Friday, May 3rd, 2024 Login Here
सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही चीतें दौड़ते नजर आऐंगे अभ्यारण्य में
मंदसौर। गांधी सागर में चीतों को बसाने की प्रक्रिया अंतिम दौर पर है। चीता प्रोजेक्ट से जुड़ें अधिकारियों के मुताबिक वन्यजीव विशेषज्ञों सहित एक दक्षिण अफ्रीकी प्रतिनिधिमंडल गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की स्थितियों का आंकलन करने के लिए फरवरी में ही दौरा करने आ रहा है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही चीते भी यहां दौड़ते नजर आएंगे। इसके अलावा आधुनिक केयर यूनिट भी यहां चीतों के लिए बनाई जाएगी।
पैसठ लाख खर्च करने का लक्ष्य
प्रदेश के वनों पर 1390 करोड़ रुपए खर्च करने की कैम्पा योजना को राज्य स्तरीय समिति ने हाल ही में हरी झंडी दी थी। इसमें चीतों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए पहली आधुनिक केयर यूनिट बनाने के प्रस्ताव को भी शामिल किया गया है। इस पर 65 लाख रुपए खर्च करने का लक्ष्य है। यह यूनिट गांधीसागर अभयारण्य में बनाई जाएगी।
368 वर्ग किमी में फैला है चीतों का दूसरा घर गांधी सागर
जानकारी के मुताबिक गांधी सागर को चीतों के लिए वन्यजीव अभयारण्य तैयार करने का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है। गांधी सागर कूनो से लगभग छह घंटे की दूरी पर है। यह 368 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसके आसपास 2,500 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र है। यह मध्?य प्रदेश के मंदसौर-नीमच जिले के साथ ही राजस्थान के चित्तौड़ व कोटा जिले में भी फैला हुआ है।
ये चीते भी होंगे गांधी सागर में शिफ्ट
प्रोजेक्ट टाइगर के तहत पहली बार आठ चीते सितंबर 2022 में नामीबिया से भारत लाए गए थे। वहीं 12 चीते फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे। पर्यावरण मंत्रालय में अतिरिक्त वन महानिदेशक एसपी यादव से मिली जानकारी के मुताबिक पहले ये तय था कि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों को गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में लाया जाएगा।
30 करोड़ की लागत से बना चीतों का घर
मंदसौर के इस गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के 67 वर्ग किमी में बाड़ा बनाने का काम पूरे जोर-शोर से जारी है। सबकुछ अच्छा रहा तो जल्द ही गांधी सागर अभयारण्य में चीते दौड़ते नजर आएंगे। चंबल नदी के एक छोर पर यह बाड़ा बनाया गया है। यहां 12 हजार 500 गड्ढे खोदकर हर तीन मीटर की दूरी पर लोहे के पाइप लगाए हैं। इन पिलर पर तार फेंसिंग के साथ लोहे से 28 किलोमीटर लंबी और 10 फीट ऊंची दीवार बनाई गई है। इस दीवार पर सोलर तार लगाए जा रहे हैं। ये तार सोलर बिजली से कनेक्ट रहेंगे। ऐसे में यदि कोई भी चीता बाउंड्री वॉल को लांघने की कोशिश करता है तो उसे करंट का झटका लगेगा।आपको बता दें कि गांधीसागर वन अभयारण्य में 28 किलोमीटर लंबे बाड़े की जाली लगाने में करीब 17 करोड़ 70 लाख रुपए से अधिक की लागत आई है। वन क्षेत्र में कैमरे भी लगाए गए हैं। इस नए घर को बसाने और चीता प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए इस पर 30 करोड़ रुपए का खर्च किया गया हैं।
मंदसौर। गांधी सागर में चीतों को बसाने की प्रक्रिया अंतिम दौर पर है। चीता प्रोजेक्ट से जुड़ें अधिकारियों के मुताबिक वन्यजीव विशेषज्ञों सहित एक दक्षिण अफ्रीकी प्रतिनिधिमंडल गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की स्थितियों का आंकलन करने के लिए फरवरी में ही दौरा करने आ रहा है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही चीते भी यहां दौड़ते नजर आएंगे। इसके अलावा आधुनिक केयर यूनिट भी यहां चीतों के लिए बनाई जाएगी।
पैसठ लाख खर्च करने का लक्ष्य
प्रदेश के वनों पर 1390 करोड़ रुपए खर्च करने की कैम्पा योजना को राज्य स्तरीय समिति ने हाल ही में हरी झंडी दी थी। इसमें चीतों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए पहली आधुनिक केयर यूनिट बनाने के प्रस्ताव को भी शामिल किया गया है। इस पर 65 लाख रुपए खर्च करने का लक्ष्य है। यह यूनिट गांधीसागर अभयारण्य में बनाई जाएगी।
368 वर्ग किमी में फैला है चीतों का दूसरा घर गांधी सागर
जानकारी के मुताबिक गांधी सागर को चीतों के लिए वन्यजीव अभयारण्य तैयार करने का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है। गांधी सागर कूनो से लगभग छह घंटे की दूरी पर है। यह 368 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसके आसपास 2,500 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र है। यह मध्?य प्रदेश के मंदसौर-नीमच जिले के साथ ही राजस्थान के चित्तौड़ व कोटा जिले में भी फैला हुआ है।
ये चीते भी होंगे गांधी सागर में शिफ्ट
प्रोजेक्ट टाइगर के तहत पहली बार आठ चीते सितंबर 2022 में नामीबिया से भारत लाए गए थे। वहीं 12 चीते फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए थे। पर्यावरण मंत्रालय में अतिरिक्त वन महानिदेशक एसपी यादव से मिली जानकारी के मुताबिक पहले ये तय था कि दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीतों को गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में लाया जाएगा।
30 करोड़ की लागत से बना चीतों का घर
मंदसौर के इस गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के 67 वर्ग किमी में बाड़ा बनाने का काम पूरे जोर-शोर से जारी है। सबकुछ अच्छा रहा तो जल्द ही गांधी सागर अभयारण्य में चीते दौड़ते नजर आएंगे। चंबल नदी के एक छोर पर यह बाड़ा बनाया गया है। यहां 12 हजार 500 गड्ढे खोदकर हर तीन मीटर की दूरी पर लोहे के पाइप लगाए हैं। इन पिलर पर तार फेंसिंग के साथ लोहे से 28 किलोमीटर लंबी और 10 फीट ऊंची दीवार बनाई गई है। इस दीवार पर सोलर तार लगाए जा रहे हैं। ये तार सोलर बिजली से कनेक्ट रहेंगे। ऐसे में यदि कोई भी चीता बाउंड्री वॉल को लांघने की कोशिश करता है तो उसे करंट का झटका लगेगा।आपको बता दें कि गांधीसागर वन अभयारण्य में 28 किलोमीटर लंबे बाड़े की जाली लगाने में करीब 17 करोड़ 70 लाख रुपए से अधिक की लागत आई है। वन क्षेत्र में कैमरे भी लगाए गए हैं। इस नए घर को बसाने और चीता प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए इस पर 30 करोड़ रुपए का खर्च किया गया हैं।