Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने लिया पशुपतिनाथ मेले का आनंद, बाजार में भी रहीं भीड़-भाड़
मंदसौर जनसारंगी।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजाधिराज भगवान पशुपतिनाथ की नगरी मंदसौर में आस्था और विश्वास का संगम हुआ, शिवना नदी के तट से श्रृद्धालुओं ने जगमगाती टाटियां विसर्जित कर सुख-समृद्धि की कामना की और मेले का आनंद लिया। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिव आराधना के साथ टाटिया में दीपक रखकर नदी में प्रवाहित करने से व्रत पूर्ण होता। इस दौरान पूरे दिन बाजार में भी खूब भीड़-भाड़ रहीं। पिछले साल मेला नहीं लगा ऐसे में इस बार व्यापारियों को भी अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है।
पूरे कार्तिक मास में युवतियां और महिलाएं व्रत रखकर घर में सुख-समृद्धि की प्राप्ति की कामना करते हुए विभिन्न जलाशयों में स्नान करती है और पूर्णिमा के दिन शिवना नदी में लकडी से बनी टाटियों पर दीप प्रज्जवलित कर उन्हें प्रवाहित करती है। जिसके कारण नदी में शाम के समय अलौकिक नजारा था, पानी में जगमगाती टाटियां पूरे परिसर को आलोकित कर रहीं थी। साथ ही साथ सालभर भगवान पशुपति नाथ के प्रांगण में लगने वाले मेले का लुफ्त भी खूब उठाया। परंपरागत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाए गऐ पूर्णिमा उत्सव पर सुबह से नगर में विशेष रोनक थी।भ् ागवान पशुपतिनाथ मंदिर दर्शन करने वाले श्रद्धालु दर्शनार्थियों की भीड़ सुबह से ही नगर में पशुपतिनाथ मन्दिर मार्ग पर देखी जा रही थी। मंदसौर शहर ही नहीं आसपास के ग्रामीण अंचल से भी बड़ी संख्या में लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन मंदसौर दर्शन करने के लिए आते हैं इसी परंपरा का पालन करते हुए आज आसपास के अनेक क्षेत्रों से विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का मंदसौर आवागमन हुआ। पशुपतिनाथ के दर्शन करने के पूर्व अनेक ग्रामीण श्रद्धालु महिलाओं ने शिवना नदी में लकड़ी की टाटिया बनाकर आटे का दीपक प्रज्जवलित किया और दीपदान करते हुए अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा शांति की प्रार्थना कि समाज परिवार की सुख शांति समृद्धि की भी कामना की गई । यह एक पारंपरिक सांस्कृतिक परंपरा है जिसका परिपालन ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालु करते हैं। शिवना नदी के घाट पर आज बड़ा ही उत्सवी वातावरण था आसपास के ग्रामीण क्षेत्र की जनता बड़ी संख्या में शिवना नदी के किनारे सपरिवार एकत्र हुई। और अलग-अलग समूहों में सभी ने कार्तिक पूर्णिमा की रस्मों का पालन किया यही नहीं गांव व शहर से आए लोगों ने नदी किनारे ही भोजन बनाकर लोगों ने पिकनिक का भी आनंद लिया तो कई टिफिन में खाना ले कर आए।
हालांकि आज मौसम बड़ा ही सर्द था लेकिन आस्था मौसम पर ज्यादा भारी रही। मौसम चाहे कैसा भी हो ग्रामीणों ने बड़े उत्साह के साथ मंदसौर पहुंचकर दर्शन किए हालांकि आज वर्षा नहीं हुई भले ही ठंडा मौसम था फिर भी यहां उत्साह में कोई कमी नहीं देखी गई ।श्रद्धा का सैलाब था उत्साह की अतिरंजना थी और समर्पण का भाव यहां स्पष्ट गया देखा जा रहा था।
पशुपतिनाथ मंदिर गर्भगृह के बाहर  दर्शनार्थियों की काफी भीड़ एकत्र हुई पहले दीपदान किया। भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन और बाद में पशुपतिनाथ मेले का भी आनंद ग्रामीण श्रद्धालुओं ने उठाया। सामान्यतया कार्तिक पूर्णिमा से ही पशुपतिनाथ का मेला व्यवस्थित तरीके से लगता है हालांकि इस बार तो ऐन वक्त पर मेले का निर्णय लिया फिर भी कार्तिक पूर्णिमा पर मेले में अपना आकार ले लिया था झूले चकरी लग गए छोटी बड़ी दुकानें भी सज गई। श्रद्धालु यहां पहुंचते ही मेलार्थी बन गए।
मंदिर परिसर में रहीं अव्यवस्थाऐ
भगवान पशुपतिनाथ की ख्याती नहीं बढने के पीछे मंदिर प्रबंधन समिति को जिम्मेदार ठहराया जाता है कार्तिक पूर्णिमा के दृश्य देखकर यह सहीं भी साबित हुआ। मंदिर परिसर में हाल ही में पुताई कराई गई थी लेकिन फर्श पर पुताई के पेंट्स के छीटे साफ नहीं किये गए पूरा परिसर गन्दा दिखाई दे रहा था। आते जाते लोगों के लिए यह एक उपहास व आलोचना का विषय रहा। मन्दिर प्रबन्ध समिति की व्यवस्थाओं पर लोगों ने सवाल उठाए। इतने महत्वपूर्ण दिन हजारों लोगों का  आवागमन होगा यह जानकर भी मंदिर की सफाई नहीं की गई। शिवना नदी में मन्दिर के सामने फव्वारे भी लगाये गए थे जिससे नदी की सुंदरता दिखाई दी। हालांकि सर्दी व मावठे का मौसम होने से शिवना स्नान करते तो लोग नहीं देखे गए। फिर भी यहां नोका व लाइफ गार्ड की तैनाती की गई थी।
मेले में हुआ वैक्सीनेशन
 कार्तिक पूर्णिमा के दिन एक और विशेष बात यहां या देखी गई की यहां पर कोरोना के टीका लगाने के भी काउंटर लगाए गए थे जिन लोगों ने दूसरा डोज नहीं लगाया वह यहां अपना दूसरा डोस भी लगवा रहे थे पशुपतिनाथ मंदिर परिसर और मेला परिसर दोनों जगह  टीकाकरण के अलग-अलग काउंटर लगाए गए थे जिनका काफी लोगों ने टीका लगवा कर लाभ लिया।
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