Monday, May 6th, 2024 Login Here
भोपाल
नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष चुना गया। वहीं कांग्रेस विधायकों ने धरना दिया।
मध्यप्रदेश की 16वीं विधानसभा के विशेष सत्र के तीसरे दिन बुधवार को नरेंद्र सिंह तोमर को सर्व सहमति से विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया। तोमर ग्वालियर चंबल इलाके से चुने गए पहले विधानसभा अध्यक्ष हैं।
वहीं दूसरी ओर, विधानसभा से पंडित नेहरू की तस्वीर हटाने को लेकर सियासत जारी है। कांग्रेस विधायक नेहरू, गांधी, अंबेडकर, सरदार पटेल की फोटो लेकर गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठे। नेहरू की तस्वीर सदन से हटाए जाने का विरोध किया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार समेत कांग्रेस विधायकों ने बाबा साहब अमर रहे के नारे लगाए।
विधानसभा का अध्यक्ष चुने जाने पर सीएम डॉ. मोहन यादव, शिवराज सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, उमंग सिंघार सहित सभी विधायकों ने नरेंद्र सिंह तोमर को बधाई दी।
अध्यक्ष पद की ताकत बढ़ाएंगे तोमरः शिवराज सिंह
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर को शुभकामनाएं देते हुए कहा, विपक्ष की अच्छी पहल है कि स्पीकर के लिए समर्थन दिया।
पूर्व सीएम शिवराज ने कहा, तोमर विधानसभा अध्यक्ष पद की ताकत बढ़ाएंगे। सरकार तो अपना काम करेगी ही, पर तोमर प्रदेश के हित में बड़े फैसले लेंगे। चुनाव प्रबंधन का काम हो या संगठन का, तोमर हमेशा संकट मोचन साबित हुए हैं।
प्रहलाद पटेल ने कहा, पहली बार विधायक बनकर आप तोमर का अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल सफल साबित होगा। उन्होंने हास परिहास के मूड में कहा कि आज के बाद वे तोमर पर टिप्पणियां नहीं कर पाएंगे, क्योंकि अध्यक्ष की गरिमा का ध्यान रखना पड़ेगा।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी तोमर की प्रशंसा की। वहीं, कांग्रेस विधायक राम निवास रावत ने कहा कि अध्यक्ष के रूप में तोमर को पक्ष और विपक्ष दोनों से सम्मान मिलेगा, ऐसी उम्मीद है। तोमर के अंदर कभी बदले की भावना नहीं रही। उन्होंने राजनीति को हमेशा वैचारिक मतभेद से अलग रखा।
नरेंद्र सिंह तोमर को सर्व सहमति से विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया है।कांग्रेस मांग चुकी है डिप्टी स्पीकर का पद कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नरेंद्र सिंह तोमर का समर्थन किया। तोमर का समर्थन कर कांग्रेस डिप्टी स्पीकर का पद चाहती है, इसलिए अगर बीजेपी ने सहमति दी, तो डिप्टी स्पीकर का पद कांग्रेस को दिए जाने पर चर्चा हो सकती है।
पूर्व में यह पद परंपरा के आधार पर विपक्षी दल को मिलता रहा है, लेकिन पिछली विधानसभा में यह परंपर खत्म कर दी गई थी। कांग्रेस की 15 महीने की सरकार जाने के बाद डिप्टी स्पीकर किसी को नहीं चुना गया था विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी एनपी प्रजापति को सौंपी गई थी।