Friday, May 3rd, 2024 Login Here
परेशान कर्मचारियों ने सोमवार को नपा में किया प्र्रदर्शन
मंदसौर। विधानसभा चुनाव बीतने के बाद नगरीय निकायों की वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। मंदसौर नगरपालिका की बात करें तो गरीबी रेखा वालों का सर्वे करने वाली नगरपालिका खुद गरीबी रेखा में पहुंच गई है। स्थिति यह है कि कर्मचारियों का वेतन देने का रुपया भी नहीं है। 23 तारीख बितने के बाद भी कर्मचारियों का वेतन बाकी है। इसको लेकर कर्मचारियों ने सोमवार को नपा में प्रदर्शन कर नारेबाजी भी की। शासन के कई निर्णयों ने नगरीय निकायों की आर्थिक कमर झुका दी है।
पिछले सात माह से अनुदान का बजट नहीं मिलने तो करों की वसूली से लेकर चुंगी क्षतिपूर्ति की मिलने वाली राशि नहीं मिलने से आर्थिक स्थिति इतनी अधिक बिगड़ गई कि नपा के पास अपने कर्मचारियों व सभी शाखाओं के अधिकारियों को देने तक के पैसे नहीं है। शहर विकास तो दूर कर्मचारियों को ही वेतन देने के पैसे नपा के पास नहीं बचे है। लोक अदालत कुछ राशि जमा हुई तो थोड़ा बहुत वेतन पिछले माह नगरपालिका ने बांटा। लेकिन एक बार फिर तेईस तारीख होने के बाद भी कर्मचारियों को वेतन का इंतजार है। नपा में सन्नाटा पसरा है तो हर एक शाखा में सिर्फ वेतन को लेकर ही बात हो रही है। हर माह नपा से 1200 अधिकारी-कर्मचारियों को करीब ढाई करोड़ रुपए की राशि वेतन के रुप में दी जाती है। जो इस बार बजट के अभाव में नहीं मिली।
लंबे समय से एकाउंट शाखा खाली
ऐसा नहीं की आर्थिक स्थिति और नपा की एकाउंट शाखा इसी माह खाली है। लेकिन नवंबर माह में मतदान और दिसंबर माह के पहले सप्ताह में मतगणना तो अब सरकार गठन और मुख्यमंत्री की शपथ सहित शासन स्तर की प्रक्रिया पूरी होने का इंतजाम नगर पालिकाओं ने कराए। सरकार गठन के बाद नगर पालिका विभागीय व शासन स्तर पर इस समस्या को लेकर पत्राचार कर की अनुदान राशि की मांग भी की गई है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए शासन ने अधिकांश बजट लाड़ली बहना योजना में खर्च किया गया । ऐसे में अनुदान राशि समय पर नहीं मिली और अब कर्मचारी वेतन का इंतजार कर रहे है।
सात माह से नहीं मिला अनुदान तो कर वसूली भी पूरी नहीं
नगर पालिका की अचानक से आर्थिक स्थिति इतनी अधिक बिगड़ गई कि शहर का विकास तो दूर अपने ही कर्मचारी व अधिकारियों को वेतन तक नहीं दे पा रही है। इसका कारण भी यह है कि पिछले सात माह से शासन से भी अनुदान के रुप में मिलने वाली बजट की राशि समय पर व पर्याप्त नहीं मिल रही है तो करों की वसूली भी क्षतप्रतिशत नहीं हो रही है। वहीं चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि भी नहीं मिल रही इन सब कारणों से आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और कर्मचारी व अधिकारियों को वेतन भी नहीं मिल पा रहा है।
1200 कर्मचारी को हर माह देना होता है ढाई करोड़ वेतन
नगर पालिका में सीएमओ से लेकर इंजीनियर, टाईम कीपर से लेकर सफाई कर्मचारियों के अलावा - सभी श्रेणी के मिलाकर करीब 1200 अधिकारी व कर्मचारी है। जो पूरे शहर की व्यवस्था से लेकर विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के साथ अपनी नोकरी कर रहे है। इन सभी को हर माह करीब ढाई करोड़ रुपए की राशि वेतन के रुप में दी जाती है। ढाई करोड़ में इन अधिकारी-कर्मचारी को वेतन मिलता है, लेकिन इस बार अधिकारियों से लेकर हर एक कर्मचारी को वेतन का इंतजार है। जनवरी माह भी लगभग बीत चुका है। वहीं वेतन का इंतजार है।
लोक अदालत से बांटी तनख्वाह
पिछले माह 9 दिसंबर को नेशनल लोक अदालत में नगर पालिका ने 47 लाख रुपए से अधिक की वसूली की थी। इस राशि से सफाई कर्मचारियों को बकाया दिया गया। हालांकि अभी सभी को वेतन के लिए दो करोड़ की बड़ी राशि की दरकार है। बजट के अभाव में नपा के सभी तकनीकि से लेकर अन्य शाखाओं के अधिकारी- कर्मचारी को वेतन के लिए इंतजार करना पड़ा रहा है।
