Friday, April 26th, 2024 Login Here
मन्दसौर निप्र। मध्य प्रदेश शासन संस्कृति विभाग के तत्वावधान में जिला प्रशासन मंदसौर के सहयोग से कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन द्वारा 07 व 08 मार्च को मंदसौर में आयोजित दो दिवसीय कालिदास प्रसंग (समारोह) के तहत 7 मार्च को प्रात: 10 बजे श्री पशुपतिनाथ सभागृह में महाकवि कालिदास के ग्रंथो पर आधारित चित्र प्रदर्शनी का उद्धाटन मुख्य अतिथि उच्च न्यायालय सेवानिवृत्त न्यायाधीश गिरीराजदास सक्सेना विशेष अतिथि शिक्षाविद् साहित्सकार मोहनलाल भटनागर एवं समाजसेवी श्री हिम्मत डांगी ने दीप ज्योति प्रज्वल्लित कर किया। मंगला चरण श्री पशुपतिनाथ संस्कृत पाठशाला बटुको ने किया।
अतिथियों का पुष्पहारो से बहुमान अनिल बारोट कार्यक्रम प्रभारी कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन ने किया। चित्र प्रदर्शनी का प्रसंग सहित ंसंज्ञान श्री मुकेश काला प्रदर्शनी प्रभारी कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन ने कराया ।
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल, ब्रजेश जोशी, सुरेश भावसार, बंशीलाल टांक, सुरेश राठौर, राजाराम तंवर, अजीजउल्लाह खान, धनराज धनगर, सुश्री अल्पना गांधी आदि उपस्थित थे । चित्र प्रदर्शनी में कालीदास के प्रसिध्द ग्रंथ अभिज्ञान शकुंतन्लम्, ऋतुसंहार, मेघदूतम, मालविकाग्निीमित्रम, विक्रमोवर्शीयम्, कुमारसंभव, राघुवंशम् पर आधारित चित्ताकर्षक प्रदर्शनी लगाई गयी। जिसे उपस्थित सभी अतिथियों व दर्शकों ने खूब सराहा, प्रदर्शनी में राष्टीय पुरूस्कृत पुरस्कृीत चित्रो को भी सम्मिलित किया गया।
न्यायधीश श्री गिरीराजदास सक्सेना ने कहा कि महाकवि कालिदास का देववाणी संस्कृत भाषा में रचित ग्रंथो का विश्व में विशिष्ट स्थान है। ग्रंथो के आधार पर चित्रकारों द्वारा प्रत्येक ग्रंथ के अनुसार सांगोपांग चित्रों की प्रदर्शनी बहुत अच्छी लगी है। आपने कहा कि कालिदास के मेघदूत में मंदसौर का उल्लेख कालिदास का मंदसौर से अटूट सम्बंध होना दर्शाता है जो मंदसौर के लिये गौरव का विषय है। चित्र प्रदर्शनी के अवलोकन से साहित्यकारों व चित्रकारो कर विशेष ज्ञानार्जन होगा। मोहनलाल भटानागर ने चित्र प्रदर्शनी को देखकर ने कहा कि जहा कालीदास की अप्रतिम बुध्दि प्रखरता बोध होता है वही जिन चित्रकारो ने अपनी तूलिका से जिस प्रकार कालिदास की भावनाओं को चित्रों में उकेरा (साकार) किया है यह सचमुच कठिन साधना का प्रतिफल है। आपने कहा कि नगर में कालिदास आयोजन से साहित्य के प्रति साहित्य प्रेमियों की अभिरूचि में वृध्दि होगी। ऐसे आयोजन समय-समय पर होते रहना चाहिए। स्वागत उद्बोधन में श्री ब्रजेश जोशी ने कहा कि उज्जैन के पश्चात् मंदसौर में कालिदास जैसे भव्य समारोह का आयोजन नगर के लिये बहुत बडी उपलब्धी है।