Thursday, May 2nd, 2024 Login Here
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दवा कंपनियों ने कर दी तीस फीसदी तक की बडोतरी
मंदसौर जनसारंगी।
 कोरोना के पहले लॉक डाउन के बाद से ही अभी भी बाजार पटरी पर नहीं आ पाया है। तीसरी लहर में फिर से बाजार डर के साये में है तो इधर उपचार में बढ़ोतरी हो गई। मतलब दवाईयों के दाम दस से तीस प्रतिशत बढ़ गए। यह दाम दूसरी लहर में ही बढ़ गए थे। लेकिन समस्या यह हो रही है कि व्यापार व्यवसाय पटरी पर नहीं लौटने से रोजाना दवाई लेने वालों की जेब पर बोझ बहुत ज्यादा बढ़ गया है।
कोरोना की दूसरी लहर के बाद से ही जरूरी दवाओं के साथ उपकरणों के दाम में अप्रत्याशित तेजी आई है। कई दवाओं के दाम में 10 से 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। कई प्रकार की जरूरी दवाइयां  अभी भी मुंह मांगे दाम देने के बाद भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।  कोरोना काल में जहां कामकाजी व्यक्ति के व्यापार पर फर्क पड़ा, वहीं दवाओं के बढ़ते दामों ने उन परिवारों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। जहां लोग बीमार हैं और दवाओं पर निर्भर हैं। कोरोना काल में जरूरी दवाओं के दामों में 10 से 30 प्रतिशत की तेजी आई है। कुछ खास दवाओं के साथ सुरक्षित मानी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं के दाम भी तेजी से बढ़े हैं।
घाटे से उभरने के कारण बढ़ाए दाम
कोरोना काल में दवा कंपनियों की बिक्री काफी प्रभावित हुई है। लोगों ने दवाएं तो खरीदी, लेकिन यह खरीदी केवल बहुत जरूरी दवाओं तक सिमट गई थी। ऐसे में कंपनियों की आय पर भी प्रभाव पड़ा था। इसके बाद दवाओं के दामों में आई तेजी इसी घाटे से उबरने का प्रयास किया गया।
बैच नंबर बदलकर कीमत बढ़ाने का खेल
एक तरफ सरकार द्वारा दवाएं सस्ती करने का दावा किया जाता है, वहीं हर तिमाही पर दवाओं के दाम दस प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। दवा के क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि दरअसल दवा कंपनियां नए बैच नंबर के साथ कीमत बढ़ाने का खेल करती हैं। बाजार में दवाओं की मांग बढ़ते ही नया बैच जारी कर दिया जाता है। दवाओं की छोटी कंपनियां कम उत्पादन दिखाकर लगातार बैच नंबर बदलती रहती हैं। इसके साथ ही दवा का मूल्य भी बढ़ा देती हैं। हर बैच नंबर के साथ दो रुपये से लेकर पांच रुपये तक की बढ़ोतरी कर दी जाती है जो छह माह में दस से तीस प्रतिशत तक पहुंच जाती है।
विटामिन सी तथा कोरोना में काम आने वाली दवाओं के दाम बढ़े
कोरोना काल में उन दवाओं का ज्यादा प्रयोग हो रहा है, जो इस मर्ज में काम आती है। साथ ही विटामिन सी की दवाओं की बिक्री भी खूब बढ़ गई है। इसका फायदा भी दवा कंपनियों द्वारा उठाया जा रहा है।इधर जिला अस्पताल की ओर से साल की शुरुआत में मांग कंपनी को भेजी जाती है। उसी के अनुरूप दवाओं की सप्लाई जिला अस्पताल को की जाती है। वर्तमान में जिले के सरकारी अस्पतालों में कई प्रकार की दवाओं का टोटा है। ऐसे में अस्पताल में दवाओं के अभाव में मरीजों को मेडिकल स्टोर से महंगी दवाएं खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

Chania