Friday, May 3rd, 2024 Login Here
—प्रसिद्ध समाजसेवी अशोक अरोरा गंगानगर पर फायरिंग की घटना के बाद पूरे गिरोह में मचा हडंकप
— पूरे गिरोह का जड से खात्मा करने में जुटी पुलिस, प्रदेश के डीजीपी ने भी सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए
नीमच। प्रसिद्ध समाजसेवी अशोक अरोरा गंगानगर पर फायरिंग की घटना को लेकर प्रदेश के डीजीपी ने भी अपराधियों पर कडी कार्रवाईक करने के आदेश दिए है। उज्जैन रैंज के आईजी संतोषकुमार सिंह, रतलाम रेंज के डीआईजी मनोजकुमार सिंह के मार्गदर्शन में नीमच एसपी अमितकुमार तोलानी ने पूरी गैंग का खात्मा करने के लिए अभियान चला रखा है। बदमाशों की आर्थिक कमर तोड़ने की कार्रवाई भी की जा रही है।
कुख्यात तस्कर बाबू उर्फ जयकुमार सिंधी से जुडे बदमाशों, तस्करों और गुंडों के खिलाफ नीमच पुलिस प्रशासन का शिकंजा जारी है। अरोरा पर फायरिंग के मामले में कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी पुलिस रिमांड पर है। अफसरों की टीम अलग—अलग तरीकों से जांच पडताल में जुटी हुई है। बाबू सिंधी से उसके पुराने साथी विनोद गुर्जर, शिवचरण गुर्जर और पूर्व नीमच जनपद पंचायत के अध्यक्ष जगदीश गुर्जर के भी संबंध है। जगदीश गुर्जर का भाई विनोद गुर्जर और दूर का रिश्तेदार शिवचरण गुर्जर सीबीएन के रिकार्ड में बाबू के साथी होकर फरार चल रहे है, लेकिन ये कागजों में ही फरार चल रहे है। हकीकत में वे बाबू का कामकाज ही संभाल रहे है। जब बाबू सिंधी दो साल से अधिक समय तक जेल में रहा, तब भी ये बाबू सिंधी के भाई और भतीजों के साथ मिलकर अवैध गतिविधियों में शामिल रहे। जब बाबू सिंधी भोपाल सेंट्रल जेल से पैरोल पर आया तो जगदीश गुर्जर, विनोद गुर्जर और शिवचरण गुर्जर के लगातार संपर्क में रहे। सूत्र बताते है कि तीनों ने मिलकर रेवली देवली के पास चतरसिंह के नाम से करीब 12 बीघा जमीन भी खरीदी। जिसकी रजिस्ट्री पिछले महीने हुई। बाबू सिंधी की काली कमाई का पैसा विनोद गुर्जर और शिवचरण गुर्जर के पास जमा है।
पैरोल से आने के बाद रची हत्या की साजिश— कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी को सीबीएन ने 27 अगस्त 2021 को 255 क्विंटल मादक पदार्थ के साथ मौके से पकडा था। शुरूआत में बाबू नीमच कनावटी जेल रहा, इसके बाद भैरवगढ उज्जैन। वहां पर भी अवैध गतिविधियों में लिप्त होने की जानकारी मिली तो सेंट्रल जेल भोपाल भेज दिया गया। दो—ढाई साल के दौरान जेल में बाबू से जगदीश गुर्जर, राजकुमार अहीर विनोद गुर्जर, शिवचरण गुर्जर, धन चाचा और उसके बेटे मोनू, सोनू तथा पोनू सहित मंडी के कुछ व्यापारी मिलते रहे। जेल के अंदर से बाबू मिलने आए साथियों से यही बोलता था कि पैरोल पर आकर देखता हूं। पुलिस बीते दो ढाई साल के दौरान नीमच कनावटी, उज्जैन जेल और भोपाल सेंट्रल जेल में कौन—कौन बाबू सिंधी से मुलाकात करने आया, इस बारे में जानकारी जुटा रही है। फायरिंग की घटना होने के बाद पूरे गिरोह में हडकंप मच गया है। तस्कर बाबू सिंधी ने किन—किन लोगों को पैसे दिए, इसकी जानकारी भी पुलिस जुटा रही है।
कई व्यापारी जुडे हुए है राकेश अरोरा से
प्रसिद्ध समाजसेवी अशोक अरोरा गंगानगर के सगे भाई राकेश को भी बाबू की तरह डॉन बनने का इरादा था। इसलिए राकेश अरोरा विभिषण बन गया। जिस—जिस ने इस बारे में सुना, वह राकेश अरोरा को धिक्कार रहा है। सूत्र बताते है कि राकेश अरोरा ने अवैध गतिविधियों से करीब 100 करोड रुपए की ब्लैकमनी अर्जित की। इसी ब्लैकमनी को मंडी के दो व्यापारी ठिकाने लगाते थे और झोले भर—भरकर पैसे राकेश अरोरा से लेकर जाते थे। बीते 10 सालों से वे प्रापर्टी खरीदने में जुटे हुए थे। बीज फैक्टरी का मालिक और उसका दोस्त पुलिस की लिस्ट में शामिल है। वे सबूत मिटाने में लगे हुए है।
