Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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शहर में कई जगहों पर नियम विरूद्व निर्माण हो चूके नहीं हो रहीं कोई कार्रवाहीं
मंदसौर जनसारंगी।
 अवैध और नियम विरुद्ध निर्माण रोकने के लिए नपा के नियम को जिम्मेदार नजरअंदाज कर रहे हैं। नपा को ऐसे आवेदन पर भौतिक सत्यापन के बाद कार्य पूर्णता प्रमाणीकरण करना चाहिए। पांच साल से नपा ने निर्माण अनुमति के साथ नामांतरण के कई प्रकरणों को स्वीकृति तो दी लेकिन जिम्मेदार जांच करना भूल गए। ऐसे प्रकरण में नपा के खजाने में छाबनीन, निर्माण अनुमति, नामांतरण के नाम पर 1 करोड़ रुपए से ज्यादा सालाना पहुंचता है। राजस्व विभाग, निर्माण शाखा और इंजीनियर तीन विभागों के बीच प्रक्रिया उलझी होने से अवैध निर्माण रोकने पर कोई ध्यान नहीं देता है।
शहर में अवैध निर्माण का मुद्दा लगातार सामने आ रहा है। नपा नियमों के मुताबिक निर्माण अनुमति, नामांतरण को लेकर पूरी प्रक्रिया का पालन करती है। इसमें राजस्व विभाग, निर्माण शाखा और इंजीनियर की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। राजस्व निरीक्षक, निर्माण विभाग सुपरवाइजर और इंजीनियर की जिम्मेदारी होती है कि वे ऐसे आवेदन, स्वीकृत नक्शे के साथ मैदानी रिपोर्ट भी लगाएं। नपा आवेदन प्रक्रिया को निपटा तो देती है लेकिन मैदानी रिपोर्ट को लेकर गंभीरता नहीं दिखाती। जिम्मेदार खुद मानते हैं कि जो नक्शे नपा में दिए उसमें सुविधा और जरूरत के मुताबिक कई लोगों ने बदलाव किया है। इसके बाद भी कार्रवाई के नाम पर नपा ठोस कदम नहीं उठा पा रही है।
यह है एक उदाहरण
जिला अस्पताल रोड पर बना पांडव मार्केट बगैर अनुमति निर्माण का सबसे बड़ा उदाहरण है। 2008 में इस भवन में बगैर अनुमति दूसरी मंजिल पर 18 और तीसरी मंजिल पर 26 दुकान बन गई लेकिन नपा के जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया। शिकायत पर कार्रवाई की और 2012 में 56 लाख का जुर्माना आरोपित किया।
कई स्तर पर जांच के बाद तैयार होते हैं प्रकरण
नामांतरण और निर्माण अनुमति के प्रकरण आवेदन के बाद कई स्तर की जांच के बाद ही तैयार होते हैं। इसके बाद ही नपा निर्णय लेती है। नक्शों के मुताबिक निर्माण हुए या नहीं इसे लेकर इंजीनियर और संबंधित विभाग की रिपेार्ट को देखा जाता है। भौतिक सत्यापन के बाद पूर्णता प्रमाणीकरण जारी नहीं करना गंभीर चूक है। इससे अवैध निर्माण का बढ़ावा मिल रहा है। इसका रिकॉर्ड तैयार करवाकर जल्द ही जांच कराई जाएगी।
यह है नियम
नपा द्वारा आवेदन के बाद निर्माण अनुमति दी जाती है तो संबंधित इंजीनियर की जिम्मेदारी होती है वे नजर रखे। आवेदन के बाद एक साल के अंदर ही निर्माण को पूरा मान लेते हैं। इसके बाद नियमानुसार भवन मालिक या नपा इंजीनियर को कार्य पूर्णता प्रमाण-पत्र तैयार कराना चाहिए। न तो भवन मालिक इस ओर ध्यान देते हैं न ही नपा इंजीनियर मौके की जांच के बाद कार्य पूर्णता प्रमाण-पत्र जारी करते हैं। रिकॉर्ड के मुताबिक ही नपा नामांतरण के लिए सालाना 800 से ज्यादा और भवन निर्माण के लिए 600 से ज्यादा अनुमति जारी करती है। इसके बाद भी तीन साल में अब तक एक भी कार्यपूर्णता पत्र प्रमाणीकरण जारी नहीं किया। नियम के मुताबिक निर्माण नहीं होने पर नपा ऐसे निर्माण को तोडऩे की कार्रवाई कर सकती है।

 
यह मंदसौर शहर में भवन निर्माण की स्थिति
2015-16 में 732
2016-17 में 689
2017-18  में 633
2019-20  में 421
 
यह परमिशन नया निर्माण, आंशिक बदलाव ओर सुधार आवेदन पर जारी हुई।नपा ने 2015 में 140, 2016 में 79 और 2017 में 40 नोटिस नियम विरुद्ध निर्माण पर जारी किए जिसमें नियमों का पालन नहीं होने की शिकायत थी।
Chania