Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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..मन्दसौर । मध्यप्रदेश के मन्दसौर जिले में  गाँधीसागर बाँध का दुर्लभ दृश्य-बांध तत्कालीन चीफ इंजीनियर श्री ए के चार अधीक्षण यंत्री सी एच सांघवी सिविल शिवप्रकाशम् इलैक्ट्रीकल के मार्गदर्शन में बना था।बांध की गुणवत्ता एवम् एशिया के.सबसे कम व्यय से बनने वाले  बांध की समयसीमा मे ं पूर्ण होने पर चार साहब को पद्मश्री की उपाधि सै अलंकृत कर सम्मानित किया गया था  19नवंबर 1960 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के हाथों राष्ट्र को समर्पित किया गया ।यह तिथि उनकी पुत्री इंदिरा गांधी की जन्मतिथि के कारण चयन की गई थी जय श्री कृष्ण राधे राधे जय भारत।जय चंबल मैय्या।।बांध का मोडल खडग्वासला रिसर्च,,इन्स्टीट्यूट पूना द्वारा बनाया गया था और प्रारंभ मे इसे चंबल घाटी परियोजना (चंबल वेली प्रोजेक्ट्स)का नाम दिया गया था जिसे चार चरणों में पूरा किया जाना था प्रथम चरण में गांधी सागर दूसरे मे राणा प्रताप सागर (रावतभाटा) तीसरे मे जवाहर सागर(कोटा डेम)चौथे मे कोटा बैराज पहले तीनों बांधों से विद्युत उत्पादन और चौथे से सिंचाई।का लक्ष्य रखा गया था।कुल मिलाकर इंटरनेशनल कंट्रोल बोर्ड के निर्देशन में मध्यप्रदेश,और राजस्थान की धरती  को सरसब्ज़ करना ।भारत विकास प्राधिकरण  का  यह दूसरा सपना पूरा हुआ।जय भारत।जय चंबल मैय्या।मेरा भारत महान।स्वस्तिरस्तु ।शुभमस्तु।सप्रेम  नमस्कार।सुप्रभातम्।चम्बल नदी की कुल लंबाई 965 कि.मी. है। इसका उद्गम स्थल जानापाव की पहाडी (मध्य प्रदेश) है। बनास नदी, क्षिप्रा नदी, शिवना, काली सिंध, पार्वती, छोटी कालीसिंध, ब्राह्मणी आदि चम्बल की सहायक नदियाँ हैं।

                   चम्बल नदी का कुल अपवाह क्षेत्र 19,500 वर्ग किलोमीटर हैं। चंबल के अपवाह क्षेत्र में चितौड, कोटा, बूंदी, सवाई माधौपुर, करौली, धौलपुर इत्यादि क्षेत्र शामिल हैं।

                  चंबल नदी मध्य भारत में यमुना नदी की सहायक नदी है। चम्बल नदी धार, उज्जैन, रतलाम, मन्दसौर, भिंड, मुरैना आदि जिलो से होकर बहती है। यह नदी उत्तर प्रदेश में यमुना नदी में मिल जाती है। उत्तर प्रदेश में बहते हुए 965 किलोमीटर की दूरी तय करके यमुना नदी में मिल जाती है।
 ।। जय चम्बल।।गांधीसागर बांध निर्माण  पर एक नजर

योजना बनी- मार्च 1950 मेंं।

शिलान्यास मार्च 1954 में।

- शिलान्यास किया- पं. नेहरू ने।

- योजना पूरी -19 नवंबर 1960 में।

- बनने में लगे थे 6 साल।

- लागत आई - 13.60 करोड़ रुपए।

- जल विद्युत गृह बना- 4.79 करोड़ में।

- जल ग्रहण क्षेत्र- 23025 वर्ग किमी है।

- बांध की लंबाई – 1685 फीट।

- बांध की ऊंचाई – 204 फीट।

- जलाशय का क्षेत्रफल – 660 वर्ग किमी।

- जल निकासी द्वार – शिखर द्वार 10, निचले द्वार 9।

- जलाशय में कुल जल भंडार – 7164.38 घनमीटर।

- अभी 564 जीडब्ल्यूएच कुल ऊर्जा का उत्पादन।

- करीब 427.000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर सिंचाई।  * कृष्णा गोस्वामी  गांधीसागर *
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