Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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ऐतिहासिक रहा 10 दिवसीय भव्य धार्मिक आयोजन
मन्दसौर निप्र। श्री तीन छत्री बालाजी धाम पर 25 जनवरी से आयोजित दस दिवसीय धार्मिक आयोजन का समापन 4 फरवरी को विशाल प्रसादी भण्डारे से हुआ। सन्त, विप्रजन, पशुपतिनाथ संस्कृत पाठशाला बटूक, अपना घर बालिकाओं की प्रसादी ग्रहण अपरान्ह ठीक 4.15 बजे से प्रारंभ हुआ भण्डारा, देर रात्रि 11 बजे तक जारी रहा। संभवतया  नगर का यह प्रथम प्रसादी भण्डारा था जो इतनी देर रात तक जारी रहा। रावण प्रतीमा परिसर से लगाकर मंदिर धाम तक प्रसादी पांडाल अपार भीड़ की कतारे देखी जाती रही। सभी सुविधा से प्रसाद ग्रहण कर सके इसके लिये 24 काउंटर खोले गये थे। लगभग 18 हजार भक्तों ने सुन्दर आकर्षक श्रृंगार से सजाये गये बालाजी के दिव्य दर्शनोंपरांत प्रसाद ग्रहण करते रहे।
उल्लेखनीय है कि दशकों बाद विशाल पैमाने पर आयोजित इस आध्यात्मिक आयोजन में जयपुर के प्रमुख यज्ञाचार्य श्री रतनलाल लाटा के नेतृत्व में दिन में 9 कुण्डीय श्री राम महायज्ञ के साथ ही रात्री को अन्य धार्मिक आयोजनों में नगर के ही राष्ट­ीय रामायण प्रवक्ता पू. दशरथभाईजी की रामचरित मानस पर आधारित पंच दिवसीय श्री हनुमन तत्व पर संगीतमय कथा, श्री प्रवीण वर्मा देवास का विवेचनात्मक संगीतमय सुन्दरकाण्ड पाठ ''सुनो रे राम कहानी'' शीर्षक से अंतर्राष्ट­ीय रंगकर्मी बाबा सत्यनारायण मोर्य का गीत संगीत चित्रांकन के माध्यम से रामायण के प्रसंगों को परिवार से लेकर समाज, राष्ट­ और राजनीति के अपार भीड़ की उपस्थिति में  लगातार साढ़े तीन घण्टे तक प्रेरणात्मक आकर्षक प्रदर्शन जैसे कार्यक्रमों ने जो अमिट ऐतिहासिक छाप छोड़ी है वह मंदसौर के आध्यात्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में सदैव स्मरणीय रहेगी।
इस आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि वैष्णव रामानन्द सम्प्रदाय के लगभग 300 संतों का यहां पदार्पण हुआ। बालाजी धाम के परम् संरक्षक पूज्य रामकिशोरदासजी महाराज को रामानन्द सम्प्रदाय के विधानानुसार संतों के द्वारा चादर औढ़ाकर महंत पद पर गद्दी निशानी किया गया। इस आयोजन की एक ओर विशेषता यह रही कि नागा सम्प्रदाय के अनेक साधु सन्त जो केवल कुम्भ सिंहस्थ में अपने चारों तरफ कन्डो से अग्नि प्रज्जवलित कर दोपहरी में जो घण्टों आग की धूनी के बीच बैठकर तपस्या करते है उस दृश्य के दर्शन करने का सौभाग्य भी प्रथम बार नगरवासियों को मिला। 





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