Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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अधिकांश मामलों को सुलझाने में नहीं मिलती सफलता
मंदसौर जनसारंगी।
 कालेधन एवं भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए नोटबंदी के बाद सरकार का पूरा जोर बाजार में प्लास्टिक मनी मतलब ऑनलाईन या कार्ड पेमेंट का इस्तेमाल बढ़ाने पर है। शहर सहित जिले में भी तीस से चालिस फिसदी लोग इसका उपयोग कर रहे हैं। वहीं इससे फ्राड की शिकायतें साल में करीब पद्रह से बीस पहुंचती है। पुलिस को महज नाम मात्र की शिकायतों में ही सफलता हाथ लग पाई है। इसका कारण पुलिस का अपडेट नहीं होना। विशेषज्ञ की कमी व साइबर लेब का अभाव है।
ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि जब अधिकांश लोग प्लास्टिक मनी डेबिट-क्रेडिट कार्ड के साथ ही ई वालेट का इस्तेमाल करने लगेंगे तो फिर इसके साथ ही बढऩे वाले साइबर अपराधों से कैसे निपटा जाएगा। शहर की आबादी करीब डेढ़ लाख है। जिसमें साठ से सित्तर फिसदी के पास डेबिट कार्ड है। वहीं बीस से पच्चीस फिसदी के पास क्रेडिट कार्ड है। खरीदी, टेक्स एवं बिल भरने में तीस से चालिस फिसदी इनका इस्तेमाल करते हे। अभी ग्रामीण क्षेत्रों में इसका उपयोग ज्यादा नहीं बढ़ा है। लेकिन जब इसका उपयोग बढ़ जाएगा तो ऑनलाईन फ्राड से कैसे निपटा जाएगा?
अपना कार्ड किसी के हाथ में ना दे
साइबर सेल के अनुसार इंटरनेट फ्राड के लिए लोगों को तकनीक फ्रेंडली नहीं होना जिम्मेदार है। प्लास्टिक मनी में दो तरह के फ्राड होते हैं। साशल साइड या मोबाईल फोन के जरिए कॉल कर गोपनीय पीन और कार्ड नंबर हासिल करना। दूसरा लापरवाही से जानकारी सार्वजनिक करना। कोई भी फोन करें, गोपनीय जानकारी नहीं दे। कार्ड धारक ऑनलाईन पेमेंट में कार्ड का उपयोग खुद के कम्प्यूटर, लेपटॉप या मोबाईल में करना चाहिए। कहीं भी कार्ड स्वाइप करें तो अपने हाथ से। दूसरी बार कार्ड स्वाइप ना करें। ऐेसे में कार्डक्लोन की ज्यादा आशंका होती है।
ई बैकिंग के लिए कितने तैयार हैं हम
ऑनलाईन फ्राड से जुडे मामलों की जांच के लिए साइबर सेल तो गठित है पर साइबर एक्सपर्ट नहीं है। पुलिस वर्तमान में जिले में जो साइबर क्रोम के बारे में जानते है, उनसे मदद लेती है। उसके बाद ही मामला नहीं सुझता तो बाहर के साइबर एक्सपर्ट की मदद लेती है। जांच रिपोर्ट संबंधित थाने को मिलने के बाद पुलिस अधिकारी मामले से संबंधित आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करती है। जिला मुख्यालय पर स्थिति साइबर  सेल में बेहतर साफ्टवेयर की कमी है। इसके साथ ही पुराने सिस्अम लगे हुए है।यहां पर स्टॉफ की कमी है। अभी तक सामने आया है कि ज्यादातर ऑनलाइर्नन फ्राड के मामलों में झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल से हुए है। कई मामलों में आरोपी पकड़ में नहीं आ पाए है।

Chania