Monday, May 6th, 2024 Login Here
भोपाल।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दो तिहाई बहुमत से जीत दर्ज की है। भाजपा का वोट शेयर 7.53% बढा। 230 सीटों में से पार्टी को 163 सीटें मिली हैं। ये 2018 से 54 ज्यादा हैं। कांग्रेस का वोट शेयर 0.49% घटा और पार्टी 114 से नीचे आकर 66 सीट पर सिमट गई। सपा, बसपा, आप और निर्दलियों का खाता तक नहीं खुला। मात्र एक सीट भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने जीती है। चुनाव में मोदी इफेक्ट और लाड़ली बहना इम्पैक्ट दिखा। इसके बावजूद भाजपा के 99 विधायकों में से 27, 31 मंत्रियों में से 12 हार गए। 3 केंद्रीय मंत्रियों में
फग्गन सिंह कुलस्ते, 4 सांसदों में गणेश सिंह भी हारे हैं।
सिंधिया समर्थक 19 कैंडिडेट में से 9 नहीं जीत पाए।नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल की शिकस्त ने चौंकाया।
इधर, कांग्रेस ने 85 विधायकों को टिकट दिया था, जिनमें 60 को हार का सामना करना पड़ा।
शाजापुर में रीकाउंटिंग को लेकर पत्थर-आंसू गैस के गोले चले। यहां कांग्रेस के पूर्व मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा ने रीकाउंटिंग कराई, तो BJP प्रत्याशी अरुण भीमावत 7 की जगह 28 वोट से जीते। जबलपुर में कांग्रेस प्रत्याशी के विजय जुलूस में फायरिंग हुई।
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भाजपा को पिछली बार से 7.53% वोट शेयर ज्यादा
इस चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 2018 के मुकाबले 7.53 फीसदी बढ़ा। सीटों की संख्या भी 109 से बढ़कर 163 पर पहुंच गई। वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 2018 के मुकाबले 0.49 फीसदी घट गया। सीटें 114 के मुकाबले 66 ही रह गईं। 2018 के मुकाबले कांग्रेस को 48 सीटों का नुकसान हुआ है। भाजपा का वोट 7.53% बढ़ा, कांग्रेस का 0.49% घटा
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सबसे चौंकाने वाले रिजल्ट नरोत्तम और गोविंद सिंह हारे
दतिया से गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कांग्रेस के राजेंद्र भारती से 7,742 वोटों से हार गए। भारती तीसरी बार नरोत्तम के खिलाफ मैदान में थे। कांग्रेस ने यहां पहले भाजपा से आए अवधेश नायक को टिकट दिया था, लेकिन बाद में बदलकर भारती को ही उतारा। नायक और भारती दोनों मिलकर लड़े। भारती को सहानुभूति मिली।
• लहार सीट से 7 बार के विधायक डॉ. गोविंद सिंह भाजपा के अम्बरीश शर्मा गुड्डू से 12,397 वोट से हार गए। इस सीट पर पहली बार भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला हुआ। बसपा की टिकट पर उतरे गोविंद के रिश्तेदार रसाल सिंह ने कहा था- मैं भाजपा के गुड्डू को हराने के लिए मैदान में उतरा हूं। इस बयान से गुड्डू के पक्ष में माहौल बना। • हरदा सीट से पूर्व मंत्री कमल पटेल भी हार गए हैं।उन्हें कांग्रेस के आरके दोगने ने 870 वोटों से मात दी।
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31 में से 12 मंत्री हारे, पिछली बार से 9% कम
इस बार शिवराज सरकार के 33 में से 31 मंत्री मैदान में उतरे। इनमें से 12 मंत्री हार गए हैं। यानी करीब 39 फीसदी को जनता ने नकार दिया। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कांग्रेस की घेराबंदी में ऐसे उलझे कि बाहर ही नहीं निकल पाए। 2018 में 27 मंत्री चुनाव में उतरे थे, जिनमें से 13 हार गए थे। यानी 48% को लोगों ने पसंद नहीं किया था। बिसेन सबसे ज्यादा, सबसे कम वोटों से हारे कमल पटेल।