Friday, May 3rd, 2024 Login Here
हाईकोर्ट की इंदौर बेंच का आदेश; 5 एक्सपर्ट 6 सप्ताह में सर्वेक्षण कर सौंपेंगे रिपोर्ट
इंदौर/धार मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला का सर्वे कराने के आदेश दिए हैं। सोमवार को इस मुद्दे पर कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को 5 एक्सपर्ट की टीम बनाने को कहा है। इस टीम को 6 सप्ताह में रिपोर्ट कोर्ट को सौंपनी होगी।
इस मामले में इंदौर हाईकोर्ट में 19 जनवरी को बहस हुई थी। तब सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज 11 मार्च को कोर्ट ने फैसला सुनाया। इसमें कहा गया कि सर्वे 29 अप्रैल तक पूरा करना है।
हाईकोर्ट ने वैज्ञानिक सर्वे को जीपीआर-जीपीएस तरीके से करने के लिए कहा है। जीपीआर यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार जमीन के अंदर विभिन्न स्तरों की हकीकत जांचने की तकनीक है। इसमें रडार का उपयोग होता है। यह अदृश्य यानी छुपी वस्तुओं के विभिन्न स्तर, रेखाओं और संरचनाओं का माप लेता है।
जीपीएस सर्वे यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के तहत भी सर्वे किया जाएगा। बिल्डिंग की उम्र पता करने के लिए कार्बन डेटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल भी किया जाएगा। पूरे सर्वे की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई जाएगी।
हिंदू पक्ष के वकील एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने बताया कि सर्वे दोनों पक्षों की मौजूदगी में होगा। इससे भोजशाला के मूल स्वरूप की सच्चाई सामने आ सकेगी। मामले की सुनवाई अब 29 अप्रैल को होगी। इससे पहले सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी होगी।
इंदौर/धार मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला का सर्वे कराने के आदेश दिए हैं। सोमवार को इस मुद्दे पर कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को 5 एक्सपर्ट की टीम बनाने को कहा है। इस टीम को 6 सप्ताह में रिपोर्ट कोर्ट को सौंपनी होगी।
इस मामले में इंदौर हाईकोर्ट में 19 जनवरी को बहस हुई थी। तब सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज 11 मार्च को कोर्ट ने फैसला सुनाया। इसमें कहा गया कि सर्वे 29 अप्रैल तक पूरा करना है।
हाईकोर्ट ने वैज्ञानिक सर्वे को जीपीआर-जीपीएस तरीके से करने के लिए कहा है। जीपीआर यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार जमीन के अंदर विभिन्न स्तरों की हकीकत जांचने की तकनीक है। इसमें रडार का उपयोग होता है। यह अदृश्य यानी छुपी वस्तुओं के विभिन्न स्तर, रेखाओं और संरचनाओं का माप लेता है।
जीपीएस सर्वे यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के तहत भी सर्वे किया जाएगा। बिल्डिंग की उम्र पता करने के लिए कार्बन डेटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल भी किया जाएगा। पूरे सर्वे की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई जाएगी।
हिंदू पक्ष के वकील एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने बताया कि सर्वे दोनों पक्षों की मौजूदगी में होगा। इससे भोजशाला के मूल स्वरूप की सच्चाई सामने आ सकेगी। मामले की सुनवाई अब 29 अप्रैल को होगी। इससे पहले सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी होगी।