Friday, May 3rd, 2024 Login Here
मंदसौर। सिख्ख समाज के गुरू गोविन्दसिंह के प्रकाश पर्व 9 जनवरी 2022 को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरू गोविन्दसिंह के छोटे साहिबजादे बाबा जोरावरसिंह और बाबा फतेहसिंह की शहादत को याद करते हुए हर साल 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस आयोजित करने की घोषणा की थी इसके अनुरूप बेमिसाल शहादत के प्रति श्रृध्दांजलि देने के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने राजपत्र में अधिसूचना जारी की थी जिसके बाद इस वर्ष पूरे देश के साथ ही मंदसौर में भी वीर बाल दिवस मना कर साहिबजादों को श्रृध्दांजलि अर्पित की जा रहीं है। इस आयोजन के तहत 20 दिसम्बर से 31 दिसम्बर तक मंदसौर में सिख्ख समाज द्वारा अनेक आयोजन किए जा रहे है।
यह जानकारी देते हुए सिख्ख समाज के प्रमुख गुरूचरण बग्गा ने बताया कि अनंतगढ़ साहिब किले को मुगलों ने घेर लिया था, लंबे समय तक मुगल गुरू गोविन्दसिंह को परास्त नहीं कर पाऐ और आखिरकार संधी प्रस्ताव भेजा और कीला खाली करने के बदले सुरक्षित रास्ता देने का आश्वासन मुगलों ने दिया था लेकिन गुरू गोविन्दसिंह मुगलों से वाकिफ थे उन्होंने मुगलों की बात पर विश्वास करने से मना कर दिया लेकिन उनके साथियों ने बात मानने का अनुरोध किया इस पर गुरू गोविन्दसिंह अपने साथियों के साथ कीले को खाली कर आगे बढ़े ही थे कि मुगलों ने विश्वासघात करते हुए उन पर हमला कर दिया था। सरसा नदी के तट पर उनका मुगलों से युध्द हुआ इसी दौरान उनके दोनो साबिजादे और माता गुजरी बिछड गई। वे दूसरे दल के साथ चले गऐ। उन्हें रसोईऐ गंगू ने अपने मकान में शरण दी लेकिन उसने लालच में आकर मोरिंडा के कोतवाल को माताजी और साबिजादों के बारे में सूचना दे दी। जिसके बाद मुगल सेना ने उन्हें हिरासत में ले लिया। दोनो नन्हे-नन्हें साबिबजादों को यातनाऐ देने के बाद भी जब उन्होंने धर्म परिवर्तन नहीं किया तो दोनो को जिंदा दीवार में चुनवा दिया लेकिन फिर भी मौत नहीं हुई तो दोनो के सिर धड़ से अलग कर दिए गऐ। एक ही सप्ताह में गुरू गोविन्दसिंह के चारों पुत्रों की शहादत हुई थीं।
सहिबजादों की वीर शहादत से पूरे देश को परिचित कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 दिसम्बर का दिन वीर बाल दिवस के रूप में मनाऐ जाने की घोषणा की थी जिसके तारतम्य में मंदसौर में 20 से 31 दिसम्बर तक शहादत को याद किया जा रहा है। 20 दिसम्बर को छोटे-छोटे बच्चों द्वारा सुखमनी का पाठ किया गया, 24 दिसम्बर को देहरादून से आऐ जत्थे ने कीर्तन किया था, 26 दिसम्बर को महिलाओं द्वारा कीर्तन तथा शहादत से जूडी प्रदर्शनी एवं गुरू नानक शाह फकीर नाम फिल्म दिखाई गई। 31 दिसम्बर को समापन अवसर पर भी छोटे बच्चों द्वारा पाठ एवं कीर्तन किया जाऐगा।
यह जानकारी देते हुए सिख्ख समाज के प्रमुख गुरूचरण बग्गा ने बताया कि अनंतगढ़ साहिब किले को मुगलों ने घेर लिया था, लंबे समय तक मुगल गुरू गोविन्दसिंह को परास्त नहीं कर पाऐ और आखिरकार संधी प्रस्ताव भेजा और कीला खाली करने के बदले सुरक्षित रास्ता देने का आश्वासन मुगलों ने दिया था लेकिन गुरू गोविन्दसिंह मुगलों से वाकिफ थे उन्होंने मुगलों की बात पर विश्वास करने से मना कर दिया लेकिन उनके साथियों ने बात मानने का अनुरोध किया इस पर गुरू गोविन्दसिंह अपने साथियों के साथ कीले को खाली कर आगे बढ़े ही थे कि मुगलों ने विश्वासघात करते हुए उन पर हमला कर दिया था। सरसा नदी के तट पर उनका मुगलों से युध्द हुआ इसी दौरान उनके दोनो साबिजादे और माता गुजरी बिछड गई। वे दूसरे दल के साथ चले गऐ। उन्हें रसोईऐ गंगू ने अपने मकान में शरण दी लेकिन उसने लालच में आकर मोरिंडा के कोतवाल को माताजी और साबिजादों के बारे में सूचना दे दी। जिसके बाद मुगल सेना ने उन्हें हिरासत में ले लिया। दोनो नन्हे-नन्हें साबिबजादों को यातनाऐ देने के बाद भी जब उन्होंने धर्म परिवर्तन नहीं किया तो दोनो को जिंदा दीवार में चुनवा दिया लेकिन फिर भी मौत नहीं हुई तो दोनो के सिर धड़ से अलग कर दिए गऐ। एक ही सप्ताह में गुरू गोविन्दसिंह के चारों पुत्रों की शहादत हुई थीं।
सहिबजादों की वीर शहादत से पूरे देश को परिचित कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 दिसम्बर का दिन वीर बाल दिवस के रूप में मनाऐ जाने की घोषणा की थी जिसके तारतम्य में मंदसौर में 20 से 31 दिसम्बर तक शहादत को याद किया जा रहा है। 20 दिसम्बर को छोटे-छोटे बच्चों द्वारा सुखमनी का पाठ किया गया, 24 दिसम्बर को देहरादून से आऐ जत्थे ने कीर्तन किया था, 26 दिसम्बर को महिलाओं द्वारा कीर्तन तथा शहादत से जूडी प्रदर्शनी एवं गुरू नानक शाह फकीर नाम फिल्म दिखाई गई। 31 दिसम्बर को समापन अवसर पर भी छोटे बच्चों द्वारा पाठ एवं कीर्तन किया जाऐगा।