Friday, May 3rd, 2024 Login Here
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जनसारंगी में प्रकाशित खबर के बाद प्रदेश के मुखिया ने लिया संज्ञान
मंदसौर।
निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर निर्धारित दुकान से किताबे और यूनिफार्म खरीदने को लेकर पिछले दिनों दैनिक जनसारंगी ने समाचार प्रकाशित किया था। इससे पूर्व शिक्षाविद और अभाविप के पूर्व प्रांताध्यक्ष डॉ क्षितिज पुरोहित ने स्कूलों की लूट पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिखकर विस्तार से स्कूलों की लूट से अवगत कराया था जिस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने संज्ञान लिया और मुख्य सचिव मप्र शासन को कार्रवाहीं के निर्देश दिए। जिसके बाद बाद अब मंदसौर समेत  प्रदेश के ऐसे निजी स्कूल जो विद्यार्थी और अभिभावकों पर निर्धारित दुकान से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए दबाव बनाएंगे उन पर दो लाख तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने  सोशल मीडिया पर लिखा कि मेरे संज्ञान में आया है कि कुछ निजी स्कूलों द्वारा पालकों को कोर्स की किताबें, यूनिफार्म और अन्य शिक्षण सामग्री किसी निर्धारित दुकान से खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जो कि उचित नहीं है। मैंने इस संबंध में कार्रवाई करने के लिए मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं।पहली बार शिकायत प्राप्त होने पर स्कूल संचालक पर दो लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग ने भी सभी कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि वे ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई करें जो अधिक मूल्य की किताबें और यूनिफार्म खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं।
सरकार की कार्रवाहीं से एक कदम आगे चल रहे पुस्तक माफिया

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने पुस्तक माफियाआंें पर नकैल कसने के लिए आदेश जारी किए, कलेक्टर भी इस संबंध में आदेश निकाल चूके है लेकिन पुस्तक माफिया सरकार की कार्रवाहीं से एक कदम आगे चल रहे है। निजी स्कुलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तके तय है उनकी बिक्री के लिए व्यापारी भी तय है लेकिन सरकार ने जैसे ही नियम निकाला कि स्कूल किसी निर्धारित दुकान से पुस्तके और यूनिफार्म क्रय करने का दबाव नहीं बना सकते इसके बाद पुस्तक माफियाओं ने शहर की कई दुकानों पर पुस्तकों के सेट रखवा दिऐ। अब पालक जिस दूकान पर जा रहा है वहां उसे स्कूल का नाम बताते ही पुस्तकों का सेट तैयार मिल रहा है। इसमें दूकानदार को किताबे निकालने और उनकी राशि जोड़ने  तक की जहमत नहीं उठानी पड़ती क्योंकि पुस्तक माफिया ने पहले से ही सेट बनाकर उसे पेक करके और और राशि का बिल भी तैयार करके उसमें रखा होता है। इसके लिए दूकानदार का कमीशन तय होता है। ऐसे में सरकार ने भले ही निर्धारित दूकान से पुस्तके क्रय नहीं करने का आदेश जारी कर दिया हो लेकिन इससे पालकों को राहत नहीं मिल रहीं क्योंकि वह जिस दूकान पर जाऐगा उसे सभी जगह एक ही राशि देना है।
एनसीआरटी की पुस्तकों का नियम ही बचा सकता है पालकों की जेब को

शिक्षा के जानकार बताते है कि जब तक निजी प्रकाशकों की पुस्तके निजी स्कूल मंगवाते रहेंगे पालकों की जेब ऐसे ही लूटी जाती रहेगी । सरकार यदि निजी प्रकाशकों के बजाय नियमानुसार केवल एनसीआरटी की पुस्तके की मंगवाने का नियम बनाऐ तभी पुस्तक माफियाओं की लूट से पालकों को बचाया जा सकता है। वरना हर साल मंदसौर में बाहर से दो महिने के लिए आकर पुस्तक माफिया पालकों की जेब पर ऐसे ही डाका डालते रहेंगे।


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