मंदसौर। विधानसभा चुनाव बीतने के बाद नगरीय निकायों की वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। मंदसौर नगरपालिका की बात करें तो गरीबी रेखा वालों का सर्वे करने वाली नगरपालिका खुद गरीबी रेखा में पहुंच गई है। स्थिति यह है कि कर्मचारियों का वेतन देने का रुपया भी नहीं है। 23 तारीख बितने के बाद भी कर्मचारियों का वेतन बाकी है। इसको लेकर कर्मचारियों ने सोमवार को नपा में प्रदर्शन कर नारेबाजी भी की। शासन के कई निर्णयों ने नगरीय निकायों की आर्थिक कमर झुका दी है।
पिछले सात माह से अनुदान का बजट नहीं मिलने तो करों की वसूली से लेकर चुंगी क्षतिपूर्ति की मिलने वाली राशि नहीं मिलने से आर्थिक स्थिति इतनी अधिक बिगड़ गई कि नपा के पास अपने कर्मचारियों व सभी शाखाओं के अधिकारियों को देने तक के पैसे नहीं है। शहर विकास तो दूर कर्मचारियों को ही वेतन देने के पैसे नपा के पास नहीं बचे है। लोक अदालत कुछ राशि जमा हुई तो थोड़ा बहुत वेतन पिछले माह नगरपालिका ने बांटा। लेकिन एक बार फिर तेईस तारीख होने के बाद भी कर्मचारियों को वेतन का इंतजार है। नपा में सन्नाटा पसरा है तो हर एक शाखा में सिर्फ वेतन को लेकर ही बात हो रही है। हर माह नपा से 1200 अधिकारी-कर्मचारियों को करीब ढाई करोड़ रुपए की राशि वेतन के रुप में दी जाती है। जो इस बार बजट के अभाव में नहीं मिली।
लंबे समय से एकाउंट शाखा खाली
ऐसा नहीं की आर्थिक स्थिति और नपा की एकाउंट शाखा इसी माह खाली है। लेकिन नवंबर माह में मतदान और दिसंबर माह के पहले सप्ताह में मतगणना तो अब सरकार गठन और मुख्यमंत्री की शपथ सहित शासन स्तर की प्रक्रिया पूरी होने का इंतजाम नगर पालिकाओं ने कराए। सरकार गठन के बाद नगर पालिका विभागीय व शासन स्तर पर इस समस्या को लेकर पत्राचार कर की अनुदान राशि की मांग भी की गई है। विधानसभा चुनाव को देखते हुए शासन ने अधिकांश बजट लाड़ली बहना योजना में खर्च किया गया । ऐसे में अनुदान राशि समय पर नहीं मिली और अब कर्मचारी वेतन का इंतजार कर रहे है।
सात माह से नहीं मिला अनुदान तो कर वसूली भी पूरी नहीं
नगर पालिका की अचानक से आर्थिक स्थिति इतनी अधिक बिगड़ गई कि शहर का विकास तो दूर अपने ही कर्मचारी व अधिकारियों को वेतन तक नहीं दे पा रही है। इसका कारण भी यह है कि पिछले सात माह से शासन से भी अनुदान के रुप में मिलने वाली बजट की राशि समय पर व पर्याप्त नहीं मिल रही है तो करों की वसूली भी क्षतप्रतिशत नहीं हो रही है। वहीं चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि भी नहीं मिल रही इन सब कारणों से आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और कर्मचारी व अधिकारियों को वेतन भी नहीं मिल पा रहा है।
1200 कर्मचारी को हर माह देना होता है ढाई करोड़ वेतन
नगर पालिका में सीएमओ से लेकर इंजीनियर, टाईम कीपर से लेकर सफाई कर्मचारियों के अलावा - सभी श्रेणी के मिलाकर करीब 1200 अधिकारी व कर्मचारी है। जो पूरे शहर की व्यवस्था से लेकर विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के साथ अपनी नोकरी कर रहे है। इन सभी को हर माह करीब ढाई करोड़ रुपए की राशि वेतन के रुप में दी जाती है। ढाई करोड़ में इन अधिकारी-कर्मचारी को वेतन मिलता है, लेकिन इस बार अधिकारियों से लेकर हर एक कर्मचारी को वेतन का इंतजार है। जनवरी माह भी लगभग बीत चुका है। वहीं वेतन का इंतजार है।
लोक अदालत से बांटी तनख्वाह
पिछले माह 9 दिसंबर को नेशनल लोक अदालत में नगर पालिका ने 47 लाख रुपए से अधिक की वसूली की थी। इस राशि से सफाई कर्मचारियों को बकाया दिया गया। हालांकि अभी सभी को वेतन के लिए दो करोड़ की बड़ी राशि की दरकार है। बजट के अभाव में नपा के सभी तकनीकि से लेकर अन्य शाखाओं के अधिकारी- कर्मचारी को वेतन के लिए इंतजार करना पड़ा रहा है।