Monday, May 6th, 2024 Login Here
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आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता  श्री श्री रविशंकर का नव वर्ष पर संदेश
नया वर्ष आने पर बहुत से लोग इस अहसास से रूबरू होते हैं, "ओह ! एक वर्ष और बीत गया !" कुछ पलों के लिए हम समय की बहती हुई धारा के बारे में सोचते हैं और फिर बाहर की दुनिया में व्यस्त हो जाते हैं । मजे की बात यह है कि ऐसा लगभग हर वर्ष होता है। यदि हम आश्चर्य के इन क्षणों में गहराई से जाते तो हमें ज्ञात होता कि हमारा एक पहलू ऐसा है जो समय की सभी घटनाओं का साक्षी है। हमारे अंदर का यह साक्षी अपरिवर्तनीय है और यहीं से हम समय द्वारा लाये जाने वाले सभी परिवर्तनों को देखते हैं।

जीवन में इस क्षण तक घटी सभी घटनाएँ स्वप्न के समान प्रतीत होती हैं। ज्ञान का अर्थ है जीवन के इस स्वप्न सदृश स्वभाव के प्रति जागरूक होना, उसके प्रति भी जो इस क्षण घट रहा है । इसे जानने से भीतर से असीम शक्ति का अनुभव होता है और आप घटनाओं और परिस्थितियों से हिलते नहीं हैं। इसके साथ ही जीवन में घटनाओं का भी अपना एक स्थान है, हमें उनसे सीखने की जरूरत है. जो वर्ष बीत रहा है उसने हमें बहुत कुछ सिखाया है; हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसके प्रति सजग किया है । हर पीड़ा जिससे हम गुजरे हैं, हमें कुछ गहराई प्रदान कर गयी है, और हर आनंद और प्रसन्नता ने हमें जीवन के प्रति एक नई दृष्टि और भविष्य के लिए आशा दी है।

पिछले एक वर्ष में आप कितने दिन संन्यास में थे? कितने दिन माया में फंसकर संघर्ष कर रहे थे ? पीछे मुड़ कर पूरे वर्ष को स्मरण करें । किसी भी वस्तु से दूर मत भागें, कुछ भी अस्वीकार मत करें; साथ ही अपना ध्यान स्वयं पर ही रहने दें। यह एक नाजुक संतुलन है। यह संतुलन ही योग है। यह संतुलन अध्यात्म है। कुछ लोग सोचते हैं कि अध्यात्म  का अर्थ है मौन की साधना। कुछ लोग सोचते हैं कि यह केवल उत्सव है। जबकि आध्यात्मिकता बाहरी मौन और आंतरिक उत्सव का एक सामंजस्यपूर्ण मिश्रण है; और आंतरिक मौन और बाहरी उत्सव का भी !
पूरी दुनिया के लिए यह वर्ष बहुत चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन हमें इसे आसपास के सभी लोगों के लिए बेहतर बनाने के लिए प्रयास करते रहने की जरूरत है। यह तभी संभव है जब हम अपने भीतर स्थापित हों। आप में एक कर्ता है और एक साक्षी है। जैसे-जैसे आप भीतर जाते हैं, आपके भीतर साक्षी भाव बढ़ता जाता है और आप घटनाओं से अछूते रहते हैं। और जैसे-जैसे आप बाहर की ओर जाते हैं, वैसे-वैसे आप में मौजूद कर्ता परिस्थितियों का जवाब देने में अधिक कुशल होता जाता है। हमारे अस्तित्व के ये दो बिल्कुल विपरीत पहलू ध्यान द्वारा पोषित होते हैं। जब आप आत्मा के निकट आते हैं, तो जगत में आपके द्वारा सद्कर्म होते हैं और जगत में किये अच्छे कर्म आपको आत्मा के निकट लाते हैं।
पिछले वर्ष ने बादलों से भरे अनेक दिन देखे, नया वर्ष उजाला लेकर आये न केवल हमारे जीवन में बल्कि समाज में भी सूर्य का प्रकाश हो. आइए, हम सब एक हिंसा मुक्त व तनाव मुक्त समाज बनाने का संकल्प लें। आइए, हम अपने भीतर अडिग रहने का संकल्प लें और एक बेहतर दुनिया की ओर बढ़ें। समय लोगों को बदलता है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो समय को बदलते हैं। आप उनमें से एक बनें। नववर्ष की शुभकामनाएं !

- दिव्या सिंहल, आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षिका, उदयपुर
Chania