Saturday, April 27th, 2024 Login Here
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मंदसौर निप्र। कोरोना से जंग जारी है इस जंग मे सरकारी डॉक्टर और पेरामेडिकल स्टॉफ की समर्पित सेवाओं और उनके जज्बे को हर कोई सलाम कर रहे है । वे भी जो कभी ना कभी किसी ना किसी बात पर सरकारी अस्पताल और वहां की व्यवस्थाओं की आलोचना करते है । डॉक्टरो पर, स्टॉफ पर अपना गुस्सा उतारते है आज जब संकट की घड़ी आई तो वही सरकारी डॉक्टर और सरकारी पेरामेडिकल स्टॉफ अपना फर्ज बखूबी निभा रहे है । रायसेन जिले की घटना ने तो इन सरकारी डॉक्टरो के प्रति जनता में सम्मान और बड़ा दिया जब प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ डॉक्टर के.के.सिलावट की माताजी का निधन हो गया लेकिन वे अपने फर्ज से डग मगाऐ नही उन्होने पहले सारे मरीजो का ईलाज किया उसके बाद अपने दर्द को झलकने दिया जबकि दूसरी और मंदसौर में हमेशा देवदूत कहलाने वाले कई निजी चिकित्सक प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर जनप्रतिनिधियों की अपील तक को नकारकर कोरोना के डर के मारे आज तक घरो में ही दुबक कर बैठे है ।
आज देश में स्वास्थ्य का आपातकाल है बावजुद इसके इस आपातकाल में हमेशा जनता से ही कमाने वाले इन निजी डॉक्टरो ने पीठ दिखा दी और जनता को यूं ही संकट में छोड़कर खूद अपने घरो में जाकर छिप गए, कोई उम्र का हवाला दे रहा है तो कोई अपनी खूद की बिमारी का । हालांकि जनसारंगी की मुहिम के बाद इन निजी डॉक्टरो में भी कुछ चिकित्सको ने सेवा की मिसाल कायम की और अपनी परवाह किए बिना कोई सरकारी अस्पताल में काम पर लग गया तो कोई अपने खुद के अस्पताल में जनता की सेवा कर रहा है । कई सेवाभावी चिकित्सक पहले से ही लगातार सेवाऐ दे रहे है । दैनिक जनसारंगी देवदूत कहलाने वाले इन चिकित्सको को जगाने के लिए निरन्तर अभियान चला रहा है जिसको स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान तक ने समर्थन दिया और डॉक्टरो का राष्ट­ की सेवा में आगे आने का आव्हान किया, इंदौर की घटना के बाद तो मुख्यमंत्री ने डॉक्टरो को पुरा संरक्षण देने तक का भरोसा दिलाया बावजुद इसके मंदसौर के कई निजी डॉक्टर अभी भी घरो से नही निकल रहे है । इसको लेकर सोश्यल मिडिया पर भी आम जनता काफी आलोचनाएें इन डॉक्टरो की कर रही है और तीखे सवाल भी कर रही है ।
65 की उम्र में डॉ. मिश्र और 70 की उम्र में डॉ. जैन दे रहे है निरन्तर सेवा
कोरोना से जंग के बीच कई निजी डॉक्टर अपनी उम्र का हवाला देकर जनता को सेवा नही दे रहे है तो कोई अपनी बीमारी को कारण बता रहा है लेकिन मंदसौर में ऐसे चिकित्सक भी है जिनके सेवा कार्यो में ना तो उम्र बाधा बन रही है और ना ही शारीरिक थकावट उन्हे सेवा के जज्बे से उन्हें रोक पा रही है । कोरोना से जंग के बीच वे लगातार अपनी परवाह किए बिना हर पल जनता के लिए उपलब्ध है । ऐसी ही चिकित्सकीय सख्शियत है डॉ. विजयशंकर मिश्र जो लगभग 65 वर्ष की उम्र में भी बिना थके, बिना रूके लगातार जनता की सेवा में जुटे है । संकट की इस घड़ी में ना तो उनके घर से कोई मरीज बिना उपचार के लोटता है और ना ही वे किसी मरीज के यहां जाने में गुरेज कर रहे है । पुरे जज्बे के साथ लगातार सेवा में जुटे है ऐसी ही एक और सख्शियत है डॉ. एस.