दिल्ली का कॉलोनाजइर त्रिलोक सेन भी हुआ साजिश में शामिल
जांच के दौरान पुलिस ने एक दर्जन लोगों की सूची तैयार की है जिनका रोल फायरिंग में सामने आया है। इसमें दिल्ली का कॉलोनाइजर त्रिलोक सेन भी शामिल है। सूत्र बताते है कि अरोरा की हत्या करवाने की साजिश में कॉलोनाइजर, राजकुमार अहीर, धन चाचा और उसके बेटे,लाला चौधरी, लक्की सिंहल सहित एक दर्जन लोग शामिल है, जल्द ही पुलिस इस मामले में आरोपियों को गिरफ्तार कर सकती है। सूत्र बताते है कि बाबू के जेल से छूटने के इनकी बैठकें लगातार अलग—अलग जगह पर हो रही थी। सभी समाजसेवी अशोक अरोरा की हत्या के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो गए थे। आरोपी बाबू सिंधी, राकेश अरोरा, धनसिंह वर्मा, राजकुमार अहीर का आपस में लिंक सामने आया है। पुलिस रिमांड पर चल रहे आरोपी बाबू सिंधी और राकेश अरोरा इन सभी लोगों के नाम उगल रहे और किसी क्या भूमिका रही, इस बारे में विस्तृत भी बता रहे है।
स्कीम नंबर 36 में आलीशान मकान भी चल सकता बुलडोजर
जब बाबू सिंधी के खिलाफ सीबीएन ने कार्रवाई की थी तब बाबू सिंधी के स्कीम नंबर 36 में स्थित मकान का मामला उछला था। नपा की टीम ने मौके पर पहुंचकर नपती और पंचनामा बनाया था, जांच में एमओएस का उल्लंघन पाया गया और अतिक्रमण भी मिला। तब बुलडोजर कार्रवाई की हलचल देखी गई थी, लेकिन नपा के अधिकारी और तत्कालीन पुलिस अधिकारी से मिलीभगत कर कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी ने मामला दबा दिया। अब गोलीकांड के बाद क्या पुलिस प्रशासन पूर्ण अवैध घोषित स्कीम नंबर 36 में स्थित उसके मकान पर बुलडोजर कार्रवाई करेगा।
— पूरे गिरोह का जड से खात्मा करने में जुटी पुलिस, प्रदेश के डीजीपी ने भी सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए
नीमच। प्रसिद्ध समाजसेवी अशोक अरोरा गंगानगर पर फायरिंग की घटना को लेकर प्रदेश के डीजीपी ने भी अपराधियों पर कडी कार्रवाईक करने के आदेश दिए है। उज्जैन रैंज के आईजी संतोषकुमार सिंह, रतलाम रेंज के डीआईजी मनोजकुमार सिंह के मार्गदर्शन में नीमच एसपी अमितकुमार तोलानी ने पूरी गैंग का खात्मा करने के लिए अभियान चला रखा है। बदमाशों की आर्थिक कमर तोड़ने की कार्रवाई भी की जा रही है।
कुख्यात तस्कर बाबू उर्फ जयकुमार सिंधी से जुडे बदमाशों, तस्करों और गुंडों के खिलाफ नीमच पुलिस प्रशासन का शिकंजा जारी है। अरोरा पर फायरिंग के मामले में कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी पुलिस रिमांड पर है। अफसरों की टीम अलग—अलग तरीकों से जांच पडताल में जुटी हुई है। बाबू सिंधी से उसके पुराने साथी विनोद गुर्जर, शिवचरण गुर्जर और पूर्व नीमच जनपद पंचायत के अध्यक्ष जगदीश गुर्जर के भी संबंध है। जगदीश गुर्जर का भाई विनोद गुर्जर और दूर का रिश्तेदार शिवचरण गुर्जर सीबीएन के रिकार्ड में बाबू के साथी होकर फरार चल रहे है, लेकिन ये कागजों में ही फरार चल रहे है। हकीकत में वे बाबू का कामकाज ही संभाल रहे है। जब बाबू सिंधी दो साल से अधिक समय तक जेल में रहा, तब भी ये बाबू सिंधी के भाई और भतीजों के साथ मिलकर अवैध गतिविधियों में शामिल रहे। जब बाबू सिंधी भोपाल सेंट्रल जेल से पैरोल पर आया तो जगदीश गुर्जर, विनोद गुर्जर और शिवचरण गुर्जर के लगातार संपर्क में रहे। सूत्र बताते है कि तीनों ने मिलकर रेवली देवली के पास चतरसिंह के नाम से करीब 12 बीघा जमीन भी खरीदी। जिसकी रजिस्ट्री पिछले महीने हुई। बाबू सिंधी की काली कमाई का पैसा विनोद गुर्जर और शिवचरण गुर्जर के पास जमा है।
