Monday, May 6th, 2024 Login Here
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पैदल विहार कर सूरत जा रहीं थी साध्विया,भडूच के निकट हुई दुर्घटना
मंदसौर निप्र । मं दसौर की दो बेटियाँ जिन्होने पॉच साल पहले सांसारिक जीवन को छोड़कर धर्म, विरक्ति और त्याग के मार्ग को अपनाकर साधु जीवन अंगीकार कर लिया था विरक्ति के इस मार्ग पर चलते हुए आज दोनो ने संसार को भी छोड़ दिया । गुजरात के भरुच के पास नेशनल हाईवे क्रमांक 48 पर असुर्या गॉव के पास हुई सड़क दुर्घटना में दोनो साध्वीजी की दर्दनाक मौत हो गई । हादसे की खबर से भरुच और मंदसौर के जैन समाज में शोक की लहर व्याप्त हो गई, मंदसौर से भी साध्वीजी के सांसारिक जीवन के परिवारजन और अनेक श्रध्दालु भी सुरत पहुॅचे और अंतिम दर्शन कर अंतिम संस्कार मेंसम्मिलित हुए ।
जैन साध्वी रचनाजी म.सा व संयमप्रज्ञाश्रीजी मसा मंगलवार की सुबह उपाश्रय से निकलकर हाईवे पर जा रही थी इसी बीच असुर्या गांव के पास एक टेम्पो ने दोनो को अपनी चपैट में ले लिया जिससे मौके पर ही दोनों की मौत हो गई । इसे संयोग ही कहा जायेगा की दुर्घटना में कालकवलित हुई दोनों जैन साध्वीयों में एक मंदसौर की पुत्रवधु और दुसरी मंदसौर की बेटी थी । जिन्होनें क्रमशः पॉच और तीन वर्ष पूर्व सांसारिक जीवन को त्याग कर विरक्ति का मार्ग अपनाया था साध्वी जीवन अंगीकार कर धर्म की प्रभावना को फैलाने में अपना योगदान दे रही थी । यह भी संयोग ही कहा जायेगा की अपना अंतिम चार्तुमास भी साध्वीजी ने गतवर्ष मंदसौर में संपन्न  किया था । रचनाश्रीजी मसा ससंघ गतवर्ष चातुर्मास हेतु मंदसौर के शास्त्रीनगर स्थित स्वाध्याय भवन में विराजित थी इस वर्ष आपका चार्तुमास सुरत में था जिसके लिये वे पैदल विहार कर रही थी ।
जानकारी के मुताबिक दुर्घटना में मृत हुई रचनाश्रीजी मसा का सांसारिक नाम रितु अग्रवाल था, हरियाणा के पानीपत में जन्मी रितु अग्रवाल का परिवार मध्यप्रदेश के रतलाम आकर बस गया था जिसके बाद 25 जनवरी 1998 को मंदसौर के अनिल अग्रवाल के साथ विवाह हुआ । इसी बीच 2008 मेंब्रम्हमुनिजी मसा का चार्तुमास मंदसौर में हुआ मुनिश्री से रितु अग्रवाल का पूरा परिवार पानीपत में काफी जुड़ा हुआ था इसके चलते उन्होने अपनी पति अनिल अग्रवाल के साथ पूरे चार महिने तक चार्तुमास का श्रवण किया और विभिन्न तरह की साधनाएं भी की यहीं से आपका मन धर्म के मार्ग को अपनाने के लिये विरक्त हो गया था । रितु अग्रवाल लगातार सांसारिक जीवन से अपना मोह त्यागकर धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ रही थी तभी 2014 मेें ब्रम्हमुनिजी मसा का चार्तुमास रतलाम में हुआ जिसमें रितु अग्रवाल पुनः सम्मिलित हुई और यहीं से उन्होने सांसारिक जीवन त्यागने का निर्णय कर लिया और मुनिसंघ के साथ पैदल विहार करते हुए हरियाणा तक गई बाद में 24 जनवरी 2015 को हरियाणा के रोहतक में उन्होने जैन साध्वी दिक्षा ग्रहण की और अपने सांसारिक नाम रितु अग्रवाल को त्यागकर साधना प्रज्ञाश्री ग्रहण किया । साधना के कुछ समय बाद उन्होने अपने संघ को छोड़कर गौतममुनिजी मसा ठाणा चार और मधुबालाजी मसा ठाणा चार के संघ को ग्रहण किया जिसके बाद उन्होने साधना प्रज्ञाश्रीजी मसा नाम को त्यागकर रचनाश्रीजी मसा नाम ग्रहण किया । 2018 में रचनाश्रीजी मसा अपने संघ के साथ चार्तुमास हेतु मंदसौर के स्वाध्याय भवन मेंविराजित थी ।
दुर्घटना में काल कवलित हुई संयम प्रज्ञाश्रीजी मसा  मंदसौर की बेटी थी । सांसारिक जीवन में सरोजबाला जैन के नाम से पहचाने जाने वाली साध्वीजी के सांसारिक पिता यशवंत जैन मूलतः मंदसौर जिले के ग्राम निम्बोद के रहने वाले है लेकिन आपका पूरा परिवार अब मंदसौर में ही निवास करता है । आपके भाई सचीन जैन का कृषि उपज मण्डी के समीप कारोबार है । सरोजबाला का विवाह 2002 में हुआ था लेकिन सांसारिक जीवन में आपका मन नही लगा और विवाह के करीब 6 साल बाद अपने ससुराल को छोड़कर पिता के घर आई लेकिन यहां भी मन नही लगा और धर्म और विरक्ति के मार्ग को अपनाने के लिये बढ़ चली । 2016 में आपकी दिक्षा राजस्थान के भीलवाड़ा में हुई जिसके बाद से लगातार संयंम के मार्ग पर चलकर धर्म की प्रभावना को आगे बढ़ाने में संयंम प्रज्ञाश्रीजी मसा जुटी हुई थी तभी आज चार्तुमास स्थल के लिये विहार पर जाते समय सड़क दुर्घटना का शिकार बनकर काल कवलित हो गई ।
सुरक्षा इंतजामों की है दरकार
जैन साधु-साध्वीगण किसी भी वाहन का उपयोग आवागमन के लिये नही करते है वे चाहे जीतनी दूर जाना हो, चाहे जैसा मौसम भी हो, पैदल ही विहार करते है लेकिन सड़क पर बढ़ते ट­ाफिक के चलते लगातार दुर्घटनाओं का शिकार बन रहे है लंबे समय से जैन समाज पैदल विहार कर रहे साधु साध्वीगणों की सुरक्षा की मां करता चला आ रहा है लेकिन कोई इंतजाम नही होने के कारण निरंतर दुर्घटनाएं घटित हो रही है और जिन साधु साध्वी संतो के ज्ञान और धर्मप्रभावना से संसार को लाभान्वित होना चाहिये वे असमय काल का शिकार बन रहे है । ऐसे में जैन साधु साध्वी संतो के पैदल विहार के समय सुरक्षा इंतजामों की दरकार है ।


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