Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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मंदसौर। मौसम बदलते ही मम्स (गलसुआ) के मरीजों की संख्या बढऩे लगी है। अस्पतालों में इससे पीड़ित मरीज पहुंच रहे हैं। मम्स को आम भाषा में गलसुआ कहते हैं। मौसम में बदलाव के कारण मम्स  तेजी से अटैक कर रहा है। जिसके कारण बच्चे, बुजुर्ग, युवा सभी मम्स के शिकार हो रहे हैं। रोज ही मरीज अस्पताल इलाज के लिए पहुंच रहे है। सभी को दवा देने के साथ आराम करने को कहा जा रहा है। मम्स का शिकार बच्चे ज्यादा हो रहे हैं। इस वजह से बच्चों के पेट में दर्द और उल्टी जैसी समस्या सामने आ रही है। बच्चों में वायरस पनपने का कारण मम्स का टिका न लगना बताया जा रहा है।
मम्स वायरस क्या है

मम्स वायरस हवा में थुक के कण य़ा छींक नाक और गले से संक्रामक एयरड्रोपलेट्स की वजह से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। छींकने या करीबी बातचीत से हवा में मौजूद संक्रमित बूंदें सांस के जरिए अंदर जा सकती हैं और संक्रमण का कारण बन सकती हैं।
मम्स वायरस के लक्षण

गलसुआ रोग में पैरोटिड ग्रंथियां  में सूजन होने के कारण हो जाती है और फिर ये तकलीफदायक हो जाता है। इस दौरान गाल में सबसे ज्यादा सूजन होती है। जिसे पैरोटाइटिस के नाम से जाना जाता है। ये चेहरे के एक या दोनों तरफ हो सकती है। मम्स के लक्षण दो से तीन सप्ताह में दिखाई देते हैं। इनमें सिरदर्द, थकान, भूख में कमी, तेज बुखार, लार ग्रंथियों में सूजन के कारण गालों या जबड़े का बढऩा चबाने या निगलने में परेशानी होना भी प्रमुख है।
खट्टी चीजें खाने से बढ़ती है सूजन

खट्टा या अम्लीय भोजन या तरल पदार्थ खाने से दर्द बढ़ सकता है। सूजन धीरे-धीरे 7 दिनों में कम हो जाती है और अन्य लक्षण 3-5 दिनों में ठीक हो जाते हैं। जैसे ही आपको सूजन दिखे, तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
मम्प्स के मरीज इन बातों का रखें ध्यान

मम्स वायरसल के मरीज आ रहे हैं। मम्स वायरस के मरीज को किसी भी भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए और आराम करना चाहिए ताकि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण न फैले। मास्क लगाएं, साफ-सफाई का ध्यान रखें और हाथों को साबुन से धोते रहें।
डॉ केएल राठौर, शिशु रोग विशेषज्ञ, मंदसौर

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