Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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मंदसौर। तैलिया तालाब अतिक्रमण या प्रदूषण का मामला नया नहीं। समस्या धीरे धीरे विकराल रूप लेती जा रही है और स्थिति यह हो गई है कि अस्तित्व बचाने के लिए तैलिया तालाब संघर्ष कर रहा है। इसका कारण है जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की लापरवाही। समस्या के समाधान के लिए सिर्फ डीपीआर-प्रोजेक्ट का खेल खेला जा रहा है। बार बार प्रोजेक्ट और डीपीआर बनाकर भेजी जा रही है। आठ साल पहले नब्बे लाख का प्रोजेक्ट तैयार किया गया। इसके बाद नपा ने तालाब को गंदगी से मुक्त करने के बजाए 5 करोड़ की बड़ी डीपीआर तैयार कर शासन को भेजी। अब फिर से डेढ़ करोड़ से अधिक की डीपीआर नए सिरे से इसके लिए बनाकर भेजी है। इधर पूर्व में भी नालों को डायवर्ट करने की बनी योजना कागजों में ही दफन ही गई।
राशि मंजूरी की राह देखते हर बार
एक दो नहीं तालाब में सोलह रहवासी कॉलेनियों से निकलने वाला गंदा पानी नालों से तालाब में पहुंच रहा है तो औद्योगिक क्षेत्री से निकलने वाला पानी भी तालाब को प्रदूषित कर रहा है। तालाब प्रदुषित होता चला जा रहा है और नपा शासन से राशि को मंजूरी की राह देख रही है। स्थानीय स्तर पर नपा ने एक भी प्रयास नहीं किया। इसके लिए एनजीटी से दो बार आदेश हो चुके है। तैलिया तालाब के सौंदर्यीकरण को लेकर हर बार प्रयोग तो खूब होते है लेकिन इसे प्रदूषण से नहीं बचाया जा रहा है।
एक नाले में ही डाल रहे सारी गंदगी
मुल्तानपुरी तरफ से आ रहा नाला हो तेलिया तालाब में पानी की आवक का एकमात्र स्रोत है और इसी नाले में मेघदूत नगर, यश नगर, गांधी नगर, कर्मचारी कॉलोनी सहित 16 कॉलोनियों के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र व बापयाम की फैक्ट्री कर रसायनयुक्त जहरीला पानी डाला जा रहा है, जो सीधे तालाब में पहुंच रहा है। इसी कारण तालाब का पानी प्रदूषित हो रहा है। सबकी निगाह के सामने यह ही रहा है लेकिन इसे देखने को कोई तैयार नहीं है।
एनजीटी के आदेश का पालन ही नहीं
तोलिया तालाब में वर्षों से महू नीमच राजमार्ग पर मंडी से आगे तक बनी लगभग 16 कॉलोनियों एवं फैक्ट्रियों का गंदा पानी मिल रहा है। इसमें भमा की विकसित की हुई मेघदूत नगर, गृह निर्माण महल की गांधी नगर और कर्मचारी आवास निगम सहित यश नगर केरुव कुंज व अन्य निजी कॉलोनियां शामिल है। इन कॉलोनियों से निकल रहे गंदे तालाब के अस्तित्व पर मंडराते खतरे को देख नपा के पूर्व सभापति डॉ दिनेश जोशी ने एनजीटी में 2016 को एक आदेश हुआ तालाब की जमीन पर बढ़ते इसमें न्यायाधीश दिलीपसिंह ने अतिक्रमण को लेकर पाचिका तेलिया तालाब के 1974 के नफ्ले दापर की थी। इस पर 17 फरवरी के आधार पर अधिकतम जल भरा क्षेत्र से नब्बे मीटर तक किसी भी तरह के निर्माण पर प्रतिबंध लगाया था।इसके बावजूद अपने अपने हिसाब से अनुमतियां दी जा रही है। शासन और जनप्रतिनिधियों ने तालाब बचाने को ेकर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए।
पहले तैयार किया था 90 लाख का प्रोजेक्ट लेकिन 5 करोड़ की बनी डीपीआर
जिन कॉलोनियों का गंदा पानी तालाब में मिल रहा है उसमें मेघदूत नगर, गृह निर्माण मंडल की गांधी नगर और कर्मचारी आवास गिम सहित यश नगर, केशव कुंज और अन्य निजी कॉलोनिया शामिल है। इन कॉलोनियों से निकल रहे गंदे पानी की समस्या है। इसका निराकरण नहीं हुआ। 8 साल पहले कॉलोनियों के गंदे नालों के पानी को जिपं के पास स्थित नाले में पहुंचाने के लिए 90 लाख रुपए का प्रोजेक्ट तैयार हुआ था। इसकी फाइल दिल्ली में एप्को तक पहुंची थी पर वर्तमान नगर पालिका ने इस पर ध्यान नहीं दिया। फिर 5 करोड़ की बड़ी डीपीआर तैयार की है। अब सीवरेज के पानी को रोकने के लिए डेढ़ करोड़ से अधिक की राशि की डीपीआर बनाकर शासन को भेजी है।

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