Friday, April 26th, 2024 Login Here
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मंदसौर जनसारंगी।
 कोई कारगर योजना नहीं बनने और जिम्मेदारों की लगातार अनदेखी के चलते जीवनदायिनी शिवना नदी अब पूरी तरह से गंदे पानी के नाले में तब्दील हो गई है। नालों एवं फैक्टि­यों का गंदा पानी मिलने के कारण अब शिवना का पानी इतना जहरीला हो गया है कि मछलियां भी इसमें जीवित नहीं रह पा रही हैं। बुधवार को शिवना नदी में बड़ी संख्या में मछलियों की मौत हो गई। पानी से आ रही दुर्गंध के कारण किनारे से निकलने में भी लोगों को नाक ढंककर जाना पड़ रहा है। रामघाट बैराज से मुक्तिधाम तक शहर के नालों का पानी बड़ी मात्रा में नदी में मिल रहा है। गंदे पानी को नदी में मिलने से रोकने के लिए नपा ने 20 लाख का सीवरेज भी बनाया, लेकिन वह भी कारगर नहीं हो पाया। गंदा पानी मिलने से शिवना का पानी भी हरा हो गया है। जनवरी से अब तक उज्जैन और भोपाल से आए अधिकारी चार बार नमूना ले जा चुके हैं, लेकिन सुधार के लिए कुछ नहीं हुआ है।

पशुपतिनाथ महादेव के चरणों से बहने वाली शिवना नदी शुध्द नहीं रही है। मुक्तिधाम से लेकर रामघाट तक नदी दूषित है। पशुपतिनाथ मंदिर छोटी पुलिया के आसपास हालत ज्यादा खराब है। नालों का गंदा पानी मिलने से शिवना के पानी का रंग भी बदलने लगा है, साथ ही हानिकारक बैक्टीरिया बढने से नदी का पानी जहरीला हो गया है। पानी इतना खराब हो चुका है कि नदी में मछलियां भी जीवित नहीं बच रही हैं। बुधवार को मंदिर की छोटी पुलिया के नजदीक शिवना नदी के किनारे पर मरी हुई मछलियों के ढेर दिखाई दिए। इसके बाद नगरपालिका का अमला पहुंचा। मरी हुई मछलियों को बाहर निकालकर अन्यत्र ले जाया गया। बताया जाता है कि न्यायालय मोड़ के समीप नदी में गंदे पानी का एक बड़ा नाला मिल रहा है, जिससे भारी मात्रा में पानी नदी में आ रहा है। यहां पर रुकावट होने के कारण नदी मुक्तिधाम की बजाय पशुपतिनाथ मंदिर की दिशा में बह रही है। शिवना का पानी इतना जहरीला हो चुका है कि आचमन और नहाना तो दूर नदी के समीप से निकलते समय लोगों को मुंह पर रुमाल रखकर निकलना पड़ रहा है। शिवना को शुध्द करने के लिए 2002 से अब तक लागू हुई योजनाओं पर लगभग दो करोड़ रुपए तक खर्च कर दिए गए। फिर भी पानी में लगातार ऑॅक्सीजन की कमी हो रही है। पानी में ऑॅक्सीजन कम होने के कारण ही अब पानी में रहने वाले जीव मर रहे हैं और लोगों की आस्था को भी ठेस लग रही है।
यहां से वहां तक गंदगी ही गंदगी
रामघाट से लेकर मुक्तिधाम तक चार कि मी क्षेत्र में बड़े नालों और नालियों में शहर का सारा गंदा पानी शिवना नदी में ही मिल रहा है। इसका प्रभाव यह हो रहा है कि एक अच्छी-खासी जीवित नदी गंदे पानी का डबरा बनकर रह गई है। शिवना में गंदगी की शुरुआत खानपुरा के पास बुगलिया नाले से होती है, जो मुक्तिधाम पर मिल रहे बड़े नाले पर समाप्त हो रही है।
एप्को की टीम ने लिए थे सैंपल
लगातार प्रदूषित हो रही शिवना नदी के उत्थान के लिए कार्य कम, बातें अधिक हो रही हैं। नगर पालिका शिवना के शुध्दिकरण एवं सौंदर्यीकरण के लिए योजनाएं बनाने के अलावा भी कु छ नहीं कर पाई। करोड़ों खर्च भी हुए, पर शिवना की हालत नहीं बदली। प्रदूषित हो चुकी शिवना नदी के पानी के सैंपलों की जांच भी वर्षभर के भीतर करीब चार बार हो चुकी है, लेकिन जल शुध्द होने की बजाय और अधिक खराब हो गया। जनवरी 2019 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उज्जैन की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शोभा धानेकर के साथ चार सदस्यीय टीम मंदसौर आई शिवना के पानी का सैंपल लिया था। रिपोर्ट में पानी में हानिकारक बैक्टीरिया पाए गए। इसके बाद हाल ही में 11 दिसंबर को भोपाल से आई एप्को की टीम ने भी सैंपल लिए थे।

इनका कहना
जैसे ही सूचना मिली तत्काल स्वास्थ्य अधिकारी को मौके पर भेजा। पता लगा है कि पानी कमी होने के कारण मछलियों की मौत हुई है। अब व्यवस्थाऐ पुख्ता कर दी गई है । गंदा पानी आने को लेकर विस्त्रत योजना भोपाल एप्कों ने बनाई है शिवना शुद्विकरण की कार्रवाहीं प्रचलित है, स्वीकृति मिलने के बाद इस पर काम आगे बडेगा।
प्रेमकुमार सुमन, सीएमओं नगर पालिका
Chania