Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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बरसात शुरु होते ही पहुंचने लगे भेड़ों के झुंड, वन क्षेत्र को पहुंचाते हैं नुकसान
मंदसौर निप्र। बरसात शुरू होते ही राजस्थान क्षेत्र से बड़ी तादात में भेड़ों को लेकर चरवाहे जिले में प्रवेश करने लगे हैं। गांधीसागर और अन्य हिस्सों में वन क्षेत्र को काफी इससे नुकसान होता है। कई बार वन विभाग के कर्मचारियों व चरवाहों में खूनी संघर्ष भी हो चुका है। वन विभाग के पास इन्हें रोकने के लिए स्टाफ कम है।  इसलिए दो साल पहले पुलिस प्रशासन व कलेक्टर को पत्र लिख सशस्त्र बल की मांग थी। इसके साथ इन्हें रोकने का प्लान भी तैयार किया गया था। हालांकि न बल मिला और न ही प्लान पर काम किया गया। जिसके कारण एक बार फिर भेड़ो का झुंड  प्रवेश करने लगा है।
बारिश के दौरान राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ व कोटा की तरफ से हजारों भेड़ों व ऊंटों को लेकर सैकड़ों चरवाहे मप्र की सीमा में प्रवेश करते हुए वापस राजस्थान की सीमा में जाते हैं। इस दौरान चरवाहे गांधीसागर वन क्षेत्र में पशुओं को चराने के लिए अवैध रूप से घुसते हैं। भेड़ों की संख्या हजारों में होने की वजह से वन क्षेत्र को भारी नुकसान होता है। बारिश शुरु होते ही एक बार फिर चरवाहे भेड़ों को लेकर जिले में प्रवेश करने लगे हैं। अभी तक  वन विभाग इन्हें रोकने के लिए कई योजनाएं बनाई। हालांकि योजनाओं और प्रयासों में कहीं न कहीं कमी के कारण भेड़ों से वन विभाग नहीं निपट पाया। पूर्व के सालों में चरवाहों के साथ हुए खूनी संघर्ष को देखते हुए वन विभाग ने इस तरह की घटनाओं के वापस होने की आशंका के चलते जुलाई २०१८ में कलेक्टर व पुलिस प्रशासन से मदद मांगी है। तत्कालीन मंदसौर डीएफओ ने पुलिस- प्रशासन को पत्र लिख एक चार की चार टुकडिय़ां भानपुरा क्षेत्र के लिए मांग। थाना प्रभारियों को वन मंडल के कर्मचारियों द्वारा सहयोग मांगे जाने पर तुरंत सहयोग प्रदान करने के निर्देश जारी करने को कहा। नीमच कलेक्टर को पत्र लिखकर सुरक्षा व्यवस्था के लिए होमगार्ड की एक चार की 4 टुकडिय़ों की मांग की गई। हालंाकि पुलिस विभाग के पास भी स्टॉफ की कमी के कारण कोई खास मदद नहीं मिल पाई।
डेढ़ से दो लाख भेड़ें पहुंची मंदसौर
इस तरह हजारों भेड़ों के साथ चरवाहे गांधीसागर वन क्षेत्र में प्रवेश कर भारी नुकसान पहुंचाते हैं। झुंड में आते हैं चरवाहे- राजस्थान सीमा से भेड़ व ऊंट लेकर चरवाहे झुंड में आते हैं। इसमें 10 से 15 लोग 20 से 25 हजार तक भेड़ें लेकर चलते हैं। इस तरह सात से आठ चरवाहों के झुंड एक साथ डेढ़ से दो लाख भेड़ें लेकर चलते हैं। झुंड अधिक होने पर इनकी संख्या कई अधिक हो जाती है।
वन विभाग की टीम पर हमला
करीब चार साल पहले भी रामपुरा क्षेत्र से वन क्षेत्र में चरवाहों को प्रवेश करने से रोकने के मामले में चरवाहों ने वन कर्मचारियों पर हमला कर दिया था। चरवाहे गोपन (गिलोल की तरह हथियार, जिसमें पत्थर रखकर घुमाकर फेंकते हैं, पत्थर बंदूक की गोली की तरह तेज गति से जाता है) से हमला करते हैं। उस दौरान भी कई वन कर्मचारी घायल हो गए थे।
बल व वाहन मांगे, दस्ते तैयार किए
चरवाहे अमूमन रामपुरा, मनासा से वन क्षेत्र में प्रवेश करते हुए जावद, रतनगढ़ के वन क्षेत्र से होकर राजस्थान की सीमा में जाते हैं। इसी तरह रामपुरा के भदाना सर्कल से प्रवेश करते हुए वन क्षेत्र से होते हुए कुआखेड़ा राजस्थान, पतलोई, अभयारण्य राजस्थान सीमा पर पहुंचते हैं। वन विभाग ने इस तरह इनके आने वाले संभावित मार्गों का नक्शा तैयार कर उन पर गश्त बढ़ाई थी। अतिरिक्त बल व वाहनों के लिए विभाग ने उच्च अधिकारियों से भी मांग की थी। हालांकि कोई खास मदद नहीं मिल पाई।
Chania