Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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आम जनता की जान पर बन रहीं फिर भी जर्जर मकान मालिक खुद तुड़वाते नहीं और नपा कभी तोड़ती नहीं
मंदसौर जनसारंगी।
 जर्जर मकानों के नाम पर नगरपालिका की औपचारिकता का खेल जारी है। लंबे समय से कई मकान नगरपालिका की सूची में है। इन्हें तोडने की हिम्मत नगरपालिका नहीं कर पाई। सिर्फ नोटिस देकर नगरपालिका हर साल इतिश्री करते आ रही है। हा यह जरुर है कि नगरपालिका का काम प्रकृति या मकान मालिको ने ही कर दिया। कई मकान खुद टूट गए या मकान मालिकों ने तुड़वाकर नए बनवा लिए। इस बार भी नगरपालिका ने जो नोटिस जारी किए है। उसमें कई मकान ऐसे हैं, जिन्हें आठ से दस साल से कम्प्यूटर पिं्रट निकालकर सिर्फ नोटिस पहुंचाया जा रहा है। कई बार तो नपा ने उन मकान मालिकों को भी नोटिस जारी कर दिए, जिनके मकान टूट गए या नया मकान निर्माण हो चुका था।
शहरभर में जर्जर मकानों की संख्या 100 से अधिक है, लेकिन नपा के सर्वे में 52 मकान ही जर्जर पाए गए हैं। इसके बाद नपा ने ऐसे मकानों को गिराने या मकान मालिकों से गिरवाने की कार्रवाई नहीं की। हमेशा की तरह नोटिस जारी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली जबकि बारिश की बूंदें लगते ही जर्जर मकान खतरनाक स्थिति में पहुुंच जाते हैं। 2019 में हुई अधिक बारिश से शहर में जर्जर मकान और ऐसे मकानों के हिस्से गिरने के आधा दर्जन से अधिक हादसे हुए थे लेकिन नगर पालिका कोई सबक लेने को तैयार नहीं। नगरपालिका की लापरवाही का आलम यह है कि नोटिस जारी किए गए कई मकान मालिकों के नाम लंबे समय से नपा की सूची में है। इन्हें हर साल नोटिस पहुंचाकर इतिश्री कर ली जाती है। हर साल सर्वे के नाम पर कार्यालय में बैठकर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है। कई लोग जर्जर मकानों को छोडकर दूसरे स्थानों पर चले गए। अब वे मकान आस-पास रह रहे लोगों के लिये खतरा बन रहे हैं। शहर में नपा की सूची में शामिल अधिकांश मकान रसूखदारों के हैं तथा कु छ ऐसे लोग है जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होने के कारण मकान को बनवा या तुड़वा नहीं पा रहे हैं।
आंकड़ों पर फरमाए गौर
आंकड़ों पर गौर करे तो शहर में 2015 में 36 ऐसे मकान चिन्हित हुए जो जर्जर थे। 2016 में जर्जर मकानों की संख्या 28 मकान रह गई। 2017 में भी ऐसे मकानों की संख्या कम तो हुई लेकि न हादसों का भय पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ। वर्तमान में लगभग सौ मकान शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में जर्जर स्थिति में हैं। जबकि नोटिस बावन को दिया गया है। मजे की बात यह है कि उन बावन में 2015 से 2020 तक की नपा सूची में शामिल मकान है। जिन्हें हर साल नोटिस पहुंचाया जाता है।  कई ऊंची इमारतें इतनी जर्जर हो चुकी है कि बारिश और आंधी से कभी भी जमींदोज हो सकती है। इसके बाद भी नपा के अधिकारी और कर्मचारी नोटिस जारी करने के अलावा कु छ नहीं कर रहे हैं।
अप्रैल 18 में कलेक्टर ने दिए थे जर्जर भवनों को गिराने के आदेश
अप्रैल 2018 में इंदौर में एक जर्जर मकान गिरने के हादसे के बाद मंदसौर के तत्कालीन कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने 10 अप्रैल को समय सीमा संबंधी बैठक में नपा की तत्कालीन सीएमओ सविता प्रधान को आदेश दिए थे कि शहर के जर्जर भवनों को चि-ति कर गिराने की कार्रवाई की जाए। जहां जनहानि की आशंका हो, उसे तत्काल गिराया जाए। इस आदेश के बावजूद नपा ने जर्जर भवनों की स्थिति नहीं देखी। के अलावा कु छ नहीं करते, जबकि इन मकानों से लोगों की जान को खतरा है।
अब तक हो चुके हैं कई हादसे
वर्ष 2014 में बारिश के दौरान नयापुरा रोड पर जर्जर मकान का छज्जा गिरने से मजदूर घायल हो गया था। लगभग 10 साल पहले सम्राट मार्ग पर एक मकान ढहने से महिला की मौत हो गई थी। दो साल पहले बोहरा बाखल में भी एक मकान गिर गया था, हालांकि जनहानि नहीं हुई थी। तुलसीदास गली में दो वर्ष पहले जर्जर मकान की दिवार ढही थी। 16 अगस्त 19 को तुलसीदास गली में तीन जर्जर मकानों के हिस्से गिरे। 9 अगस्त 19 की सुबह मंडी गेट के समीप करीब 100 वर्ष पुराना मकान ढह गया। इसी दिन भानपुरा में भी एक जर्जर मकान गिरा था। छह सितंबर 19 को नीम चैक जागेश्वर मंदिर के पास एक जर्जर मकान का हिस्सा गिर गया था। इस साल जर्जर मकान गिरने से पिपलियामंडी, शामगढ़ एवं गरोठ क्षेत्र में दो मासूमों सहित तीन की मौत भी हो चुकी है।
इन क्षेत्रों में अधिक है जर्जर मकान
शहर के पुराने मोहल्लो में जर्जर मकानों की संख्या अधिक है। कोलगर गली, शहर कि ला रोड, जनकू पुरा, राम मोहल्ला, तुलसीदास गली, नजमपुरा, तैय्यबपुरा, नरसिंहपुरा, श्रृंगार गली आदि क्षेत्र शामिल हैं।

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