Monday, May 6th, 2024 Login Here
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मंदसौर निप्र।
 नगरपालिका ने चंद कर्मचारी लगाकर एक बार फिर जलकुंभी हटाने का दावा किया जा रहा है। हकीकत यह है कि जलकुंभी हटाने के लिए ठेका देने से लेकर कई प्रयास किए गए और लाखों रुपए खर्च भी हुआ। अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कर्मचारी किस तरह से जलकुंभी को हटा पाएंगे।  लगभग एक दशक से नदी में जलकुंभी से मुक्त करने के लिए जिम्मेदारों ने गंभीरता से कदम नहीं उठाए हैं। यही कारण है कि नदी में बहाव कम होते ही हर साल जलकुंभी उग जाती है। नगर पालिका ने जलकुंभी हटाने के लिए पांच सालों के भीतर पांच लाख रुपए से अधिक खर्च कर दिए, इतना ही नहीं बढ़ती जलकुंभी एवं प्रदूषित हो रही शिवना को लेकर वर्ष 2014 में जलकुंभी में तत्कालीन विधायक सिसौदिया ने विधानसभा में भी मुद्दा उठाया। नगर पालिका ने जलकुंभी मुक्त करने के लिए ठेका भी दिया, लेकि न ठेके दार बिना काम कि ए ही चले जाने के बाद नपा ने इस और ध्यान ही नहीं दिया। अब पशुपतिनाथ मंदिर के समीप छोटी पुलिया से मुक्तिधाम के समीप की छोटी पुलिया तक जलकुंभी पसरी हुई है।
स्टॉपडेम की दीवार तोड़ दी

जलकुंभी को साफ करने के लिए नपा ने 2014 में नदी में दवा भी छिडक़ी लेकि न दवा से जलकुंभी को असर नहीं हुआ तो नपा ने इस काम को रोक दिया। इसके बाद जलकुंभी हटाने का ठेका दिया गया, लेकि न ठेके दार ने कु छ ही काम कि या और वह जलकुंभी को हटाए बिना ही चला गया, बाद में सामाजिक संगठनों के सहयोग से भी जलकुंभी हटाने का प्रयास कि या गया। बाद में नपा ने जलकुंभी बढऩे का कारण मुक्तिधाम के समीप छोटी पुलिया पर बने स्टॉपडेम को मानते हुए जलकुंभी हटाने के स्थायी समाधान के उद्देश्य से पुलिया के नीचे बनी दीवार को भी तोड़ दिया, इसके बाद भी जलकुंभी नहीं हटी। पिछले दो सालों से तो नपा ने प्रयास करना ही बंद कर दिए।
गंदो पानी के कारण बढ़ रही है जलकुंभी

शिवना नदी में पशुपतिनाथ मंदिर घाट से मुक्तिधाम के बीच करीब आठ से अधिक नाले मिल रहे है। इससे भारी मात्रा में गंदा पानी नदी में मिलता है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार गंदा पानी मिलने से कै ल्शियम व मैग्नीशियम की मात्रा बढ़ जाती है। जलीय तत्वों के लिए कै ल्शियम और मैग्नीशियम भोजन का काम करते हैं। जलकुंभी रोकने के लिए इसे शिवना से में बढऩे से रोकना पड़ेगा। जलकुंभी भी निकालकर जलाना होगी। सफाई के दौरान यह तय करना होगा कि नदी में इसका एक भी बीज न रह जाए।
विधानसभा भी पहुंचा था मामला

शिवना में जलकुंभी व जल प्रदूषण का मामला मंदसौर तत्कालीन  विधायक यशपालसिंह सिसौदिया ने मार्च 2014 में विधानसभा में भी उठाया था। विधायक सिसौदिया ने शिवना को जलकुंभी मुक्त करने की कार्ययोजना बनाने की जरूरत बताई थी। उन्होंने बताया था कि जलकुंभी के कारण नदी की सुंदरता प्रभावित होने के साथ पशुपतिनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालु नदी स्नान का पुण्य लाभ नहीं ले पा रहे।

Chania