Friday, May 3rd, 2024 Login Here
पशुपतिनाथ मंदिर के आसपास शिवना नदी में फिर जलकुंभी छाने लगी है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार शिवना नदी में मिल रहे गंदे नालों के कारण ही यह समस्या बनी हुई है। गंदे पानी से नदी में नाइट्रेट, ठोस अघुलनशील तत्व, कैल्सियम व मैग्नेशियम की मात्रा अधिक हो रही है और यह जलकुंभी के लिए भोजन का कार्य कर रही है
नगर पालिका अधिकारियों द्वारा लगातार बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं कि अब शिवना में कभी जलकुंभी नहीं दिखेगी। लेकिन जिम्मेदारों के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। बारिश खत्म होते ही शिवना नदी में पशुपतिनाथ मंदिर की छोटी पुलिस से मुक्तिधाम की ओर जलकुंभी की चादर बिछने लगी है ।
जानकारों की मानें तो जब तक शिवना में गंदे नालों का पानी मिलना बंद नहीं होगा, तब तक यह समस्या समाप्त नहीं होगी। गंदे और ठहरे हुए पानी में जलकुंभी को पर्याप्त भोजन मिलता है। जो उसकी बढ़वार में सहायक होती है। शिवना में कई जगह गंदे नाले मिल रहे हैं। इससे शिवना के पानी में नाइट्रेड, कठोरता, कैल्सियम व मैग्नेशियम की मात्रा अधिक हो रही है।