Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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ग्राम पलेवना में किसानों ने किया विधिवत पूजन-अर्चन
मंदसौर जनसारंगी

देवी काली का पूजन कर किसानों ने अफीम डोडों में चीरा लगाया। साथ ही अफीम की पैदावार शुरू हो गई है। गांव के मुखिया रोजाना अफीम का कच्चा तौल कर रहे हैं। नारकोटिक्स विभाग भी तैयारियों में जुट गया है। अफीम काश्तकारों ने शुभमुहूर्त में देवी कालिका का पूजन कर देवी को डोडों से निकला दूध चढ़ाया।चीरा लगाने के बाद किसान खेत में नंगे पैर प्रवेश कर फसल को नमन करते हैं।
रविवार को ग्राम पलेवना मंे खेत में मां कालिका की मूर्तियों की विधि-विधान से स्थापना की और पूजा-अर्चना के बाद से अफीम के डोडों की चिराई का काम शुरू किया। इस क्षेत्र के लगभग सभी किसानों ने  चिराई और लुनाई की शुरुआत कर दी है। किसाऩ बताते हैं कि अफीम की खेती सम्मान की खेती है। इसमें किसान परिवार के बच्चों से लेकर वृद्ध तक मदद करते हैं।उनका कहना है कि अफीम की खेती में लागत और आमदनी बराबर पड़ती है। फिर भी किसान सम्मान के कारण यह खेती करता है। चोरों-तस्करों और जंगली जानवरों का भी डर लगता रहता है। अफीम के खेतों में चिराई और लुनाई का काम बिना पूजा के शुरू नहीं होता। पहले देवी मां की विधिवत स्थापना की जाती है और प्रतिदिन पूजा करते हैं। मां कालिका की पूजा के बाद ही अफीम के खेतों में चिराई और लुनाई के लिए कदम रखते हैं। पूजा-पाठ के बिना कोई किसान खेतों में नहीं जाता।
चिराई और लुनाई के पूर्व यह प्रक्रिया
हर साल फरवरी माह  में पट्टेदार चिराई और लुनाई की शुरुआत करते हैं, लेकिन इसके पूर्व खेत में 5 पत्थरों को सिंदूर अर्पित कर मां कालिका की मूर्तियों की सांके तिक स्थापना की जाती है। विधिवत पूजा-अर्चना के बाद 5 डोडों को संयुक्त रूप से लच्छे से बांधा जाता है। शुभ और विशेष मुहूर्त में पट्टेदार कि सान और श्रमिक इन 5 डोडों को चीरा लगाते हैं। इसके बाद प्रतिदिन पूजा-अर्चना के बाद पट्टेदार कि सान डोडों की चिराई और अफीम की लुनाई का काम करते हैं।
अफीम निकालने की प्रक्रिया
चिराई  किसान पूर्ण रूप से विकसित डोडों पर एक विशेष प्रकार के औजार से चीरे लगाते हैं। चिराई का यह काम प्रतिदिन दोपहर करीब 12 से शाम करीब 4 बजे तक कि या जाता है। जिन डोडों में चीरे लगाए जाते हैं, अगले दिन एक विशेष यंत्र से डोडों पर जमा होने वाली अफीम को एकत्रित किया जाता है। इसे लुनाई कहा जाता है। लुनाई का यह काम प्रतिदिन सुबह करीब 6 से 9 बजे तक किया जाता है।


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