Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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तालाब को बचाने की फाईले खा रहीं धूल, अस्तित्व पर मंडरा रहा संकट
मंदसौर जनसारंगी।
 शहर के उत्तरी क्षेत्र का जलस्तर बनाए रखने वाले नाहर सैयद तालाब की धीरे-धीरे मौत हो रही है और कोई इस तरफ देख ही नहीं रहा है। तेरह साल पहले तैयार तालाब के सुंदरीकरण और संरक्षण की योजना के फाईल कहीं धूल खा रही है तो एक बार फिर नई योजना में इसे शुद्ध करने के दावे किए जा रहे हैं।  नगर पालिका ने तालाब के आसपास नियम विरुद्ध बनी कालोनियों व बस्तियों पर कोई रोक भी नहीं लगाई है। अब उनका सारा गंदा पानी भी तालाब में ही छोड़ रखा है। विशेष धार्मिक महत्व वाले नाहर सैयद तालाब में आसपास की बस्तियों का गंदा पानी चार जगह से तालाब में छोड़ा जा रहा है। तालाब का पानी दूषित होने के साथ ही रंग भी हरा हो गया है।
नाहर सैयद दरगाह के समीप बने तालाब में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और एनजीटी के कानून के बावजूद नगर पालिका की सरपरस्ती में इंद्रा कालोनी, झुग्गी बस्ती सहित कुछ कालोनियां बन गई हैं। इन सभी क्षेत्रों का गंदा पानी सीधे तालाब में मिल रहा है। इससे पानी हरा व बदबूदार हो गया है। दरगाह के समीप से निकल रहे मार्ग सहित तालाब के अंतिम छोर तक चार स्थानों पर गंदे पानी के नाले तालाब में मिल रहे हैं। नाहर सैयद बाबा दरगाह परिसर में दूर-दूर से हजारों जायरीन आते हैं, एक मान्यता यह भी है कि यहां तालाब में स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है। वर्तमान में तालाब में गंदे पानी के नाले मिल रहे हैं। इसके बावजूद नपा द्वारा इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 2008-09 में में तत्कालीन नपाध्यक्ष प्रहलाद बंधवार ने नाहर सैयद तालाब के सुंदरीकरण व संरक्षण के लिए पांच करोड़ रूपये का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा था। इसमें कुल लागत का 10 फीसदी नपा द्वारा वहन करने का प्रस्ताव परिषद की बैठक में पास भी हो गया था। 2011 में नपाध्यक्ष कुसुम गुप्ता बनी, उसके बाद तालाब विकास की फाइल भी ठंडे बस्ते में चली गई। 2015 में हुए चुनाव में फिर से नपाध्यक्ष प्रहलाद बंधवार बने थे। जनवरी 2019 में उनकी हत्या हो गई। इसके बाद जुलाई-19 में नगर पालिका में मनोनीत अध्यक्ष मो. हनीफ शेख बने, फिर फरवरी-20 में पार्षदों द्वारा चुनाव में भाजपा के राम कोटवानी अध्यमक्ष बने। 26 जनवरी 2021 को उनका कार्यकाल पूरा हो गया। फिर प्रशासक बने मनोज पुष्प और उसके बाद कलेक्टर गौतमसिंह, पर किसी ने भी इस फाइल को हाथ तक नहीं लगाया।
यह बनाया था प्रस्ताव
प्रस्ताव में तालाब का सुंदरीकरण कर रमणीय स्थल के रूप में विकसित करने व तालाब को अतिक्रमण से बचाने के लिए चारों ओर बाउंड्रीवाल बनाना थी। इसके लिए 2008-09 में लगभग 10 लाख रुपये में रोड किनारे बाउंड्रीवाल बनाई थी। यह वर्तमान में जगह-जगह से टूट गई है। इसके अतिरिक्त तालाब के चारों तरफ लाइटिंग, गहरीकरण, तालाब के मध्य फव्वारे लगाने व पैदल पुल का निर्माण करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था।
फिर कर रहे दावे
केंद्र सरकार की अमृत योजना के प्रथम चरण में चंबल का पानी मंदसौर आ गया और दो-तीन बगीचों पर काम हो रहा है। अब अमृत योजना के दूसरे चरण पर काम शुरू हो गया है। जिम्मेदारों के अनुसार इसमें शिवना नदी, तेलिया तालाब व नाहर सैयद तालाब को पूरी तरह से शुद्ध रखा जाएगा। साथ ही कालाभाटा बांध के पास खाली पड़ी शासकीय जमीन पर बगीचा व हरियाली विकसित की जाएगी। केंद्र सरकार द्वारा तय की गई कंसलटेंट कंपनी के कर्मचारी अभी इसकी डीपीआर बनाने में लगे हैं। सभी जगह का सर्वे किया जा रहा है। इसके साथ ही नदी व तालाबों में मिल रहे गंदे नालों की जगह और स्थिति भी देखी जा रही है।
गंदे पानी में लगा रहे है डुबकी
तालाब को लेकर मान्यता है कि इसमें नहाने पर महिलाओं की गोद भर जाती है। खासकर होली पर्व पर मौके पर तालाब में नहाकर जियारत करने वाली महिलाओं की गोद अवश्य भरती है। होली पर दूर-दूर से सभी धर्मों की महिलाएं पहुंचती है। इसमें हिंदू महिलाओं की भी अच्छी खासी संख्या रहती है। अभी दरगाह पर आने वाली महिलाएं तालाब के गंदे पानी में डुबकी लगा रही है। नपा द्वारा पानी साफ रखने के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
द्विमुखी चिंताहरण गणपति की मूर्ति भी इसी तालाब से निकली थी
ऐसी मान्यता है कि गणपति चौक में स्थापित श्री द्विमुखी चिंताहरण गणपति की विशाल प्रतिमा भी नाहर सैयद तालाब से ही निकली थी। इसे बैलगाड़ी से नरसिंहपुरा ले जाया जा रहा था, तभी बैलगाड़ी के पहिये वर्तमान गणपति चौक में ही रुक गए। आगे नहीं बढ़े तो मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा वहीं कर दी गई।

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