पैरोल से आने के बाद रची हत्या की साजिश— कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी को सीबीएन ने 27 अगस्त 2021 को 255 क्विंटल मादक पदार्थ के साथ मौके से पकडा था। शुरूआत में बाबू नीमच कनावटी जेल रहा, इसके बाद भैरवगढ उज्जैन। वहां पर भी अवैध गतिविधियों में लिप्त होने की जानकारी मिली तो सेंट्रल जेल भोपाल भेज दिया गया। दो—ढाई साल के दौरान जेल में बाबू से जगदीश गुर्जर, राजकुमार अहीर विनोद गुर्जर, शिवचरण गुर्जर, धन चाचा और उसके बेटे मोनू, सोनू तथा पोनू सहित मंडी के कुछ व्यापारी मिलते रहे। जेल के अंदर से बाबू मिलने आए साथियों से यही बोलता था कि पैरोल पर आकर देखता हूं। पुलिस बीते दो ढाई साल के दौरान नीमच कनावटी, उज्जैन जेल और भोपाल सेंट्रल जेल में कौन—कौन बाबू सिंधी से मुलाकात करने आया, इस बारे में जानकारी जुटा रही है। फायरिंग की घटना होने के बाद पूरे गिरोह में हडकंप मच गया है। तस्कर बाबू सिंधी ने किन—किन लोगों को पैसे दिए, इसकी जानकारी भी पुलिस जुटा रही है।
कई व्यापारी जुडे हुए है राकेश अरोरा से
प्रसिद्ध समाजसेवी अशोक अरोरा गंगानगर के सगे भाई राकेश को भी बाबू की तरह डॉन बनने का इरादा था। इसलिए राकेश अरोरा विभिषण बन गया। जिस—जिस ने इस बारे में सुना, वह राकेश अरोरा को धिक्कार रहा है। सूत्र बताते है कि राकेश अरोरा ने अवैध गतिविधियों से करीब 100 करोड रुपए की ब्लैकमनी अर्जित की। इसी ब्लैकमनी को मंडी के दो व्यापारी ठिकाने लगाते थे और झोले भर—भरकर पैसे राकेश अरोरा से लेकर जाते थे। बीते 10 सालों से वे प्रापर्टी खरीदने में जुटे हुए थे। बीज फैक्टरी का मालिक और उसका दोस्त पुलिस की लिस्ट में शामिल है। वे सबूत मिटाने में लगे हुए है।
दिल्ली का कॉलोनाजइर त्रिलोक सेन भी हुआ साजिश में शामिल
जांच के दौरान पुलिस ने एक दर्जन लोगों की सूची तैयार की है जिनका रोल फायरिंग में सामने आया है। इसमें दिल्ली का कॉलोनाइजर त्रिलोक सेन भी शामिल है। सूत्र बताते है कि अरोरा की हत्या करवाने की साजिश में कॉलोनाइजर, राजकुमार अहीर, धन चाचा और उसके बेटे,लाला चौधरी, लक्की सिंहल सहित एक दर्जन लोग शामिल है, जल्द ही पुलिस इस मामले में आरोपियों को गिरफ्तार कर सकती है। सूत्र बताते है कि बाबू के जेल से छूटने के इनकी बैठकें लगातार अलग—अलग जगह पर हो रही थी। सभी समाजसेवी अशोक अरोरा की हत्या के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो गए थे। आरोपी बाबू सिंधी, राकेश अरोरा, धनसिंह वर्मा, राजकुमार अहीर का आपस में लिंक सामने आया है। पुलिस रिमांड पर चल रहे आरोपी बाबू सिंधी और राकेश अरोरा इन सभी लोगों के नाम उगल रहे और किसी क्या भूमिका रही, इस बारे में विस्तृत भी बता रहे है।
स्कीम नंबर 36 में आलीशान मकान भी चल सकता बुलडोजर
जब बाबू सिंधी के खिलाफ सीबीएन ने कार्रवाई की थी तब बाबू सिंधी के स्कीम नंबर 36 में स्थित मकान का मामला उछला था। नपा की टीम ने मौके पर पहुंचकर नपती और पंचनामा बनाया था, जांच में एमओएस का उल्लंघन पाया गया और अतिक्रमण भी मिला। तब बुलडोजर कार्रवाई की हलचल देखी गई थी, लेकिन नपा के अधिकारी और तत्कालीन पुलिस अधिकारी से मिलीभगत कर कुख्यात तस्कर बाबू सिंधी ने मामला दबा दिया। अब गोलीकांड के बाद क्या पुलिस प्रशासन पूर्ण अवैध घोषित स्कीम नंबर 36 में स्थित उसके मकान पर बुलडोजर कार्रवाई करेगा।