के बाद एक बोलना पड़ता है। इतना हीं नहीं शोरगुल होने पर आवक भी समझ नहीं आती। तो जिस कक्ष में विद्यार्थी बैठे वहां भी समस्या होती है। कुछ ऐसे ही हाल अमृत सिटी में शामिल मंदसौर नगर पालिका के सभागृह की है। क्लास रुम की भांति सभी निर्वाचित पार्षद सामने तो नपाध्यक्ष व सीएमओ ऊपर बैठते है। झुलते विद्युत तार और गुंजती आवाज के बीच पानी से लेकर बैठने तक की व्यवस्था में डेकोरम का अभाव। तो एक ही माईक और डायस पर बारी-बारी से बोलने के लिए आते-जाते पार्षद यह नपा सभागृह का आलम है। जिसे देखकर शहर सरकार नहीं बल्कि किसी क्लास रुम के हालात दिखाई देते है।
इससे अच्छी नप की हालत
जिस सदन में बैठकर शहर सरकार में जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधि शामिल होकर प्लानिंग पर चर्चा करते है वही हाल बदहाल है। नगर के विकास व सौंदर्यीकरण पर काम करने वाली शहर सरकार अपने ही सदन को बेहतर व सुंदर नहीं बना पा रही है और अपने ही सदन के माननियों के सम्मान का ध्यान नहीं रख पा रही है। बदहाल हाल में गुंजती और उलझती पार्षदों की आवाज में विकास भी सदन के इस कक्ष से बाहर नहीं निकल पा रहा है।जबकि जिला मुख्यालय मंदसौर से छोटी नगर पालिका व नगर परिषद में सभाकक्ष बेहतर और जनप्रतिनिधियों के सम्मान को बढ़ाने वाले सर्वसुविधायुक्त है। एसी से लेकर बैठक और वहीं पर माईक जैसी सुविधाएं है। कई अहम मुद्दें एजेंडे में शामिल हर बार रहते है लेकिन नामांतरण से लेकर किराया व लीज बढ़ाने जैसे मामलों में ही नपा का हर बार सम्मेलन सिमटकर रह जाता है। मंदसौर नपा में बदहाल सभागृह के इस हाल का कायाकल्प करने के लिए अब तक न तो पहल हुई और न कभी एजेंडे में विषय आया है। इसी कारण इसी बदहाल और अव्यवस्थाओं से युक्त हाल में बैठकर पार्षद अपनी बात कहकर चर्चा कर चलें जाते है।
इन अव्यवस्थाओं के कारण पार्षद होते है परेशान
सदन के इस हॉल में साउंड सिस्टम के कारण पार्षद सबसे ज्यादा परेशान होते है। पार्षदों के साथ सदन की कार्रवाई सुनने और देखने आने वाले शहर के लोगों को भी आवाज समझ नहीं आती। सदन के इस हाल में गुंजती आवाज अधिक परेशानी का कारण है। तो बंद पड़े एक्जास्ट फेन इसे और बढ़ाते है। वहीं पंखे ऐसे जो गर्मी में राहत नहीं दे पाते। तो प्लास्टिक की कुर्सिया और टूटता फर्नीचर के साथ पानी की समस्या। यहां तक की झुलते विद्युत तार भी परेशानी को बढ़ाने में कोई कमी नहीं रखते। इसके साथ एक डायस पर लगा माईक और यहां कतार में पार्षद अपनी बारी के लिए खड़े रहते है। एक के बोलने के बाद अपने नंबर का इंतजार। कतारें में खड़े रहने वालों में महिला पार्षद भी शामिल रहती है। अपनी बात कहने के लिए इंतजार करने के अलावा अपनी जगह से उठकर माईक तक जाना और फिर आना। किसी भी मुद्दें पर बोलने के लिए माईक फ्री होने का इंतजार करना पड़ता है। इन सब अव्यवस्थाओं के चलते जनता के चुने हुए माननियों की आवाज ही सदन तक पहुंचने से रह जाती है।

Chania