एम.जैन जो 70 वर्ष की उम्र में भी पुरे जूनून के साथ बच्चो के दादा बनकर उनका उपचार कर रहे है ।  यहीं नही डॉ. जैन संकट की इस घड़ी में समाज के प्रति अपने दायित्व को निभाने में भी पीछे नही है । 24 घंटे वे बच्चो के उपचार में खूद को समर्पित कर रहे है तो यूवाओं में डॉ. योगेन्द्र कोठारी 24 घंटे जनता की सेवा के लिए समर्पित है तो फिर आखिर क्यों दूसरे चिकित्सक तरह-तरह के बहाने बना रहे है ।
एक निजी अस्पताल ने मना किया और दूसरे ने कर दिया ऑपरेशन
कोरोना की जंग में दैनिक जनसारंगी लगातार जनता की आवाज को उठा रहा है आज देश मेंहेल्थ इमरजेन्सी है जिसमें देश को चिकित्सको की सेवा की आवश्यकता है लेकिन कई निजी चिकित्सक अपने मूलधर्म को भुलकर जनता की सेवा से पीछे हट रहे है । दैनिक जनसारंगी का उद्देश्य किसी भी चिकित्सक के विरुध्द नही है बल्कि हमारी आवाज आम जनता के लिए है संकट की इस घड़ी में जो चिकित्सक अपने दायित्व को पुरा नही कर रहे है वे भी आगे आऐ और समाज ेके लिए खूद को समर्पित करें । बुधवार को दैनिक जनसारंगी के सामने मंदसौर शहर के एक मरीज के परिजनो ने अपनी आपबिती सुनाई और निजी अस्पताल के सेवा से पीछे हटने के कारण उसे हुई तकलीफो को बयां किया । जनसारंगी की जंग किसी व्यक्ति विशेष से नही है इसलिए हम उनका नाम प्रकाशित नही कर रहे है । मंदसौर के ही इस व्यक्ति ने हमे बताया कि उसके परिजन को आंत की समस्या थी मंदसौर के ही एक निजी अस्पताल में वह गया, चिकित्सक ने उसे तत्काल ऑपरेशन की सलाह दी लेकिन चिकित्सक ने खुद ऑपरेशन करने से मना कर दिया और कहा कि कोरोना के इस माहौल में वह ऑपरेशन नही करेगा उसे इसके लिए उदयपुर जाना पड़ेगा लेकिन जब परिजनो ने कहा कि ऐसी स्थिति में वह जिलें से बाहर कैसे जा पाएगा तो चिकित्सक ने रैफर लेटर के माध्यम से जाने की बात कहीं लेकिन इसी दौरान जब उसके अन्य परिचितो ने कहा कि बाहर जाने मे बहुत दिक्कत आएगी इसलिये स्थानीय दुसरे चिकित्सको से परामर्श करते है । ऐसे में मंदसौर के ही एक दूसरे निजी अस्पताल ने उसे तत्काल भर्ती कर दिया और अगले एक घंटे के बाद उसका ऑपरेशन भी कर दिया । 24 घंटे से ज्यादा हो चुके है वह व्यक्ति पुरी तरह से स्वस्थ है । मंदसौर के ही एक निजी अस्पताल के चिकित्सक की सेवा भावना ने उसे बिना परेशान हुए उपचार उपलब्ध करा दिया जबकि दूसरे निजी चिकित्सक ने उसे परेशान होने के लिए छोड़ दिया और उदयपुर जाने का कह दिया । ऐसे में तमाम निजी चिकित्सको को विचार करना चाहिए कि उनकी सेवा भावना मंदसौर के लोगो को कोरोना की जंग मे कितनी राहत दे सकती है ।

Chania