Monday, May 6th, 2024 Login Here
इंजीनियर ने हार मान ली लेकिन मंदसौर के मि़स़्त्री की टेक्निक काम आई
मंदसौर में पशुपतिनाथ मंदिर के पास ही सहस्त्र शिवलिंग मंदिर का निर्माण हो रहा है। यहां बुधवार को करीब 2 हजार साल पुराने सहस्त्र शिवलिंग को जलधारी के बीच स्थापित किया गया। साढ़े तीन टन की जलाधारी के बीच ढाई टन के सहस्त्र शिवलिंग की स्थापना आसान नहीं थी। इसमें अति प्राचीन शिवलिंग को नुकसान पहुंचने का खतरा था। ऐसे में जब इंजीनियर्स ने हार मान ली। तब मकबूल अंसारी नाम के मिस्त्री की टेक्निक काम आई और आसानी से सहस्त्र शिवलिंग जलाधारी के बीच स्थापित हो गया।
जलाधारी के बीच शिवलिंग को स्थापित करवाने में अपना योगदान देने वाले मंदसौर के खानपुरा निवासी मकबूल कभी स्कूल नहीं गए। पेशे से मिस्त्री मकबूल ने बताया कि धर्म का कार्य था, आइडिया आया तो मैंने यह काम कर दिया। मैंने पहले भी कई मंदिरों में काम किया है। शिवलिंग को जलाधारी के बीच स्थापित करने के दौरान दिक्कत आ रही थी। ऐसे में दिमाग लगाते हुए जलाधारी के बीच होल में बर्फ भर दी। इसके बाद बर्फ पर सहस्त्र शिवलिंग को टिकाया गया। धीरे-धीरे बर्फ पिघलती गई और शिवलिंग अपने स्थान पर फिक्स हो गया।
कोलकाता से आई टीम ने किया वज्रलेप
मंदसौर में पशुपतिनाथ मंदिर के पास सहस्त्र शिवलिंग की स्थापना होनी है। कोलकाता के पुरातत्वविद श्रेयान बनर्जी और उनकी टीम ने शिवलिंग पर वज्रलेप का काम किया है। शिवलिंग देख पुरातत्वविद की पूरी टीम भी हैरान हो गई थी। उनका कहना था कि यह रेयर पत्थर है। आज तक हमने भी ऐसा पत्थर नहीं देखा। यह शिवलिंग करीब डेढ़ से दो हजार साल पुराना है। संभवतरू यह पत्थर दो हजार साल पहले सरस्वती नदी में किन्हीं तीन नदियों के संगम स्थान पर बना होगा। उसी जगह इस तरह के पत्थर तैयार होते हैं।
नदी से निकला था सहस्त्र शिवलिंग
पशुपतिनाथ मंदिर में सालों पहले नदी से सहस्त्र शिवलिंग निकला था। लंबे समय से शिवलिंग मंदिर परिसर में ऐसे ही रखा था। पशुपतिनाथ मूर्ति क्षरण पर जलाभिषेक प्रतिबंधित होने के बाद प्रशासन ने जलाभिषेक के लिए 4 साल पहले सहस्त्र शिवलिंग स्थापना का प्रोजेक्ट शुरू किया था।
20-25 साल के लिए सुरक्षित हो गया है शिवलिंग
कलेक्टर गौतम सिंह ने बताया कि वज्रलेप के बाद शिवलिंग 20 से 25 सालों के लिए सुरक्षित हो गया है। लोगों को शकर से घिसाई, अभिषेक के दौरान हाथ में अंगूठी, कड़ा आदि पहनने की अनुमति नहीं दी जाएगी। नदी में बाढ़ के दौरान नुकसान पर कलेक्टर ने बताया कि यह गर्भगृह पशुपतिनाथ से तीन फीट ऊंचा है।
खास है यह पत्थर
स्कल्पचर विशेषज्ञ ऑनिरबन हलदर ने बताया कि यह पत्थर बहुत रेयर है। यह बेसाल्ट, ग्रेनाइट, टेल्कस्टोन, अग्नेशिला, सिलिका, मैग्नीज, कैल्साइट कैल्शियम आदि से मिलकर बना है।
सीएम शिवराज के हाथों होगी प्राण-प्रतिष्ठा
शिवराजसिंह चौहान ने मंदिर का लोकार्पण करने की घोषणा की थी। इसके बाद तेजी से सहस्त्र शिवलिंग मंदिर का काम चल रहा है। एक सप्ताह में कलेक्टर गौतम सिंह 2 से 3 बार निर्माण का निरीक्षण कर चुके हैं। अभी गर्भगृह में फ्लोरिंग और दीवारों पर मार्बल का काम होना है। 5 से 10 मार्च तक गर्भगृह का कार्य पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे मार्च अंत तक फिनिशिंग पूरी हो जाए।